अद्भूत और विलक्षण प्रतिभा के धनी थे डा. राजेंद्र बाबू : राजीव रंजन प्रसाद
28 फरवरी ग्लोबल कायस्थ ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस (जेकेसी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जनता दल यूनाईटेड (जदयू) प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने देश के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डा. राजेंद्र प्रसाद की जयंती 03 दिसंबर को मेघा दिवस के रूप में मनाये जाने और सार्वजनिक अवकाश घोषित करने की मांग केन्द्र सरकार से की है।
ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस के सौजन्य से देशरत्न डा.राजेन्द्र प्रसाद की पुण्यतिथि और अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि नंदन सहाय की श्रद्धांजली सभा नागेश्वर कॉलोनी स्थित जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद के आवास में मनाई गयी। समारोह की अध्यक्षता राजीव रंजन प्रसाद ने की। कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्वलन के साथ की गयी। इसके बाद डा. राजेन्द्र प्रसाद और रवि नंदन सहाय के तैलचित्र पर माल्यार्पण करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
इस दौरान राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि देश की अनेक महान विभूतियों के जन्मदिवस को किसी न किसी विशेष दिवस के रूप में मनाया जाता है लेकिन देशरत्न के नाम पर कोई दिवस विशेष घोषित नहीं किया गया है, केन्द्र सरकार और राज्य सरकार भी देशरत्न डा. राजेन्द्र प्रसाद के जन्मदिन तीन दिसंबर को ‘मेधा-दिवस’ रूप में घोषित करे। उन्होंने डा. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती को सावर्जनिक अवकाश घोषित करने की मांग भी केन्द्र सरकार से की है।
राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि शिक्षाविद् रविनंदन सहाय ने कायस्थों को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। रवि नंदन बाबू बहुत मृदभाषी थे और अपना पूरा जीवन समाज कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था। खासकर शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान सराहनीय है। उनके निधन से सामाजिक, शैक्षणिक और सांगठनिक क्षेत्र को भारी क्षति हुई है। उन्होंनें कहा कि देशरत्न डा: राजेन्द्र प्रसाद अद्भूत और विलक्षण प्रतिभा के धनी थे और उनके विचारों को आत्मसात करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि डा. राजेन्द्र प्रसाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से थे और उन्होंने स्वाधीनता आंदोलन महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा: राजेन्द्र प्रसाद की सादगी राष्ट्र के युवाओं के लिए आदर्श है। विलक्षण प्रतिभा से युवाओं को सीख लेने की जरूरत है। राजीव रंजन प्रसाद ने रवि नंदन सहाय के आकस्मिक निधन पर गहरा शोक जताते हुये कहा कि उनके निधन से समाज एवं संगठन को अपूरणीय क्षति हुई है तथा समाज में शून्यता सी आई है जिसे कभी नहीं भरा जा सकता।स्व० सहाय एक मृदुभाषी एवं सहनशील प्रवृत्ति के व्यक्ति थे ।
इस अवसर पर जीकेसी की प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन ने कहा सादा जीवन, उच्च विचार’ के अपने सिद्धांत को अपनाने वाले डा० राजेन्द्र प्रसाद के जीवन से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए।डा.राजेन्द्र प्रसाद उच्च कोटि के विद्वान के साथ- साथ सादगी के प्रतिमूर्ति थे।भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाॅ० राजेन्द्र प्रसाद जी का भारत के संविधान निर्माण में अहम योगदान था। सभी युवाओं को डा. राजेंद्र प्रसाद के विचारों को अपनना चाहिए। देश के लिए उनके द्वारा दिए गए योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। यदि उनकी जयंती को यदि भारत सरकार ‘मेधा-दिवस’ घोषित करती है, तो यह उनके प्रति श्रेष्ठतम श्रद्धांजलि होगी।
इस अवसर पर अभय सिन्हा महासचिव लोकनायक जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन केंद्र, ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस मीडिया सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम कुमार, कला संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष देव कुमार लाल, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रिद्धिमा श्रीवास्तव, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दीपक अभिषेक, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजय कुमार सिन्हा , महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय सचिव रशिम लता, कार्यकारी अध्यक्ष सम्पन्नता वरुण, राष्ट्रीय सचिव अनुराग समरूप, संजय कुमार, राष्ट्रीय प्रवक्ता अतुल आनंद सन्नू, राष्ट्रीय सचिव विद्याभूषण डब्लू , चंदन कुमार वर्मा , डॉ प्रियदर्शी हर्षवर्धन , आइटी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष आशुतोष ब्रजेश ,कार्यकारी अध्यक्ष, कुमार गौरव, युवा प्रकोष्ठ के कार्यकारी अध्यक्ष सुशांत सिन्हा, महासचिव हर्ष सिन्हा ,रवि सिन्हा, बलिराम जी, रीना सिन्हा, राजेश सिन्हा, संजय सिन्हा ,सौरभ जयपुरियार, मनोज कुमार सिन्हा, सुशील श्रीवास्तव , संजय कुमार सिन्हा,पीयूष श्रीवास्तव, प्रसून श्रीवास्तव समेत कई अन्य लोग भी मौजूद थे।