Type to search

26/11: पाकिस्तान ने किसका नुकसान किया?

जरुर पढ़ें देश बड़ी खबर संपादकीय

26/11: पाकिस्तान ने किसका नुकसान किया?

26/11 mumbai attack and its lessons
Share on:

मुंबई में 26 नवंबर 2008 (26/11 mumbai attack) को आतंकी हमले की 12वीं बरसी है। समुद्र के रास्ते पाकिस्तान से आए 10 आतंकवादियों ने मुंबई में तीन दिनों तक हिंसा और रक्तपात का ऐसा खूनी खेल खेला था कि अमेरिका समेत पूरी दुनिया स्तब्ध रह गई थी। इस हमले में 18 सुरक्षाकर्मियों समेत 166 लोगों की मौत हुई थी और 300 से ज्यादा लोग जख्मी हो गये थे।

पाकिस्तान की इस साजिश ने निश्चित तौर पर देशवासियों को गहरा दर्द दिया, कई परिवार उजड़ गये, कई मांगें सूनी हो गईं। भारत इस सदमे से तो कुछ ही महीनों में उबर गया, लेकिन क्या पाकिस्तान इसके असर से आज तक उबर पाया? जिस मकसद से उसने मासूम लोगों की जान लेने की साजिश की, उसमें पाकिस्तान को कोई कामयाबी मिली? शायद नहीं, क्योंकि 26/11 के बाद सब कुछ बदल गया।

mumbai attack

क्या थी पाकिस्तान की साजिश?

2008 की शुरुआत से ही जीडीपी के लगातार नकारात्मक आँकड़ों ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी थी। देखते ही देखते अमेरिका के 63 बैंकों में ताले लग गए थे। इस मंदी का असर पूरी दुनिया पर छाने लगा था। भारत का वैश्विक व्यापार भी काफी घट गया था और आर्थिक वृद्धि की दर 6 फीसदी से भी नीचे चली गई थी। ऐसे समय में पाकिस्तान ने भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई को AK-47 की गोलियों से छलनी करने का प्लान बना लिया। इरादा था कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की जानें ली जाएं, ताकि भारत गुस्से में आकर हमला कर दे और भारत-पाकिस्तान युद्ध शुरु हो जाए।

पाकिस्तान की अपनी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी और जनरल मुशर्रफ के बाद सेना की स्थिति भी कमजोर हो रही थी। इसलिए जनता का ध्यान भटकाने और अंतरराष्ट्रीय मदद के लिए पाकिस्तानी सेना को एक छोटे-मोटे युद्ध की जरूरत थी। संसद पर हमले, 2006 में मुंबई ट्रेन धमाकों जैसी घटनाओं पर भारतीय प्रतिक्रिया से उन्हें यकीन था कि भारत इस बार भी हमले के बजाय ज्यादा से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सामने शोर मचाएगा…और अगर कोई हमला हुआ भी तो बाकी राष्ट्र, दो परमाणु शक्ति-संपन्न देशों के बीच युद्ध लंबा खिंचने नहीं देंगे। इसके बावजूद उन्होंने मुंबई हमले (26/11) से पहले ही सीमा पर सैनिकों का जमावड़ा शुरु कर दिया था, और मुंबई अटैक (26/11) के दिन से ही दुनिया के सामने ढिंढोरा पीटना शुरु कर दिया कि भारत हमला करने की तैयारी कर रहा है।

भारत ने फिर दिखाया संयम

मनमोहन सिंह की सरकार ने तमाम दबाव के बावजूद किसी तरह की आक्रामकता नहीं दिखाई, लेकिन वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान को बुरी तरह घेरना और एक्सपोज करना शुरु कर दिया। भारतीय जनता और राजनीतिक दलों ने भी मोटे तौर पर एकजुटता दिखाई और 2009 में मनमोहन सिंह एक बार फिर सत्ता में वापस आ गये। राजनीतिक स्थिरता और मंदी के वक्त युद्ध से बचने का बड़ा फायदा ये हुआ कि भारत की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर आ गई, दूसरी ओर पाकिस्तान पर आतंकियों को पनाह देने का ठप्पा लग गया। इस हमले के बाद से अमेरिका, इस्रायल समेत तमाम देश पाकिस्तान के खिलाफ हो गये, और उसकी आर्थिक मदद से रास्ते बंद हो गये।

26/11: पहले ठीक किया अपना घर

मुंबई हमलों की भयावहता ने भारत सरकार को नये सिरे से सोचने और अपनी व्यवस्था दुरुस्त करने पर मजबूर कर दिया। अपनी सुरक्षा मजबूत करने के लिए जो प्रमुख फैसले लिए गये, वो हैं –

  • सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के बीच आपसी तालमेल के रास्ते में आ रही बाधाओं को दूर किया गया और उनके बीच मजबूत सूचना एवं संवाद तंत्र स्थापित किया गया। इसके चलते भारत कई आतंकी हमलों को विफल करने में सफल भी रहा है।
  • समुद्र के रास्ते से दुबारा हमला ना हो, इसके लिए भारतीय तटों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी नौसेना को सौंप दी गई। इंडिया कोस्ट गार्ड इस काम में उसकी मदद करता है। समुद्री पुलिस की भी स्थापना की गई, जो समुद्र में पांच नौटिकल माइल्स तक की सुरक्षा का जिम्मा संभालती है। 
  • मुंबई हमले के बाद सरकार ने पुलिस कानूनों में कई सुधार किए। पुलिस और सुरक्षा बलों को अत्याधुनिक हथियारों और संचार उपकरणों से लैस किया गया।
  • हमले के वक्त राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के कमांडो हवाईअड्डे पर आठ घंटे तक इंतजार करते रह गए थे, क्योंकि उनके डीजी तक को विमान लेने का अधिकार नहीं था। अब नियम बदल गए हैं और लोगों की सुरक्षा और सेवा के लिए डीजी को भारत में रजिस्टर्ड किसी भी ऑपरेटर से विमान लेने का अधिकार है।
  • सरकार ने संकट की घड़ी में शीघ्र निर्णय लेने का एक तंत्र भी स्थापित किया है। अब इसके लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता और कई विभागों का मुंह नहीं ताकना पड़ता।
  • तीनों सेनाओं में बेहतर तालमेल के लिए एक कमांडर-इन-चीफ की नियुक्ति की गई है, ताकि युद्ध की स्थिति में सेना एकजुट होकर फैसले ले सके।

जनता ने माफ नहीं किया

जनता को मनमोहन सरकार ने युद्ध की उम्मीद भले ना हो, लेकिन किसी तरह के बदले की कार्रवाई की उम्मीद जरुर थी। लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ, तो जनता ने सत्ता की बागडोर एक उग्र राष्ट्रवादी पार्टी के हाथों में सौंप दी। मुंबई हमलों (26/11) के बाद सेक्यूलर और अमन पसंद माने जाने वाले लोगों की भी मानसिकता बदल गई और सरकार से मजबूत फैसलों की उम्मीद की जाने लगी। मुंबई हमले ने भारत की किस्मत बदली हो या ना हो, एक पार्टी की किस्मत जरुर बदल दी। अगले पांच सालों मे बीजेपी देश की नंबर वन पार्टी बन गई और कांग्रेस राज्य-दर-राज्य पिछड़ती चली गई।

अब क्या है स्थिति?

अब हालात बदल चुके हैं। पिछले 10 सालों में सुरक्षा तंत्र इतना मजबूत हो गया है कि पाकिस्तान एक भी आतंकी हमले को अंजाम नहीं दे पाया। मौजूदा सरकार जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाये जाने जैसा बड़ा फैसला ले चुकी है। पुलवामा में आतंकी हमला हुआ, तो 15 दिनों के भीतर पाकिस्तानी सीमा में जाकर सर्जिकल स्ट्राइक किये गये। अब सीमा पर एक बार फायरिंग हो, तो इस ओर से दुगुनी क्षमता से जवाब दिया जाता है। अब पाकिस्तानी सेना कभी निश्चिंत होकर नहीं बैठ सकती, क्योंकि कभी भी…किसी भी तरह का हमला हो सकता है। आलम ये है कि भारतीय सेना के हमले के डर से पाकिस्तानी अधिकारियों को पसीने छूटने लगते हैं। और ये बात पाकिस्तान ही नहीं, ताकतवर चीन को भी समझाया जा चुका है। भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अपनी सीमाओं की रक्षा करने और उसके बारे में फैसला लेने के लिए हमें ना तो किसी से कुछ पूछना है… ना ही किसी के रिएक्शन की परवाह है।

पाकिस्तान को कितना नुकसान?

मुंबई हमलों (26/11) के वक्त भले ही पाकिस्तान में मौजूद सेना और ISI के अधिकारी सड़कों पर बह रहे खून से खुश हो रहे हों, लेकिन आज खुद उन्हें खून के आंसू बहाने पड़ रहे हैं। इन्होंने जिस जैश-ए-मुहम्मद और लश्करे-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों को प्रश्रय दिया, उन्होंने पाकिस्तान की धरती को ही खून से लाल करना शुरु कर दिया है। आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान में आतंकी घटनाओं में सालाना 3000 से ज्यादा लोगों की मौतें होती हैं, जो अफगानिस्तान जैसे युद्ध-ग्रस्त इलाके से भी ज्यादा है। वहीं पाकिस्तान कई महीनों से ग्रे-लिस्ट में है और मुस्लिम देशों ने भी उसकी आर्थिक मदद करना बंद दिया है।

मुंबई हमले (26/11) में मारे गए लोगों का खून बेकार नहीं गया है, और इसे पाकिस्तान से बेहतर कौन समझ सकता है? क्योंकि यही वो घटना है, जिसके बाद से पाकिस्तान की स्थिति खराब होनी शुरु हो गई। 10-12 सालों में हालत ये है कि खुद उसके अपने घर में आग लगी है, रोटी के लाले पड़े हैं और देश बिखराव की ओर बढ़ रहा है। तो पाकिस्तान ने निर्दोष लोगों की हत्या की प्लानिंग कर किसका नुकसान किया? आज नुकसान में कौन है…भारत या पाकिस्तान?

Shailendra

Share on:
Tags:

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *