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गिन-गिन कर लगाओ 7 तमाचे: रो देगा चीन

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गिन-गिन कर लगाओ 7 तमाचे: रो देगा चीन

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टिकटॉक जैसे एप अनइंस्टॉल करने और चीनी सामान का बायकॉट करने से चीन को दुख तो बहुत होगा लेकिन ये चोट उसके लिए नई नहीं है, दुनिया के कई देशों में ऐसा हुआ है और अब तक का अनुभव यही बताता है कि चीन को इन कदमों से  ज्यादा चोट नहीं पहुंचेगी। देश की जनता जो कुछ कर सकती है करे और करना भी चाहिए, लेकिन कुछ काम ऐसे हैं जो हमारी सरकार अगर करेगी तो रो देगा चीन।

हांगकांग का बायकॉट

अमेरिका ने हांगकांग का स्पेशल स्टेटस खत्म कर चीन को वहां चोट पहुंचाई है जहां चीन को सबसे ज्यादा तकलीफ हो रही है। चीन का सारा डॉलर ट्रेड हांगकांग के जरिए रूट होकर चीन आता है। यूरोप और अमेरिका से चीन आने वाला सारा FII, FDI निवेश  हांगकांग के जरिए आता है। अमेरिका के इस एक कदम से  ग्लोबल फाइनांस एंड सर्विसेज हब के तौर पर हांगकांग के दिन पूरे हो गए हैं। विरोध के प्रतीक के तौर पर अमेरिका ने हांगकांग में अपनी एक प्राइम प्रॉपर्टी बेचने का फैसला भी किया है। Hang Seng  शेयर बाजार के नजरिए से देखें तो  संदेश ये है कि अमेरिका की नजर में हांगकांग अभी BUY  नहीं   SELL है।

भारत को चाहिए कि अमेरिका की तरह ही ऐसे कानून बनाए जिससे हांगकांग से होकर भारत में होने वाले FII, FDI पर पूरी तरह रोक लग जाए। बीते पांच साल में चीन ने भारत में 8 बिलियन डॉलर का निवेश किया है, इसका आधा 4.2 बिलियन डॉलर हांगकांग से आया है। इस निवेश पर पूरी तरह रोक लगाने से भारत को  FII, FDI, कंसल्टेंसी और इन्श्योरेंस में नुकसान होगा, लेकिन ज्यादा नुकसान चीन को होगा, क्योंकि फाइनांस की दुनिया फंडामेन्टल से ज्यादा सेन्टीमेंट पर चलती है।

ब्रिटेन की सरकार हांगकांग मामले को लेकर एक ग्लोबल एलायंस बनाने पर गौर कर रही है ताकि एक साथ कई देश मिल कर कुछ ऐसा फैसला लें जिससे चीन को चोट पहुंचे। लोकतंत्र की रक्षा के नाम पर, भारत को इस मुहिम का खुल कर साथ देना चाहिए

चीनी करेंसी का बायकॉट

चीन चाहता है कि उसकी मुद्रा युआन दुनिया भर के बाजार में वही जगह हासिल कर ले जो अभी डॉलर को हासिल है। इसके लिए चीन व्यापार करने वाले देशों को अपनी मुद्रा युआन का इस्तेमाल करने की सलाह देता है। उसकी अपील होती है कि आपको जो भी चीजें हमसे खरीदनी है उसके लिए आप डॉलर की जगह युआन का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें। युआन के इस्तेमाल को वो कई तरह से आकर्षक बनाता है। नतीजा ये हुआ है कि युआन अभी दुनिया में दूसरी सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली करेंसी बन चुकी है। भारत को चाहिए कि युआन को दुनिया के बाजार से बाहर करने के लिए एक ग्लोबल अलायंस बनाने के काम में लगे… इसमें उसे अमेरिका का भी भरपूर साथ मिलने की उम्मीद है। युआन को ग्लोबल करेंसी बनाने के सपने पर चीन बीस साल से काम कर रहा है, इसके लिए उसने अरबों डॉलर का इन्वेस्टमेंट किया है। उसका ये सपना टूटा, तो टूट जाएगा चीन।

WHO  से बाहर हो जाए भारत

अमेरिका के बाहर होने के बाद WHO अपनी प्रांसगिकता खो चुका है। दुनिया भर में मेडिकल रिसर्च का आधे से ज्यादा योगदान अकेले अमेरिका का है। अमेरिका के बाहर होने के बाद WHO की ज्यादा अहमियत नहीं रह गई है। भारत को चाहिए कि अमेरिका और जापान समेत सहयोगी देशों के साथ मिलकर एक नया WHO बनाए जिसमें चीन की जगह ताइवान को शामिल किया जाए। इस कदम से हेल्थ रिसर्च की दुनिया से चीन बाहर हो जाएगा।

टीम 10 फ़ॉर 5G

ब्रिटेन की सरकार 5G को लेकर ग्लोबल अलायंस बनाने की कोशिश कर रही है। इसमें  G7  — Canada, France, Germany, Italy, Japan,  United Kingdom और U.S. के साथ-साथ कोशिश है ऑस्ट्रेलिया, साउथ कोरिया और भारत के साथ मिलकर 5G में चीन को टक्कर देने की। ये वो दुनिया है जिसमें चीन की बादशाहत चलती है। चीन 5G के व्यापार से बाहर हो गया तो अरबों डॉलर के टेलीकॉम ट्रेड से बाहर हो जाएगा।

 अमेरिका से सोयाबीन, मक्का और कपास की खरीद बढ़ाए भारत

हांगकांग पर अमेरिका के फैसले के बाद चीन की कंपनियों ने  अमेरिकी फार्म गुड्स की खरीद रोक दी है। इससे खास तौर पर सोयाबीन, मक्का और कपास के अमेरिकी उत्पादक किसान प्रभावित हुए हैं। भारत के लिए ये मौका है कि वो प्रेफरेंशियल ट्रेड पार्टनर के तौर पर अमेरिका से इन चीजों का आयात बढ़ाए। इससे अमेरिका की बेहद प्रभावशाली फॉर्म लॉबी में भारत के लिए बेहतर माहौल बनेगा, जिसका कई दूसरे क्षेत्रों में फायदा मुमकिन है।

चीन के खिलाफ जनमत तैयार करे

अमेरिकी संसद में वीगर-Uighur मुस्लिमों के साथ चीन की बदसलूकी को लेकर प्रतिबंध  लगाने का प्रस्ताव किया है।  इसी तरह का प्रस्ताव हमारी संसद को भी पारित करना चाहिए और OIC की फैक्ट फाइन्डिंग टीम भेजने का मशविरा देना चाहिए।

 G20 और BRICS से बाहर हो भारत

G20 और BRICS का सबसे ज्यादा फायदा चीन को हुआ है। इन दोनों समूहों में रुस,चीन और भारत की मौजूदगी ने एक तरह से G7 को अप्रासंगिक बना दिया है। BRICS की बैठक असफल होने के डर से ही चीन ने डोकलाम विवाद में घुटने टेक कर अपनी सेना वापस बुला ली थी। अब वक्त है कि भारत G20 और BRICS से बाहर हो जाए। भारत के बाहर होते ही इन समूहों की अहमियत काफी कम हो जाएगी और अगर भारत ट्रंप के सुझाव पर गौर करे तो G7 के साथ रुस, ऑस्ट्रेलिया, साउथ कोरिया और भारत के साथ मिलकर बना G11 बहुत जल्द दुनिया का सबसे अहम राजनीतिक और आर्थिक संगठन मे तब्दील हो सकता है। चीन अगर दुनिया के बड़े आर्थिक और राजनीतिक समूहों से बाहर हो गया तो इसके लिए चीन की जनता शी जिनपिंग को कभी माफ नहीं करेगी।

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