खबर में एक होने वाली मां

अगर आपने सुबह 8 बजे BBC का शो Asia Business Report कभी नहीं देखा है, तो आपको देखना चाहिए। आज कल इस शो की एंकर हैं मरिको ओई। अगर आप इस न्यूज शो को देखेंगे तो आपको एहसास होगा कि आप टीवी न्यूज में पहली बार एक प्रेग्नेंट महिला को न्यूज पढ़ते देख रहे हैं। मरिको बेबी बंप को छिपाती नहीं, और छिपाए भी क्यों…मातृत्व एक गौरव का एहसास है…मरीको ये बता रही है कि न्यूज पढ़ने वाली महिला सिर्फ एक सुंदर आकर्षक महिला नहीं है, उसकी काया उसके लिबास की तरह ही बदलती रहती है, उसकी पहचान उसके काम से है, बस काम से ही है।
खबर बताने वाले का खबर बनना यहां खबर नहीं है, खबर ये है कि मरिको और बीबीसी महिला को लेकर हमारी सोच में बड़ा बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं…इस कोशिश को सलाम।

कौन हैं मरिको ओई?
मरिको जापान की रहने वाली हैं, कॉलेज की पढाई ऑस्ट्रेलिया से पूरी की और सिंगापुर में रहती हैं।
पत्रकारिता में 15 साल का अनुभव, 2006 से BBC की रिपोर्टर, अभी BBC की 17 साल से हिट शो, एशिया बिजनेस रिपोर्ट की एंकर हैं।
एक रिपोर्टर के तौर पर उन्होंने जापान के मंत्री shinjiro koizumi की रिपोर्ट पेश की थी, जिन्होंने पिता बनने की जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए दफ्तर से छुट्टी ली थी, अब मरिको खुद मां बनने वाली हैं, लेकिन वो छुट्टी नहीं ले रहीं।

कामकाजी महिला और हमारा समाज
महिलाओं को लेकर खास तौर पर टीवी पर खबर पढ़ने वाली महिलाओं को लेकर हमारे समाज में कई तरह के पूर्वाग्रह हैं। जैसे ये कि खबर पढ़ने वाली लड़की अगर सुंदर है, उसकी आवाज अच्छी है तो शायद ये ज्यादा मायने नहीं रखता कि उसने जर्नलिज्म का कोर्स किया है या नहीं। सरला माहेश्वरी या मंजरू जरुहार जैसी न्यूज एंकर्स के देश में आज भी हमारे यहां एक महिला एंकर का सुंदर होना क्यों जरूरी है?

ये किस तरह खास है?
एक प्रेग्नेंट वूमन का न्यूज पढ़ना संदेश है कि स्त्री देह नहीं, स्नेह है, वो न माया है न काया। एक स्त्री चाहे वो न्यूज रीडर हो, एयर होस्टेस या फिर रिसेप्सनिस्ट…वो सिर्फ एक शरीर नहीं है …वो जो कुछ है, इसके बाद है, इसके आगे है… कोई बातूनी है तो कोई खामोश…किसी को सपने देखने की लत है तो किसी की परेशानी ये है कि उसे सपने क्यों नहीं आते….कोई अपने घर को बदलना चाहता है तो कोई समूचे देश को। कोई पिम्पल से परेशान है तो कोई पीरियड्स से। किसी को खुश होने के लिए बस एक गुड मार्निंग मैसेज चाहिए तो कोई है जो चाहता है कि कोई उसे रोमांटिक डेट पर ले जाए, पैम्पर करे…घुटनों पर झुक कर हाथ बढ़ाए और पूछे –do you love me ?
एक लड़की को इससे ज्यादा बुरा कुछ नहीं लगता कि उसे उसके काम से न जाना जाए और उसे इससे ज्यादा अच्छा कुछ नहीं लगता कि कोई उसे एहसास दिलाए कि वो जो है, उसे उसी तरह, उसी रुप में, सभी खामियों के साथ… पसंद है।

मातृत्व का सम्मान जरूरी है!

प्रेग्नेंसी एक स्त्री को पूर्ण करता है, उसे किसी तरह कमतर नहीं बनाता।
प्रेग्नेंसी एक महिला के लिए भावनात्मक और शारीरिक तौर पर काफी चुनौतियां लेकर आती है। अमेरिका में Equality and Human Rights Commission की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच मे से एक प्रेग्नेंट महिला से काम की जगह पर साथी और सहयोगी भेदभाव करते हैं। 2011 से 2015 के बीच अमेरिका में pregnancy discrimination के 31हजार मामले दर्ज किए गए। Women’s Aid Organization के सर्वे में बताया गया है कि अमेरिका में हर दूसरी प्रेग्नेंट महिला को ये चिंता सताती है कि उनकी नौकरी इस वजह से जा सकती है और दस में से तीन कामकाजी महिलाएं इस डर से प्रेग्नेंसी को जहां तक हो सके delay करने की कोशिश करती हैं।
एक होने वाले मां भी काम करते रहना चाहती है!
प्रेग्नेंसी के दिनों में ऑफिस में काम करते रहना एक तरह का बौद्धिक वर्जिश है। एक कामकाजी औरत को काम करते रहने से सकून का एहसास होता है। नहीं तो घर मेें, जब तक सांस है, तब तक सास है।