बड़ी जातियों के बाद अब छोटी जातियों पर भाजपा का फोकस
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उत्तर प्रदेश में सत्ता दल पार्टी भाजपा ने अपने सामाजिक संपर्क अभियान के तहत 175 से अधिक विधायकों, सांसदों, राज्य के पूर्व विधायकों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और दलित समुदायों के अन्य नेताओं को तैनात किया है। इन नेताओं को निर्देश दिया गया है कि वे अपनी सीटों को छोड़कर एक से 10 विधानसभा क्षेत्रों में अपने समुदायों के लोगों के छोटे समूहों के साथ बातचीत करें।
इससे पहले हालांकि बीजेपी लखनऊ में हर समुदाय से जुड़ा अलग-अलग सामाजिक प्रतिनिधि सम्मेलन करा चुकी है। इसके बाद अब विधानसभा क्षेत्रों में लोगों को जोड़ने की जिम्मेदारी 175 से अधिक विधायकों के साथ ही एमपी को सौंपी गई है। बीजेपी के एक प्रदेश महासचिव ने बताया कि इस तरह के अभियान से पार्टी को विधानसभा सीटें हासिल करने में मदद मिल सकती है, जो 2017 के चुनावों में यादवों, जाटव दलितों और मुसलमानों के प्रभुत्व के कारण हार गई थी। उन्होंने कहा, “अगर हम ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों में बिखरी हुई विभिन्न जातियों के समर्थन को मजबूत कर सकते हैं, तो हम यादवों, जाटव दलितों और मुसलमानों के वर्चस्व वाले निर्वाचन क्षेत्रों में भी सपा और बसपा को हरा सकते हैं।”
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कार्यक्रम के तहत प्रतिदिन 25 से 30 कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इस अभियान से पहले, पार्टी ने ओबीसी और दलित समूहों के साथ 27 सामाजिक प्रतिनिधि सम्मेलन भी आयोजित किए। इस अभियान से जुड़े बीजेपी के नेता ने कहा कि, “शहरी क्षेत्रों में बस्तियों और ग्रामीण क्षेत्रों में जेबों की पहचान वहाँ विशेष जातियों की उपस्थिति के अनुसार की गई है। ओबीसी और एससी एवं एसटी आबादी वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। उन 175 से अधिक विधायकों, सांसदों और अन्य वरिष्ठ नेताओं में से प्रत्येक को उनकी जाति के लोगों के एक समूह के सामाजिक सम्मेलनों में जाने और संबोधित करने के लिए उनके निर्वाचन क्षेत्रों के बाहर 1-10 विधानसभा क्षेत्रों को सौंपा गया है।”
वहीं दूसरी ओर भाजपा के कार्यक्रम को प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष लोकेश कुमार प्रजापति सहित विभिन्न पिछड़ा वर्ग के पार्टी नेता कार्यक्रम को संबोधित करेंगे।
After big castes, now BJP’s focus on small castes