महाराष्ट्र के बाद अब यूपी में भी पुरानी पेंशन की मांग
लोकसभा चुनावों के पहले प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना लागू करने का मुद्दा फिर गरमाने लग गया है. यूपी के कर्मचारी संगठनों ने चौबीस घंटे पहले प्रदेश भर में जिला मुख्यालय के सामने पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर धरना दिया. कर्मचारी संगठनों के नेताओं के कहा है, योगी सरकार पुरानी पेंशन योजना को बहाल करे. योगी सरकार इसके लिए तैयार नहीं है.
ऐसे में सरकारी कर्मचारियों के बनाए गए “पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाली संयुक्त मंच” ने कहा है कि अगर सितंबर तक योगी सरकार ने पुरानी पेंशन योजना बहाल नहीं की तो केंद्रीय कर्मचारी संगठनों के साथ प्रदेश के कर्मचारी भी तो भारत बंद के आंदोलन में शामिल होंगे. वही दूसरी तरफ कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग करने वाले प्रदेश के कर्मचारी संगठनों का समर्थन किया है.
जिससे उत्साहित होकर कर्मचारी संगठनों के नेता यह कह रहे हैं, जब पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना लागू को सकती है तो फिर यूपी में इसे क्यों नहीं लगा किया जा सकता है. यूपी के कर्मचारी नेता इस सवाल का जवाब अब योगी सरकार से सीधे मांग रहे हैं. कर्मचारी संगठनों के इस सवाल का जवाब देना योगी सरकार के लिए परेशानी का सबब बन रहा है. योगी सरकार का कोई मंत्री कर्मचारियों के इस सवाल का जवाब नहीं दे रहा है. वास्तव में उन्हे समझ में ही नहीं आ रहा है कि वह इस सवाल का क्या जवाब दें. वैसे बीती 27 फरवरी को प्रदेश के वित्त राज्यमंत्री ने मयंकेश्वर सिंह ने कहा था कि यूपी में अब ओपीएस को लागू करना संभव नहीं है. उन्होने यह भी कहा था कि राज्य में पहली अप्रैल 2004 से नई राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) लागू की गई है.
बीते 31 जनवरी तक 5.95 लाख सरकारी कर्मचारियों ने और स्वायत्तशासी संस्थाओं के 3.50 लाख कर्मचारियों का एनपीएस में पंजीकरण किया जा चुका है. राष्ट्रीय पेंशन योजना सरकार के राजकोषीय स्थिति में संतुलन बनाए रखने और सरकारी कर्मचारियों व संगठित-असंगठित क्षेत्र के कार्मिकों व सामान्य जन को वृद्धावस्था में सुरक्षा देने के उद्देश्य से लाई गई है.
योगी सरकार के वित्त राज्यमंत्री के इस कथन से सूबे में सरकारी कर्मचारी संगठनों के नेता सहमत नहीं है. इनका कहना है कि जब न्यायपालिका और विधायिका में पुरानी पेंशन योजना लागू है तो सरकारी कर्मचारी और शिक्षकों के लिए इसे क्यों नहीं लागू किया जा रहा. अब इस तर्क के आधार पर सरकारी कर्मचारी संगठनों के नेता ‘पुरानी पेंशन’ की बहाली के लिए ‘चक्रव्यूह 2024’ तैयार कर रहे हैं.
‘चक्रव्यूह 2024’ के तहत प्रदेश के कर्मचारी संगठन केंद्रीय कर्मचारी संगठनों के साथ मिलकर ओपीएस बहाली आंदोलन चलाएंगे. इस लेकर देश के विभिन्न राज्यों में होने वाले प्रदर्शनों में प्रदेश के सरकारी कर्मचारी भी शामिल होंगे. लोकसभा चुनावों के दौरान हर राज्य में ओपीएस बहाली की मांग नेताओं की चुनावी सभाओं में जाकर की जाएगी.
इसके अलावा अब जिस भी राज्य में विधानसभा चुनाव होगा, वहां पुरानी पेंशन लागू करने की मांग कर्मचारी संगठन प्रमुखता से करेंगे. हरिकिशोर यह भी कहते हैं कि देश और प्रदेश में कार्यरत सरकारी कर्मचारी, उनके परिवार, पेंशनर और रिश्तेदारों को मिलाकर यह संख्या लगभग 10 करोड़ है. कर्मचारियों की इतनी बड़ी ताकत अब अपने हक के लिए आवाज उठाएंगी. जिसके तहत 21 मार्च को प्रदेश के हर जिले में जिला मुख्यालय के सामने कर्मचारियों ने धरना दिया.
After Maharashtra, now demand for old pension in UP too