श्रीलंका में आर्थिक संकट के बाद अब नेपाल और पाकिस्तान में भी बिगड़ेंगे हालात?
श्रीलंका में आर्थिक संकट गहराया हुआ है, जिसकी वजह से जनता को बुनियादी चीजों के लिए भी मशक्कत करना पड़ रहा है और इनकी कीमतें आसमान छू रही हैं। यही वजह है कि यहां की जनता का गुस्सा प्रदर्शन के रूप में सामने आ रहा है और वह सरकार के खिलाफ उग्र व्यवहार कर रही है। जनता के रवैये को देखते हुए यहां के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को इस्तीफा भी देना पड़ा। लेकिन जनता इससे भी संतुष्ट नहीं है और राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर रही है।
श्रीलंका में गहराए आर्थिक संकट (Economic Crisis) की वजह सरकार का गलत प्रबंधन माना जाता है। जानकारों का कहना है कि श्रीलंकाई सरकार ने पिछले एक दशक के दौरान सार्वजनिक सेवाओं के लिए विदेशों से बड़ी रकम कर्ज के रूप में ली। इस बढ़ते कर्ज ने देश की अर्थव्यवस्था पर चोट की। इसके अलावा बारिश जैसी प्राकृतिक आपदाओं से लेकर मानव निर्मित तबाही ने भी देश में संकट खड़ा किया। रासायनिक उर्वरकों पर सरकार के प्रतिबंध का भी किसानों पर प्रभाव पड़ा और हालात खराब होते चले गए।
नेपाल से खबरें सामने आ रही हैं कि उसका विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से खाली हो रहा है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि वह अपने आयात करने की ताकत को कायम नहीं रख पाएगा क्योंकि आयात बिल के बढ़ने से उसका विदेशी मुद्रा भंडार प्रभावित हो रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि नेपाल को कई आयातित वस्तुओं के लिए ज्यादा कीमत भी चुकानी पड़ी है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल और दूसरी कई जरूरी चीजों के दाम बढ़ने का असर नेपाल के राजकोष पर पड़ रहा है। यहां ये बात अहम है कि नेपाल का कुल जितना अंतरराष्ट्रीय कारोबार होता है, उसमें 90 फीसदी हिस्सा उसके आयात का होता है। ऐसे में अगर उसका आयात बिल बढ़ता है, तो इसका सीधा असर उसकी इकोनॉमी पर पड़ता है।
पाकिस्तान के भी हालात वित्तीय आधार पर कुछ ठीक नहीं हैं। यहां की राजनीतिक अस्थिरता भले ही कुछ समय के लिए शांत हो गई हो, लेकिन वित्तीय अस्थिरता (Economic Crisis) पर हालात काबू करना बड़ी चुनौती है। आंकड़ों के मुताबिक, साल 2022 की दूसरी तिमाही में पाकिस्तान का कर्ज और देनदारी 5 हजार 272 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। पाकिस्तान सरकार के पास मौजूदा समय में देश चलाने के लिए भी भारी पैसों की किल्लत है। उसने आईएमएफ से भी कर्ज ले रखा है और डॉलर के मुकाबले उसका रुपया भी कमजोर है। रुपया कमजोर होने का मतलब ये है कि वो भले ही नया कर्ज ना ले, लेकिन जो कर्ज उसने ले रखा है, उसका डॉलर्स में उसे ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा।
After the economic crisis in Sri Lanka, now the situation in Nepal and Pakistan will also deteriorate?