तीन तलाक के बाद अब तलाक-ए-हसन को खत्म करने की हो रही मांग
नई दिल्ली – बीते कुछ दिनों से तलाक-ए-हसन का मुद्दा चर्चा में बना हुआ है. 17 जून को जहां सुप्रीम कोर्ट को 5 जजों की बेंच ने तलाक-ए-हसन के खिलाफ दायक की गई याचिका पर सुनवाई की थी वहीं एक बार मुंबई की एक मुस्लिम महिला सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. इस मामले को लेकर पहले भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट में भी तलाक-ए-हसन के खिलाफ एक महिला ने याचिका दायर की थी जिसपर जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने दिल्ली पुलिस के साथ-साथ उस मुस्लिम व्यक्ति से जवाब मांगा जिसकी पत्नी ने तलाक-ए-हसन के नोटिस को चुनौती देते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
क्या होता है तलाक-ए-हसन –
तीन तलाक की तरह ही तलाक-ए-हसन मुस्लिम समुदाय से जुड़ी तलाक की एक प्रक्रिया है, जिसमें पति अपनी पत्नी को तीन महीने में तीन बार एक-एक कर तलाक बोलता है और उसके बाद तलाक मान लिया जाता है. पति एक महीने में एक बार तलाक बोलता है. फिर दूसरे महीने में दूसरी बार तलाक बोलता है. फिर तीसरे महीने में तीसरी बार तलाक बोलता है.
बता दें कि तलाक बोले जाने वाले इन तीन महीनों के दौरान शादी तो लागू रहती है, लेकिन अगर इन तीन महीनों के अदंर पति-पत्नी में सुलह नहीं होती है और पति तीन महीने में तीन बार तलाक बोल देता है तो तलाक मान लिया जाता है. लेकिन वहीं अगर दोनों के बीच इस बीच सुलह हो जाती है तो शादी नहीं टूटती।
After triple talaq, now there is a demand to end Talaq-e-Hasan