एक म्यूजिकल ड्रामा!
इस हफ्ते अमेज़न प्राइम पर प्रदर्शित हुई बंदिश बैंडिट…एक ऐसी वेब सीरीज़ जो बेहद संगीतमय और म्यूजिकल थीम पर आधारित ड्रामा है…। इसे लेकर आये हैं जाने-माने निर्देशक आनन्द तिवारी और म्यूजिक दिया है शंकर-एहसान-लॉय की तिकड़ी ने । इस वेब सीरीज में नसीरुद्दीन शाह और अतुल कुलकर्णी सरीखे मंझे हुए कलाकारों ने अपने अदाकारी का जलवा दिखाया है। जब कास्टिंग और प्रोडक्शन टीम इतनी टॉप क्लास की हो, तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इसकी क्वालिटी कैसी होगी।
बंदिश बैंडिट..एक तरफ शास्त्रीय संगीत और पॉप संगीत के बीच के संघर्ष को दिखाता है, तो दूसरी तरफ वर्चस्व और विरासत की लड़ाई को भी सामने रखता है। इन सबके बीच संगीत से जुड़े एक परिवार के रहन-सहन, उनकी परेशानियों और महत्वाकांक्षाओं की दिलचस्प कहानी भी है, जो दर्शकों को बांधे रखती है।
क्या है कहानी?
मुंबई की पॉप सिंगर तमन्ना… एक हिट गाने की तलाश में जोधपुर आती है। यहां एक कॉन्सर्ट के सिलसिले में उसकी मुलाकात राधे (ऋत्विक भौमिक) से होती है, जो जोधपुर के जानेमाने संगीत सम्राट राधे मोहन राठौड़ (नसीरुद्दीन शाह) का पोता है…। शुरुआत में वो तमन्ना के साथ गाना गाने से इंकार कर देता है, लेकिन आर्थिक परिस्थितियों की वजह से राधे को तमन्ना के साथ काम करना पड़ता है…। राधे ये काम अपने परिवार से छुप कर करता है, और इस दौरान उसे कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है…।
तमन्ना ने गाने का प्रशिक्षण नहीं लिया है, फिर भी उसे अपनी गायकी पर पूरा भरोसा है। लेकिन जब वो राधे के साथ गाना गाती है, तो उसे अपनी कमियों का अंदाज़ा होता है…। तमन्ना का एक बेहद ही करीबी दोस्त है अर्घया (कुणाल ऱॉय कपूर) जो उसकी हर तरह से मदद करता है…। इन सबके अलावा एक दिलचस्प किरदार है राधे की मां मोहिनी (शिबा चढढा) का, जो वैसे तो एक मामूली गृहिणी दिखती हैं लेकिन राधे को समय-समय पर संगीत की बारीकियां समझाती रहती हैं…।
कहानी में दिलचस्प मोड़ तब आता है जब राधे मोहन राठौर की दूसरी पत्नी के बेटे दिग्विजय सिंह (अतुल कुलकर्णी) की इंट्री होती है। दिग्विजय सिंह, राठौड़ घराने के संगीत पर अपनी दावेदारी जताता है, और इसी मुद्दे पर उसका राधे से टकराव शुरु हो जाता है। क्या राधे अपने घराने के संगीत को बचाने में सफल होता है…? क्या तमन्ना संगीत की बारीकियों को सीख पाती है…? इन सब सवालों के लिए आपको देखनी होगी.. बंदिश बैंडिट।
क्या है खास?
सिरीज़ में उम्दा संगीत है…पॉप और शास्त्रीय दोनों ही धुनें शानदार हैं। कई फ्यूज़न, बंदिश और ठुमरी भी हैं जो बेहद कर्णप्रिय हैं…। सबसे बेहतरीन है राजस्थान का लोकगीत केसरिया बालमा…जिसे पहले भी कई कलाकारों ने गाया है और बंदिश बैंडिट में भी इसका खूबसूरती से इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा संगीत की कई छोटी-बड़ी बारीकियां भी इसमें दिखाई गई है…मसलन एक शास्त्रीय कलाकार फॉलसेटो में क्यों नहीं गाता..ऑटो ट्यून करके कैसे आवाज़ बदली जाती है…आदि।
कैसा है अभिनय?
जब स्क्रीन पर नसीरुद्दीन शाह और अतुल कुलकर्णी जैसे कलाकार हों तो समझा जा सकता है कि किरदार कितने मौलिक लगेंगे…। राधे के किरदार में ऋत्विक एक शास्त्रीय गायक को तौर पर बहुत नहीं जमे हैं, लेकिन रोमांटिक और इमोशनल सीन्स में उन्होंने काफी प्रभावित किया है। राजेश तैलंग, ऋतुराज, शिबा और मेघना मलिक ने भी अपने किरदारों के साथ पूरा न्याय किया है..। वहीं कॉमिक टाइमिंग के मामले में कुणाल रॉय कपूर बेजोड़ दिखे हैं।
क्यों देखें ये सीरीज़?
व्योमकेश बक्शी और उड़ान सरीखी फिल्मों का निर्देशन कर चुके आनंद तिवारी ने बंदिश बैंडिट में काफी कुछ एक साथ करने का प्रयास किया है…और इसमें वो काफी हद तक कामयाब भी हुए हैं..। उन्होंने अपने किरदारों से बहुत ही बेहतरीन काम लिया है। यदि आप क्राइम थ्रिलर और अश्लील भाषा वाले वेब सिरीज से ब्रेक चाहते हैं तो इसे ज़रुर देखें…। वहीं अगर आप संगीत के शौकीन हैं, तो ये वेब सीरीज़ आपके लिए ही है। और कुछ भी ना हो, तो सिर्फ नसीरुद्दीन शाह और अतुल कुलकर्णी के शानदार अभिनय के लिए तो इसे ज़रुर देखना चाहिए।