Bihar..जहरीले पानी ने लील ली 3 मासूमों की जान, 60 लोग बीमार
एक तरफ Bihar सरकार की स्वच्छ पेयजल योजना एवं नल-जल योजना की हर तरफ चर्चा, तो वहीं दूसरी तरफ एक भयावह सच्चाई, जहां आज भी ग्रामीण दूषित पानी पीकर काल के ग्रास बन रहे हैं। CM Nitish Kumar की महत्वाकांक्षी “हर घर जल योजना ” का धरातल पर धराशयी होना इस योजना की सबसे बड़ा असफलता है। साथ ही Nitish सरकार का भी।
हालिया घटना ने इस योजना की नाकामयाबी पर मुहर लगा दी है। Sasaram के नौहट्टा थाना क्षेत्र में स्थित चपरी गाँव में दूषित पानी पीने से 3 मासूम बच्चों की जान चली गई , वहीं 60 से ज्यादा लोग बीमार बताए जा रहे हैं। जबकि एक बच्चे की हालत बहुत खराब बताई जा रही है।
दरअसल वन विभाग द्वारा गाँव में लूज बुलडोजर स्ट्रक्चर का निर्माण कराया जा रहा था। जिसमें चपरी गाँव के लगभग 4 दर्जन मजदूर काम कर रहे थे। जहां दूषित पानी पीने से मजदूरों समेत गाँव के कई बच्चों को पेट दर्द, उल्टी और दस्त की शिकायत होने लगी, जिसके बाद गाँव में ही झाड़- फूँक करने वाले दिखाया गया । तबीयत जब ज्यादा बिगड़ने लगी, तब बच्चों को आस पास डेहरी, भभुआ जैसे इलाकों में इलाज के लिए ले जाया गया। लेकिन इस दौरान 3 बच्चों की मौत हो गई।
हालांकि वन विभाग ने बतौर सहायता राशि 25 हजार रुपए और अन्य संसाधन भिजवाए थे। लेकिन कार्यस्थल पर मजदूरों के लिए पीने के लिए टैंकर उपलब्ध नहीं था।
और सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस घटना की जानकारी वहाँ के स्थानीय प्रशासन को भी नहीं है। मीडिया के माध्यम से जानकारी मिलते ही डीएम ने कहा कि मैं जानकारी ले रहा हूँ।
गौरतलब है कि Nitish Kumar ने हर घर जल योजना के तहत कैमूर पहाड़ी पर योजना का उद्घाटन किया था। कुछ दिनों तक कार्य भी हुआ। लेकिन फिर काम ठप्प पड़ गया। और वर्तमान स्थिति यह है कि आज भी कैमूर में करीब 15 गाँव ऐसे हैं, जहॉं लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं।
और यह सिर्फ कैमूर जिले की ही सच्चाई नहीं हैं , बल्कि Bihar के 37 जिलों का पानी पीने लायक नहीं है। नौ जिलों के 6580 टोलों का भूजल प्रदूषण फैलने से संक्रमित हो गया है। जल में आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन की मात्रा बढ़ने से लोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इस बात की जानकारी खुद बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने इंडियन वाटर वर्क्स एसोसिएशन के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दी थी । उन्होंने कहा कि राज्य के 37 जिलों के 31 हजार वार्डों में जल संक्रमित हो गया।
स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है, लेकिन 31 हजार वार्डों में गुणवत्तापरक पेयजल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। आलम ये है कि संक्रमित पेयजल वाले जिलों की संख्या 28 से बढ़कर 31 हो गई है। वर्ष 2009 की भूजल गुणवत्ता स्थिति की रिपोर्ट पर नजर डालें तो, रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 13 जिलों के पानी में आर्सेनिक, 11 में फ्लोराइड और नौ जिलों में आयरन की मात्रा अधिकतम सीमा से भी ज्यादा है।
इनमें 18 हजार 673 टोलों में आयरन का संक्रमण, 4 हजार 157 टोलों में फ्लोराइड का संक्रमण तथा 1 हजार 590 टोलें ऐसे हैं, जहां पेयजल आर्सेनिक से संक्रमित है। तो वहीं 28 जिलें ऐसे हैं, जिनमें दो दो प्रकार का संक्रमण है। रिपोर्ट के अनुसार बीते दस वर्षों में 9 जनपदों और 6580 टोलों में भूजल में संक्रमण फैला है। इसका खामियाजा जनता फ्लोरोसिस और कैंसर जैसी भयावह बीमारियों के रूप में भुगत रही है। दक्षिण बिहार में तो सैंकड़ों लोगों को फ्लोरोसिस है, जिससे उनकी हड्डियां टेढ़ी हो गई है। जिससे उन्हे आजीवन विकलांगता का शिकार होना पड़ रहा है। जबकि आर्सेनिक के कारण कई लोगों को कैंसर और त्वचा रोग की बीमारियों ने घेर लिया है।