HIV के नए केस में तीसरे नंबर पर बिहार
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बिहार में हर साल एचआईवी संक्रमण के तकरीबन 8000 मामले दर्ज किए जाते हैं. महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के बाद एचआईवी संक्रमण के मामले में बिहार तीसरे स्थान पर है. UNICEF (बिहार) के हेल्थ स्पेशलिस्ट डॉ. एस सिद्धार्थ शंकर रेड्डी ने एचआईवी/एड्स जागरुकता कार्यक्रम के मौके पर कहा कि 2010 के बाद से एचआईवी इंफेक्शन रेट में 27 प्रतिशत की कमी के बावजूद बिहार की ये स्थिति है.
नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (NACO) द्वारा 2017 में किए एक सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य में PLHIV यानी एड्स के साथ रहने वाले लोगों में युवाओं की संख्या ज्यादा है. डॉ. रेड्डी ने बताया कि एचआईवी के नए मामलों में ऐसे लोग ज्यादा है जो नसों में लगने वाली दवाओं का उपयोग करते हैं या फिर समलैंगिक संबंध या पुरुष का पुरुष के साथ संभोग (MSM) में दिलचस्पी रखते हैं.
डॉ. रेड्डी ने कहा कि फीमेल सेक्स वर्कर्स में संक्रमण का चलन अब (MSM) में बदल गया है. इस मामले में ट्रक ड्राइवर्स और माइग्रेंट वर्कर्स एचआईवी के संपर्क में आने के सबसे कमजोर वर्ग थे. हालांकि बिहार में PLHIV का इंफेक्शन रेट (0.17%) राष्ट्रीय औसत (0.22%) से बेहतर है, जो 2030 तक सार्वजनिक स्तर पर बीमारी को खत्म करने की ओर बढ़ रहा है.
स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि कोविड-19 की महामारी ने इस डेडलाइन को लगभग 5 साल आगे बढ़ा दिया है. दरअसल 2020-21 के दौरान 5,77,103 लोगों का HIV टेस्ट किया गया था जिसमें से 1.12 प्रतिशत (6,469) लोग पॉजीटिव पाए गए थे. इससे पहले साल 2019-20 में 8,51,346 लोगों की टेस्टिंग हुई थी, जिसमें 1.16 प्रतिशत (9,928) लोग एचआईवी पॉजीटिव पाए गए थे.
बिहार स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर अंशुल अग्रवाल ने बताया कि साल 2018-19 में 6 लाख लोगों में से 1.83 प्रतिशत लोगों की (11,000) रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. जबकि 2021-22 में फरवरी तक 6,87,439 में से 0.91 प्रतिशत (7,139) लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. अंशुल अग्रवाल ने कहा कि राज्य में एचआईवी संक्रमण की दर बीमारी के प्रति चलाए जा रहे जागरुकता अभियान की वजह से कम हुई है. बिहार में तकरीबन 1.34 लाख संक्रमित लोग हैं जो देश में एड्स के कुल मामलों का 5.77 प्रतिशत है.
Bihar at number three in new cases of HIV