बीजेपी का ‘प्लान 2025’
बिहार कैबिनेट में बीजेपी (BJP) की ओर से दो उपमुख्यमंत्री समेत 5 मंत्री शामिल किये गये हैं। जिस तरह से पार्टी ने अपने मंत्रियों का चयन किया है, उससे साफ झलकता है कि बीजेपी (BJP) इस बार अपने कायाकल्प के मूड में है। बीजेपी का लक्ष्य साफ है…2025 में अपने दम पर चुनाव लड़ना और अपनी सरकार बनाना। कैबिनेट में मंत्रियों का चयन इसी व्यापक प्रक्रिया का एक हिस्सा है।
क्या है बीजेपी (BJP) की सोच?
इतना तो लगभग तय है कि मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार का ये आखिरी कार्यकाल है। अगली बार उनका जीतना भी मुश्किल है और मुख्यमंत्री बनना भी। वैसे भी नीतीश इसे अपना आखिरी चुनाव बता चुके हैं। बीजेपी के लिए नीतीश कुमार सहयोगी भी हैं और मजबूरी भी। सहयोग इसलिए जरुरी है क्योंकि दलित और पिछड़े समुदाय पर पार्टी की वैसी पकड़ अभी बनी नहीं है कि अपने बलबूते पर सरकार बनाई जा सके। वहीं मजबूरी इसलिए कि फिलहाल उसके पास नीतीश से बेहतर कोई मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं है। लेकिन ये स्थिति हमेशा नहीं रहनेवाली। बीजेपी (BJP) चाहती है कि नीतीश के रिटायर या चुनावी तौर पर अक्षम होने से पहले ही इन दोनों कमियों को दूर कर लिया जाए।
कैबिनेट के स्वरुप में बदलाव
बीजेपी (BJP) के राष्ट्रीय नेतृत्व ने बड़ा संदेश देते हुए बिहार की पहली पीढ़ी के तमाम नेताओं को दरकिनार कर दिया है। पिछली सरकार में उप-मुख्यमंत्री रहे सुशील कुमार मोदी, पथ निर्माण मंत्री रहे नंदकिशोर यादव, कृषि मंत्री रहे प्रेम कुमार और राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रह चुके रामनारायण मंडल को कैबिनेट में जगह नहीं दी गई है। आलम ये है कि सिर्फ मंगल पांडेय अपना मंत्री पद बचा पाये हैं। कैबिनेट के बीजेपी के 7 मंत्रियों में से 5 तो ऐसे हैं, जो पहली बार मंत्री बने हैं।
कार्यकर्ताओं को साफ संदेश
इस बार बीजेपी (BJP) ने सोची-समझी रणनीति के तहत कैबिनेट में अपने परंपरागत नेताओं की जगह ऐसे नेताओं को जगह दी है, जो जमीन से जुड़े हुए नेता माने जाते हैं। ये ऐसे नेता हैं जो लगातार जीतते आ रहे थे, लेकिन अग्रिम पंक्ति के नेताओं में शामिल नहीं किये जाते थे। यही वजह है कि सुशील मोदी की जगह तारकिशोर प्रसाद को अहमियत दी गई है। तारकिशोर प्रसाद ने चुनावों में लगातार चौथी बार जीत दर्ज की है, लेकिन पहली बार मंत्री बने हैं। पार्टी का मैसेज साफ है….मंत्रालय में जगह चुनावी परफॉर्मेंस के आधार पर मिलेगी, सीएम से नजदीकी के आधार पर नहीं।
क्षेत्रीय संतुलन का पूरा ध्यान
बीजेपी (BJP) ने अपने कोटे के मंत्रिमंडल में भोजपुर, तिरहुत, चंपारण, मिथिलांचल और सीमांचल से आने वाले नेताओं को तरजीह दी है। ये वो इलाके हैं, जहां बीजेपी ने बेहतर प्रदर्शन किया है। पार्टी इन इलाकों में अपनी स्थिति और मजबूत करना चाहती है। भोजपुर के आरा इलाके से अमरेंद्र प्रताप सिंह को, तो तिरहुत से रामसूरत राय को कैबिनेट में शामिल किया गया है। वहीं, मिथिलांचल इलाके में बीजेपी (BJP) के बेहतर प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए यहां से दो मंत्री बनाए गए। जीवेश मिश्रा दरभंगा से और रामप्रीत पासवान मधुबनी से आते हैं। सीमांचल के विधायक को तो डिप्टी सीएम जैसा अहम पद दिया गया है।
जातीय समीकरण साधने की कोशिश
बीजेपी (BJP) की नजर नीतीश कुमार के अतिपिछड़ा और महिला वोटवैंक पर भी है। इसीलिए बीजेपी ने अपने कोटे से 2 पिछड़े, तीन सवर्ण, एक अतिपिछड़ा और एक दलित को मंत्रिमंडल में जगह दी है। अतिपिछड़ा नोनिया जाति का प्रतिनिधित्व करनेवाली रेणु देवी पहले भी मंत्री थीं, लेकिन उन्हें डिप्टी सीएम बनाकर इस वर्ग और महिला वोटर्स को सियासी संदेश देने की कोशिश की गई है। रामप्रीत पासवान, जो दलित समुदाय से आते हैं, ये भी पहली बार मंत्री बने हैं। इनके बहाने एलजेपी के परंपरागत वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश होगी। राजपूत समुदाय से अमरेंद्र प्रताप सिंह को तो वैश्य समुदाय से तारकिशोर प्रसाद को कैबिनेट में जगह दी गई है। इसी तरह भूमिहार समुदाय से जीवेश मिश्र और यादव समुदाय से रामसूरत राय को मंत्री बनाया गया है।
आसान नहीं आगे की राह
ये साफ जाहिर है कि बीजेपी (BJP) 2025 के चुनाव में अपने बलबूते पर सरकार बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। इसलिए मंत्रिमंडल के जरिए उसने जहां एक ओर क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश की है, वहीं पुराने और जमीन से जुड़े नेताओं को कैबिनेट में जगह देकर अपना आधार मजबूत करने की मंशा जाहिर की है।
दूसरी तरफ, बीजेपी (BJP) ने भले ही मुख्यमंत्री की कुर्सी नीतीश कुमार को सौंप दी हो, लेकिन अपने दो नये डिप्टी सीएम के जरिए सत्ता की ड्राइविंग सीट पर काबिज रहने का इरादा जता दिया है। डिप्टी सीएम की कुर्सी पर ऐसे दोनों नेताओं को बैठाया गया है, जो नीतीश कुमार की हां-हुजूरी करने के बजाय बिहार में बीजेपी के भविष्य को सुनिश्चित करने की दिशा में काम करेंगे। यानी नीतीश सरकार में बीजेपी (BJP) का पूरा दखल होगा और पार्टी अपने एजेंडे को लागू कराने से पीछे नहीं हटेगी।