अपनी-अपनी डफली…और खटराग!

बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar election) को लेकर दिग्गजों का दौरा शुरु हो गया है। संयोग देखिये कि शुक्रवार को नीतीश कुमार के समर्थन में पीएम मोदी ने चुनावी रैलियां का आगाज किया, तो आरजेडी के समर्थन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने। दोनों ने अपने-अपने तरीके से एक दूसरे पर निशाना साधा, लेकिन दोनों का फोकस राष्ट्रीय मुद्दे ही रहे। शायद दोनों को जनता की जरुरतों से ज्यादा अपनी इमेज भुनाने या दूसरे को नीचा दिखाने की फिक्र थी।

पीएम मोदी ने कौन से मुद्दे उठाये?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को चुनावी बिगुल फूंकते हुए सासाराम, गया और भागलपुर में रैली की। अपने भाषण में पीएम मोदी ने एक तरफ आरजेडी को निशाना बनाया, तो दूसरी तरफ अपनी पीठ भी थपथपाई। आइये एक नजर डालते हैं पीएम मोदी के भाषणों के कुछ अहम अंशों पर –
- बिहार में विकास हो, निवेश आए इसे कौन सुनश्चित करेगा? ये वो करेगा जिन्होंने सुशासन दिया है या फिर वो जिन्होंने जंगलराज दिया?
- एक समय था जब बिहार में सूरज ढलने के बाद सब कुछ बंद हो जाता था। डकैती, हत्या और रंगदारी सरकार की निगरानी में होता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है।
- आरजेडी की तरफ से किए गए सरकारी नौकरी का दावा सिर्फ रिश्वत कमाने का जरिया बननेवाला है।
- बिहार के लोगों ने मन बना लिया है, ठान लिया है कि जिनका इतिहास बिहार को बीमारू बनाने का है, उन्हें आसपास भी नहीं फटकने देंगे।
- बिहार में पहले जो सरकारें रही वो आदिवासी और पिछड़े लोगों को ठगती रही। जब-जब बिहार ने इन लोगों पर विश्वास किया है, इन लोगों ने बिहार के साथ, बिहार के गौरव के साथ विश्वासघात किया है।
- धारा 370 का फैसला हमने लिया, एनडीए की सरकार ने लिया…लेकिन आज ये लोग इस फैसले को पलटने की बात कर रहे हैं। ये कह रहे हैं कि सत्ता में आए तो आर्टिकल-370 फिर लागू कर देंगे।
- एनडीए के विरोध में आज जो लोग खड़े हैं, वो देशहित के हर फैसले का विरोध कर रहे हैं। जम्मू कश्मीर से धारा-370 हटाने का फैसला हो, तीन तलाक के विरुद्ध कानून बनाकर मुस्लिम महिलाओं को नए अधिकार देना हो, सुप्रीम कोर्ट अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने को कहे, ये लोग विरोध में हैं।
- हाल ही में देश की कृषि को आधुनिक बनाने के लिए बड़े सुधार किए गए हैं, उनका भी लाभ बिहार के किसानों को होगा।
- ये एनडीए की ही सरकार है, जिसने किसानों को लागत का डेढ़ गुना एमएसपी देने की सिफारिश लागू की थी।
- यूपीए सरकार ने अपने दस वर्षों के शासन काल के दौरान बिहार के विकास को रोकने का काम किया।

राहुल गांधी ने कौन से मुद्दे उठाये?
कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी शुक्रवार को नवादा जिले के हिसुआ से बिहार में अपनी चुनावी (Bihar election) रैली का आगाज किया। राहुल गांधी ने भी अपने भाषणों में सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी गलतियों पर फोकस किया। उनके भाषण में भी बिहार के लोग और बिहार के मुद्दे कम ही थे। आइये एक नजर डालते हैं राहुल गांधी के भाषणों के कुछ अहम अंशों पर –
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को कमजोर कर दिया है। देश की अर्थव्यवस्था दबी हुई है। किसान कुचले जा रहे हैं और मजदूर आर्थिक बोझ तले दबे हैं।
- देश की नीतियां कमजोर हैं और इसी का फायदा उठाते हुए चीन ने हमारी 1200 किमी जमीन पर कब्जा कर लिया है। चीन ने हमारे देश के 20 जवानों को शहीद कर दिया लेकिन पीएम मोदी ने शहादत को लेकर झूठ बोला। जमीन पर कब्जा करने की बात भी छुपाये रखी।
- एनडीए बोल रहा है कि बिहार में फिर सरकार बनी तो 19 लाख युवाओं को रोजगार देंगे तो बिहार में डबल इंजन की सरकार अबतक क्या कर रही थी?
- मोदी सरकार ने नोटबंदी व जीएसटी की कुल्हाड़ी चलाई, जिससे लोग आज भी लहूलुहान हैं।
- जब चीन हमारी ज़मीन के अंदर आया तो हमारे PM ने वीरों का अपमान करते हुए ये क्यों बोला कि हिन्दुस्तान के अंदर कोई नहीं आया?
- मोदी और नीतीश चुनिंदा उद्योगपतियों के लिए सरकार चलाते हैं। नरेंद्र मोदी देश की जनता का पैसा लूटते हैं और चंद उद्योगपतियों को दे देते हैं।
- प्रधानमंत्री ने पिछले चुनाव में कहा था कि दो करोड़ लोगों को नौकरियां देंगे। क्या लोगों को नौकरियां मिलीं?
- हमारी सरकार ने किसानों का 70 हजार करोड़ का कर्जा माफ किया और जब सरकार बनी, तो मध्यप्रदेश, पंजाब और छत्तीसगढ़ में कर्जा माफ किया है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत 22 दिन में कोरोना मुक्त हो जाएगा। मैं फरवरी से ही कहते आ रहा था कि कोरोना के कारण भारत के गरीब, मजदूर और किसान बुरी तरह से प्रभावित होंगे लेकिन मेरा मजाक बनाया गया।
- यूपीए सरकार ने देश के गांव-शहर दोनों के विकास पर ध्यान दिया, लेकिन मोदी सरकार ने दोनों को खत्म कर दिया।

किसको कितना फायदा?
दोनों नेताओं ने आज जितनी भी बातें कहीं, घूम-फिरकर वही सब बातें आनेवाली सभी चुनावी रैलियों में जनता के सामने कही जाएंगी। स्थानीय नेताओं को भीड़ देखकर तसल्ली होगी और दूसरे उम्मीदवारों के सामने सीना चौड़ा कर चलने का हौसला मिलेगा। लेकिन अगर जनता की बात करें, तो उनकी भीड़ देखकर उनकी वोटिंग का पैटर्न का अनुमान लगाना बेवकूफी होगी। बिहार की जनता अभी सभी रैलियों में पहुंच रही है, सभी को सुन रही है, मन ही मन तोल रही है और उसका फैसला शत-प्रतिशत उसका होगा।
जनता अब इतनी नासमझ नहीं है कि चुनावी रैलियों में किये वादों पर यकीन करे या नेताओं के भाषण सुनकर अपना मन बदल ले। साल भर पहले झारखंड चुनाव में ये साबित भी हो चुका है। दर्जनों रैलियां करने के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी वहां की सरकार नहीं बचा सके, ना ही राहुल गांधी कुछ खास कमाल दिखा सके। जनता ने अपना मन बना लिया था और इसी आधार पर वोटिंग की। बिहार में भी ऐसा ही होना है…चाहे आप राष्ट्रीय मुद्दा उठाओ या स्थानीय…चाहे मोदी -नीतीश की कमियां निकालो…या लालू राज की दुहाई दो….इस शोर-शराबे से हवा नहीं बदलने वाली।
नेता एक सीधी बात नहीं समझ रहे कि यहां मुद्दा ना तो मोदी सरकार है ना उसकी उपलब्धियां या कमियां….नई पीढ़ी को लालू राज की अराजकता भी याद नहीं…इसलिए मुद्दा सिर्फ नीतीश सरकार है। उसे रखना है…या हटाना है…जनता सिर्फ इसी मुद्दे पर अपनी राय बना रही है।