दबाव में बीजेपी, मौज में एलजेपी!
Share

बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar election) में एलजेपी (LJP) ने गजब की हलचल मचा रखी है। आलम ये है कि जदयू को भरोसा दिलाने के लिए खुद केंद्रीय गृहमंत्री और पूर्व भाजपा (BJP) अध्यक्ष अमित शाह को सफाई देनी पड़ रही है। अमित शाह ने मीडिया से बातचीत के दौरान साफ कहा कि अगर बीजेपी (BJP) की जदयू से ज्यादा सीटें भी आएं, तो भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बनेंगे। सूत्रों के मुताबिक जदयू को लोजपा (LJP) ने इतना परेशान कर रखा है कि वो इतने से भी संतुष्ट नहीं है। उनकी मांग है कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस बारे में स्पष्ट संदेश दें।

जदयू (JDU) को क्या है परेशानी?
लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने बिहार विधान सभा चुनाव में जद(यू) के खिलाफ 16 पूर्व भाजपाईयों को उतार दिया है। सूत्रों के मुताबिक अभी इनकी संख्या के और बढ़ने के पूरे आसार हैं। ऊपर से चिराग ये बयान दे रहे हैं कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हनुमान हैं। चिराग पासवान के इस रणनीति से सीधे तौर पर बीजेपी (BJP) को फ़ायदा होता दिख रहा है। इसलिए जदयू का श़क बीजेपी पर जा रहा है। वहीं बीजेपी में जो लोग नीतीश कुमार से नाराज़ हैं, उन्हें भी इससे ताकत मिली है और चुनाव के दौरान वो भी जदयू की जड़ें खोद सकते हैं। अब नीतीश को समझ में नहीं आ रहा है कि बीजेपी (BJP) में किस पर भरोसा करें और किस पर नहीं। ऐसे में नीतीश कुमार के लिए चिंतित होना स्वाभाविक है।

क्या सोच रही है बीजेपी (BJP)?
यूं तो अमित शाह, प्रकाश जावड़ेकर और सुशील मोदी जैसे तमाम नेताओं ने लोजपा (LJP) से अपने संबंधों को लेकर सफाई दी है। लेकिन राजनीति के जानकारों का मानना है कि बीजेपी ने पहले तो जनता के बीच ये संदेश जाने दिया कि लोजपा(LJP) उनकी ही B टीम है और जब नीतीश कुमार की ओर से दबाव बढ़ा तो अब दिखावे के लिए सफाई दे रही है।
वैसे बीजेपी (BJP) की ओर से सफ़ाई भी सिर्फ़ इसलिए दी जा रही है ताकि आगे चलकर कोई सवाल उठे तो कह सकें कि हमने तो सभी कदम उठाये थे। इसी प्लानिंग के तहत बीजेपी ने उन 9 नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया है, जो एलजेपी में गए हैं। ये सफ़ाई और कार्रवाई सिर्फ़ इसलिए हुई है कि कहीं ऐसा ना हो बीजेपी और जेडीयू के बीच भीतरघात ही शुरू हो जाए।

पीके की सलाह पर चल रहे हैं चिराग?
इस बात की भी चर्चा है कि चिराग पासवान को ये सारी रणनीतिक चतुराई प्रशांत किशोर से मिल रही है। किसी जमाने में नीतीश कुमार के फेवरेट रहे प्रशांत किशोर अब चिराग पासवान के सलाहकार बन गये हैं। माना जा रहा है कि चुनावी रणनीति के माहिर खिलाड़ी प्रशांत किशोर की वजह से ही नीतीश कुमार का बना-बनाया खेल बिगड़ता दिख रहा है। प्रशांत किशोर फिलहाल पश्चिम बंगाल में भी ममता बनर्जी को राजनीतिक सलाह दे रहे हैं।
क्या है एलजेपी (LJP) की रणनीति?
दरअसल, एनडीए में जीतन राम मांझी को जोड़ने की कोशिशों के बाद ही चिराग को अंदाजा हो गया था कि नीतीश उनके पर काटने में लगे हैं। वहीं उन्हें बिहार में सत्ता-विरोधी लहर का भी आभास हो रहा था। इसलिए उन्होंने एनडीए से अलग होकर 143 सीटों पर चुनाव में उतारने का फैसला किया, लेकिन केन्द्र में एनडीए का साथ नहीं छोड़ा। इसके पीछे उनका मकसद साफ था – चुनाव में बीजेपी (BJP) उम्मीदवारों को लाभ पहुंचाना, जदयू के उम्मीदवारों को हराना और लोजपा का आधार मजबूत करना।
लोजपा (LJP) सरकार विरोधी वोट में सेंध लगाना चाहती है, लेकिन इसके साथ ही उसकी कोशिश है कि इन सीटों पर बीजेपी समर्थक वोट उसके पाले में आ जाए ताकि जेडीयू को झटका लग सके। वर्ष 2015 के चुनाव में कई ऐसी सीटें थी, जहां बीजेपी ने बहुत अच्छा चुनाव लड़ा था, पर वह जेडीयू से हार गई। ताजा हालात में जेडीयू के लिए ऐसी सीटों पर जीत हासिल करना मुश्किल होगा। वहीं लोजपा (LJP) अगर कुछ वोट हासिल करने में सफल रहती है, तो वह जीत की दहलीज तक पहुंच सकती है।

कितनी सटीक है बीजेपी की सफाई?
एलजेपी (LJP) ने बीजेपी के लिए भी असमंजस की स्थिति खड़ी कर दी है। एक तरफ पार्टी बिहार के कद्दावर नेता राम विलास पासवान के दिवंगत होने के बाद दलित वोटों की सहानुभूति बनाए रखना चाहती है, तो दूसरी तरफ जदयू को नाराज करने का खतरा नहीं मोल लेना चाहती। यही वजह है कि शनिवार को बिहार भाजपा प्रभारी भूपेंद्र यादव ने लोजपा (LJP) पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि इस पर पहले ही इस पर बहुत कुछ कहा जा चुका है। उनकी इन बातों से कयास लगने शुरू हो गए हैं कि क्या भाजपा (BJP) अब चिराग के साथ नरमी बरतने के मूड में है?