Bihar Election: NDA को मिला बहुमत, महागठबंधन 110 सीटों पर अटका
बिहार विधानसभा के नतीजों में काटे की टक्कर देखी जा रही थी। शुरूआती रुझानों में महागठबंधन आगे चल रही थी। लग रहा था कि महागठबंधन आराम से बहुमत हासिल कर सरकार बना लेगी। तेजस्वी यादव देश के सबसे युवा मुख्यमंत्री बन जायेंगे। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। जैसे ही सुबह से दोपहर होता गया रुझानों में भी बदलाव होता गया। फिर पुरे दिन एनडीए आगे चलता गया। हालांकि शाम में एक बार फिर महागठबंधन लीड करती दिख रही थी लेकिन, 113 से ऊपर नहीं जा पा रही थी और अंत में 110 सीटों पर जा अटकी।
फाइनल रिजल्ट एनडीए के पक्ष में गया। एनडीए को 125 सीटों के साथ बहुमत मिल गया और महागठबंधन और तेजस्वी यादव का मुख्यमंत्री बनने का सपना टूट गया। इस चुनाव में एआईएमआईएम ने पांच सीटें, लोजपा एवं बसपा ने एक-एक सीट जीती हैं। एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार भी जीतने में सफल रहा है। वहीं, एग्जिट पोल पूरी तरह फेल हो गयी। क्योंकि सारे एग्जिट पोल्स में एनडीए की हार और महागठबंधन की जीत दिखाया गया था।
निर्वाचन आयोग के मुताबिक, भाजपा ने 74 सीटों पर, जनता दल (यूनाइटेड) ने 43 सीटों पर, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने चार और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) ने चार सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं, विपक्षी महागठबंधन में शामिल राजद ने 74 सीटों पर, कांग्रेस ने 19 सीटों पर, भाकपा माले ने 12 सीटों पर, भाकपा व माकपा ने दो-दो सीटों पर जीत दर्ज की है।
बड़ी बात यह है कि जदयू को पिछले विधानसभा चुनाव से 28 सीटें कम मिली। जबकि वोट प्रतिशत घटने के बावजूद भाजपा की सीटें बढ़ी हैं। वहीं, राजद 75 सीटों पर जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी है। इधर राजद के सहयोगी वामदलों को फायदा हुआ जबकि कांग्रेस नुकसान में रही। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने सीमांचल में महागठबंधन का नुकसान किया है।
2019 लोकसभा चुनाव के मुकाबले भाजपा का वोट शेयर करीब पांच फीसदी कम हुआ है। भाजपा को आम चुनाव में 24.06 फीसदी वोट मिले थे। जबकि, इस बार 19.3 फीसदी वोट मिले हैं। हालांकि इस बार 57.05 फीसदी वोटिंग हुई, जबकि 2015 में 56.6 फीसदी लोगों ने वोट दिया था। इधर जीत के बाद पीएम मोदी, और शाह ने जताया जनता का आभार जताया।