बिहार चुनाव: डबल इंजन बनाम डबल युवराज!

एक ओर बिहार विधानसभा (Bihar election) की 94 सीटों के मतदान हो रहा है, तो दूसरी ओर अगले चरण के लिए चुनाव प्रचार जोरों पर है। मंगलवार को अररिया और सहरसा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) ने चुनावी जनसभा को संबोधित किया और एक बार फिर डबल युवराज पर निशाना साधा। उनके भाषणों में अब ये साफ दिख रहा है कि उनका फोकस तेजस्वी यादव की सरकार बनने से रोकने पर ज्यादा है, नीतीश सरकार को दुबारा लाने पर कम।

पीएम मोदी (PM Modi) के भाषण की 10 अहम बातें
- बिहार की पवित्र भूमि ने ठान लिया है कि इस नए दशक में बिहार को नई ऊंचाई पर पहुंचाएंगे। बिहार के लोगों ने जंगलराज को, डबल-डबल युवराजों को सिरे से नकार दिया है।
- बिहार वो दिन कभी भूल नहीं सकता, जब चुनाव को इन लोगों ने मजाक बनाकर रख दिया था। इनके लिए चुनाव का मतलब था- चारों तरफ हिंसा, हत्याएं, बूथ कैप्चरिंग।
- आज NDA के विरोध में जो लोग खड़े हैं, वो इतना कुछ खाने-पीने के बाद अब फिर से बिहार को लालच भरी नजरों से देख रहे हैं, लेकिन बिहार की जनता जानती है कि कौन बिहार के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और कौन अपने परिवार के विकास के लिए।
- आज बिहार में अहंकार हार रहा है, परिश्रम फिर जीत रहा है। आज बिहार में घोटाला हार रहा है, लोगों का हक़ फिर जीत रहा है। आज बिहार में गुंडागर्दी हार रही है, कानून का राज वापस लाने वाले फिर जीत रहे हैं।
- बिहार अब उन लोगों को पहचान चुका है, जिनका एकमात्र सपना है कि किसी तरह लोगों को डराकर, अफवाह फैलाकर, लोगों को बांटकर किसी भी तरह से सत्ता हथिया लेना। इनकी तो बरसों से यही सोच है, इन्होंने यही देखा है, यही समझा है, यही सीखा है।
- बिहार में कहा जाता है- अनकर धन पाईं, त नौ मन तौलाईं। स्वार्थ का भाव ये कि जब दूसरे का पैसा है, तो जितना चाहे खरीदो, क्या फर्क पड़ता है। जब जनता का पैसा है, तो जितना चाहे लूटो। ये लोग जनता के लिए, आपके लिए काम नहीं कर सकते।
- कांग्रेस ने देश के लोगों के क्या-क्या सपने दिखाए। चुनाव से पहले कहते थे गरीबी हटाएंगे, किसान का कर्जा माफ करेंगे, टैक्स कम करेंगे। बातें बहुत कीं, लेकिन इतिहास गवाह है, दस्तावेज गवाह हैं कि इन्होंने इसमें से एक भी काम नहीं किया, सिर्फ लोगों को गुमराह किया।
- आज बिहार में परिवारवाद हार रहा है, जनतंत्र फिर जीत रहा है। रंगबाज़ी और रंगदारी हार रही है, विकास फिर जीत रहा है। अहंकार हार रहा है, परिश्रम फिर जीत रहा है। घोटाला हार रहा है, लोगों का हक फिर जीत रहा है।
- जंगलराज ने बिहार के साथ विश्वासघात किया, उसे बिहार के नागरिक अच्छी तरह जानते हैं। गरीब-गरीब की बात करने वालों ने ही बिहार के गरीबों को चुनावों से दूर किया।
- बिहार में जंगलराज लाने वालों के साथियों को भारत माता से दिक्कत है। कभी एक टोली कहती है कि भारत माता की जय के नारे मत लगाओ, कभी दूसरी टोली को भारत माता की जय से सिरदर्द होने लगता है। ये भारत माता के विरोधी अब एकजुट होकर बिहार के लोगों से वोट मांग रहे हैं।

क्या हैं इसके मायने?
आम तौर पीएम मोदी (PM Modi) के भाषणों में क्षेत्रीय मुद्दे हावी रहते हैं, स्थानीयता का पुट रहता है और उपलब्धियों की बात होती है। लेकिन पहला चरण खत्म होते-होते चुनाव प्रचार के सुर बदल गये और सारा फोकस लालू-राज, जंगल राज और डबल युवराज पर आ गया। अब पीएम (PM Modi) के भाषणों में नीतीश सरकार की उपलब्धियों का बात नहीं होती, ना ही रोजगार, विकास के वादे होते हैं। अब सिर्फ भविष्य के जंगलराज से डराने की कोशिश होती है। पीएम मोदी (PM Modi) के भाषणों के इस बात के भी संकेत मिलते हैं कि तेजस्वी यादव कड़ी टक्कर दे रहे हैं और उनकी बढ़ती लोकप्रियता बीजेपी और सहयोगी दलों को ज्यादा आक्रामक रुख अपनाने पर मजबूर कर रही है।

कुल मिलाकर बीजेपी के चुनाव प्रचार का मकसद नीतीश की छवि बचाना नहीं है, बल्कि तेजस्वी की छवि बिगाड़ना है। अब सवाल इस बात का नहीं है कि कौन अच्छा है, बल्कि इस बात का है कि कौन ज्यादा बुरा है। यही सवाल जनता के सामने भी है…आखिर दोनों में से कौन कम बुरा होगा? किसको वोट दें कि नुकसान कम हो? फायदे की उम्मीद किसी से नहीं है। शायद इसीलिए मतदान का प्रतिशत भी औसत रहा है। जनता ना बदलाव के लिए उत्साहित दिख रही है, ना सहयोग के लिए।