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कोयले की राजधानी में काला साम्राज्य

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कोयले की राजधानी में काला साम्राज्य

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झारखंड बीजेपी अध्यक्ष बाबू लाल मरांडी ने कोयले की राजधानी धनबाद में अपराधियों के काले साम्राज्य को  लेकर एक ट्वीट किया है।

इस ट्वीट के बाद धनबाद में कोयला, क्राइम और कानून को लेकर चर्चा होना लाजिमी है।

करीब दो महीने पहले यहां RSS कार्यकर्ता शंकर प्रसाद डे को अपराधियों ने दिन दहाड़े गोली मार दी थी।

क्राइम रिकार्ड ब्यूरो झारखंड के मुताबिक इस साल की पहली छमाही में राज्य में अपराध की घटनाओं में इजाफा हुआ है।

झारखंड का जिलाअपराध की घटनाओं में स्थान
रांची1
धनबाद2
बोकारो3
गिरिडीह4

स्रोत- झारखंड क्राइम रिकार्ड ब्यूरो ( 4 सितंबर 2023)

इस साल जनवरी से जून तक चोरी की घटनाओं में धनबाद (536) दूसरे और बलात्कार की घटनाओं में तीसरे (38) स्थान पर रहा है। अकेले जुलाई के महीने में झारखंड में  हत्या (173), लूट (42) और अपहरण(142) जैसे कुल 5784 संज्ञेय अपराध दर्ज किए गए हैं। जहां जनवरी से मार्च तक अपराध की घटनाओं में गिरावट दर्ज की गई है, वहीं मार्च से अपराध का ग्राफ राज्य में तेजी से बढ़ा है।

धनबाद पुलिस ने अपराध की रोकथाम के लिए बीते महीनों में कई अहम कदम भी उठाए हैं. चालीस के करीब हिस्ट्रीशीटर अपराधियों की पहचान कर उनके ऊपर CCA यानी क्राइम  कंट्रोल एक्ट के तहत कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। इस एक्ट में एडवायजरी बोर्ड की  सहमति मिलने पर एक साल तक मुजरिमों को बेल नहीं दिए जाने का प्रावधान है। इसके अलावा 180 से ज्यादा अपराधियों पर गुंडा एक्ट लगा कर उन्हें नजदीकी थाने में हर  हफ्ते हाजिरी लगाने का आदेश दिया गया है। सवाल है क्या इतना काफी है?

धनबाद में अमन सिंह और वासेपुर के प्रिंस खान जैसे गैंगस्टरों की आज भी तूती बोलती है। बीते चंद महीनों में शहर के दो दर्जन से ज्यादा कारोबारियों को रंगदारी देने या फिर हत्या और अपहरण के लिए तैयार रहने की धमकी मिल चुकी है। यहां के अपराधी इतने हाईटेक हैं कि धमकी के लिए VPN  या वेब कॉल का इस्तेमाल करते हैं। नतीजा ये कि पुलिस इन कॉल्स को ट्रेस नहीं कर पाती। अपराध के बाद  प्रिंस खान जैसे अपराधी  सोशल मीडिया पर ऑडियो वीडियो मैसेज भेज कर अपना गुनाह कबूल भी करते हैं, लेकिन इनका कुछ बिगड़ता नहीं। सीआईडी की तफ्तीश से पता चला है कि प्रिंस खान को पासपोर्ट दिलाने में  जिले के कुछ पुलिस अधिकारियों ने बड़ी मेहनत की थी। दबी जुबान में कुछ स्रोत बताते हैं कि  झारखंड के हर पुलिस अधिकारी का सपना होता है कि चाहे बस एक साल के लिए ही  सही, रिटायरमेंट के पहले एक बार धनबाद में पोस्टिंग मिल जाए। चंद साल पहले एनआईए की एक खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि पांच साल पुरानी ज्वाइनिंग वाले,  राज्य के  लगभग सभी नए आईपीएस अफसर का नोएडा में कम से एक फ्लैट है।

सच शायद यही है कि झारखंड में जहां भी कोयला है, वहां अवैध ढुलाई के धंधे में लगे शांत ठेकेदार और शातिर अपराधी हैं, उन्हें अपनी छत्रछाया में रखने वाले नेता हैं,  अपना कट लेने के लिए बेकरार कंपनी और प्रशासन के अफसर हैं,  लेवी, कमीशन वसूल रहे क्रिमिनल हैं और इन सबके बीच कहीं अपराध की रोकथाम तो कहीं वसूली में लगी पुलिस है।   

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