अपने गढ़ को भी नहीं बचा सकी BSP, प्रियंका गांधी की एंट्री होते ही कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन
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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के घोषित परिणाम में बहुजन समाज पार्टी को बड़ा झटका लगा है. राज्य में पार्टी का एक विधायक ही चुनाव जीत सका है. हालांकि बीएसपी को चुनाव में 12 फीसदी से ज्यादा वोट मिले हैं. लेकिन, संख्याबल के आधार पर वह एक ही सीट पर जीत दर्ज कर सकी है. खास बात ये है कि जिन जिलों को को भी बीएसपी का गढ़ कहा जाता था, उनमें भी पार्टी को बड़ी हार का सामना करना परड़ा है और 2017 के बाद ये पार्टी की लगातार दूसरी बड़ी हार है.
दरअसल 2017 के चुनाव में बीजेपी की आंधी के बावजूद बीएसपी राज्य में 19 सीटें जीतने में सफल रही थी और इस दौरान उसने अंबेडकर नगर जिले में सबसे ज्यादा सीटें जीती थी. लेकिन इस चुनाव में वह अपने इस किले को भी बचाने में विफल रही और सियासी तौर पर हाशिए में आ गई है. असल में मायावती पश्चिमी यूपी से आती हैं और पश्चिम उत्तर प्रदेश के आगरा, मुफरनगर और बिजनौर जैसे जिलों में बीसएपी को हमेशा से ही जीत मिलती आयी है और पार्टी ने यहां पर ज्यादा सीटें जीती हैं.
राज्य में कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है. राज्य में कांग्रेस (Congress) महज दो सीटें जीत सकी है और इस बार उसका वोट शेयर भी पिछले चुनाव की तुलना में गिर गया है. राज्य में कांग्रेस प्रियंका गांधी की अगुवाई में चुनाव लड़ रही थी. लेकिन पार्टी उनके नेतृत्व में प्रदर्शन नहीं कर सकी है और पार्टी के दो विधायक ही विधानसभा की दहलीज को पार करने में सफल हुए हैं. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू भी विधानसभा चुनाव हार गए हैं.
राज्य में कांग्रेस की ताकत विधानसभा में कमजोर हो रही है. जहां 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 28 सीटें जीती थी. वहीं ये आंकड़ा 2017 के विधानसभा चुनाव में 7 तक पहुंच गया. फिलहाल प्रियंका गांधी की अगुवाई में कांग्रेस की ये दूसरी बड़ी हार है. इससे पहले कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव में एक ही सीट पर सिमट गई थी. पार्टी महज रायबरेली की सीट जीतने में कामयाब रही और अमेठी की सीट पर उसने बड़ी हार का सामना करना पड़ा था.
BSP could not even save its stronghold, Congress’s worst performance as soon as Priyanka Gandhi entered