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Cbi: राख हुई साख

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Cbi: राख हुई साख

CBI: the caged parrot
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….अगर कोई मूर्खता की बात कहे तो पूछा जाता है… तुम्हारीअकल क्या घास चरने गई है?

अब एक घास काटने वाली महिला और उसका परिवार कह रहा है कि उसे CBI की जांच पर ऐतबार नहीं है

CBI की साख पूरी तरह राख हो चुकी है

हाथरस मामले में जिस बच्ची की मौत हुई, वो बीते 14 सितंबर को अपनी मां के साथ सुबह के 9.30 बजे घास काटने गई थी…जब उसके साथ कथित तौर पर गैंग रेप हुआ…अब उसके परिवार वालों का कहना है कि उन्हें CBI पर भरोसा नहीं है..भीम आर्मी के चंद्रशेखर की भी अपील है  कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज इस मामले की जांच करें।

यानी हाथरस में पीड़ित परिवार को CBI पर भरोसा नहीं है, विरोधी पार्टियों को CBI पर भरोसा नहीं है और जिस तरह CBI जांच की सिफारिश के बाद भी हाथरस के एसपी घटना स्थल का मुआयना करते हैं, एसआईटी की जांच जारी है और राज्य के अवर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी और डीजीपी हितेश अवस्थी  पीड़ित परिवार से मिल रहे हैं उससे ये संदेश जाता है कि राज्य सरकार को भी CBIजांच पर भरोसा नहीं है ।  

अभी जबकि बात CBI की साख की हो रही है…इस वक्त कर्नाटक में CBI ने  कर्नाटक कांग्रेस के अध्‍यक्ष डीके शिवकुमार के 15 से ज्‍यादा ठिकानों पर छापेमारी की है..उन पर मुकदमा दर्ज किया है ।डीके शिवकुमार की वजह से कर्नाटक में कांग्रेस जेडीएस की सरकार बनी थी और डीके की वजह से काफी अरसे तक कांग्रेस अपने विधायकों को बीजेपी से बचा पाई थी। इसके बाद डीके पर ईडी और इनकमटैक्स के छापे पड़े, मनी लांडरिंग के आरोप में  उन्हें ईडी ने गिरफ्तार किया था.   ..कर्नाटक में बीजेपी की सरकार बनी ..डीके बाहर आए… अब CBI उनके खिलाफ आय से ज्यादा संपत्ति के मामले की जांच कर रही है।

 इसके पहले राजस्थान में जब गहलौत सरकार बीजेपी से पार्टी विधायकों को बचाने की कोशिश में लगी थी, तभी मुख्यमंत्री गहलौत के रिश्तेदारों के यहां ईडी के छापे पड़े थे।

हाल ही में …28 साल बाद बाबरी मस्जिद का फैसला आया तो फिर CBI की जांच पर सवाल उठे। इस मामले में पूरी दुनिया के सामने सेकुलर इंडिया की छवि धूमिल हुई…घटना के वीडियो हैं, फोटो हैं, तीन सौ से ज्यादा लोगों की गवाही थी …फिर भी CBI एक भी आरोपी को सजा नहीं दिलवा पाई…ये तब जबकि तीन साल पहले सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस नरीमन ने CBI पर स्ट्रिक्चर पास किया था, आडवाणी समेत कई आरोपियों पर आपराधिक षडयंत्र का मामला दर्ज करने का आदेश दिया था।

CBI की नाकामी का ये कोई अकेला मामला नहीं है

विजय माल्या के इंग्लैंड भागने की जांच हुई तो पता चला कि CBI ने माल्या के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर पहले उन्हें पकड़ने का (detaining him )आदेश दिया था, बाद में इसे बदल कर सिर्फ उनके विदेश जाने की सूचना देने (just reporting his travels ) का आदेश दिया था ..यानी…CBI ने माल्या को पकड़ने के बजाय देश केबाहर  भागने में उनकी मदद की

29 अप्रैल 1970 को होम मिनिस्टर Y.B. Chavan ने संसद में पहली बार CBI के लिए कानून मंत्रालय की सलाह से एक केंद्रीय कानून बनाने का प्रस्ताव दिया था। 1991-92 में जसवंत सिंह की अध्यक्षता में एस्टीमेट कमेटी ने भी CBI के लिए एक अलग से कानून बनाने का सुझाव दिया था। लेकिन इस सुझाव पर अमल नहीं हुआ।   1978 में होम सेक्रेटरी L.P. Singh ने CBI के काम-काज में सुधार के लिए कई सुझाव दिए थे। इन सुझावों पर आज तक अमल नहीं हुआ।  2005 में  Right to Information Act पारित हुआ लेकिन CBI पर ये लागू नहीं होता। ये लागू होता तो सीबीआई के काम-काज का सोशल ऑडिट हो पाता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

मारूति मामले में संसद में जवाब देने के लिए जब इंडस्ट्री डिपार्टमेंट के चार अफसरों ने सूचना इकट्ठी करनी शुरू की तो इंदिरा गांधी और आर के धवन के दबाव में CBIडायरेक्टर D. Sen के आदेश पर इन अफसरों के यहां छापा पड़ा और उन्हें गिरफ्तार भी किया गया।

बोफोर्स मामले में 60 करोड़ के कथित रिश्वत की CBI ने 21 साल जांच की और इस जांच में 250 करोड़ से ज्यादा रकम खर्च करने के बाद .. अदालत में क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी। इसके पहले..CBI ने. दिसंबर 2005 में लंदन जाकर ब्रिटेन की सरकार से क्वात्रोकी को  जब्त खाते से रकम निकालने देने की गुहार लगाई और  तीन साल बाद फिर इंटरपोल से क्वात्रोकी के खिलाफ रेडकार्नर नोटिस वापस लेने की फरियाद की। क्वात्रोकी को CBI से डरना चाहिए था, लेकिन वो जुलाई 2013 में मरते दम तक, CBI का शुक्रगुजार रहा क्योंकि जिस एजेंसी पर अदालत और सरकार ने 21 साल तक क्वात्रोकी के खिलाफ तफ्तीश करने की जिम्मेदारी सौंपी उसी एजेंसी ने अदालत में एक भी दिन पेश हुए बगैर उसकी रिहाई के सारे इंतजाम किए।

6 मई 2013 को coal gate मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस R.M. Lodha को जब पता चला कि CBIने अदालत में जो हलफनामा दायर किया है वो कानून मंत्री अश्विनी कुमार के दबाव में दायर किया है तब उन्होंन कहा था कि सीबीआई पिंजड़े में कैद तोता है …

आज भी ये तोता राम-राम तभी बोलता है जब उसे दाना चुगाने वाला मालिक कहता है …बोलो राम..राम

अगर कोई मूर्खता की बात कहे तो कहा जाता है तुम्हारीअकल क्या घास चरने गई है?अब एक घास काटने वाली महिला और उसका परिवार कह रहा है कि उसे सीबीआई की जांच पर ऐतबार नहीं है>

Posted by Hastag Khabar on Monday, October 5, 2020
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