चीन चाहता था कि PM मोदी से हो उसके विदेश मंत्री वांग यी की मुलाकात, लेकिन भारत ने कर दिया मना
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की और भारतीय विदेश मंत्री ने अपने चीनी समकक्ष से मुलाकात की तस्वीर ट्वीटर पर शेयर करते हुए कहा, “हैदराबाद हाउस में चीनी एफएम वांग यी का अभिवादन किया।” वांग आखिरी बार दिसंबर 2019 में भारत आए थे। लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य गतिरोध के दो साल के करीब हो चुके हैं और अभी तक दोनों देशों के संबंध सामान्य नहीं हुए हैं, लिहाजा जब गुरुवार शाम चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत पहुंचे, तो कई लोगों के लिए उनका यह दौरा काफी आश्चर्यजनक है।
पूर्वी लद्दाख में 5 मई, 2020 को पैंगोंग झील क्षेत्र में गतिरोध शुरू हुआ था और 6 जून को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के लिए सैन्य अधिकारियों के बीच बातचीत शुरू हुई और दो क्षेत्रों में अभी भी चीनी सैनिकों का पीछे जाना बाकी है। LAC के दोनों ओर लगभग 50,000 सैनिकों के जमा होने के साथ गतिरोध अनसुलझा है।
चीनी विदेश मंत्री वांग यी के नई दिल्ली के दौरे के पीछे की सबसे बड़ी वजह, बीजिंग का द्विपक्षीय वार्ता को पुनर्जीवित करने की कोशिश और इस साल के अंत में चीन में ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन के लिए मंच तैयार करने के पीछे की प्रैक्टिस है। इसने दोनों पक्षों से संभावित उच्च-स्तरीय यात्राओं के साथ शुरू होने वाली बातचीत को शुरू करने के लिए कार्यक्रमों की एक श्रृंखला का प्रस्ताव दिया है।
शुरुआत में बीजिंग ने चीनी स्टेट काउंसलर वांग यी की भारत यात्रा का प्रस्ताव रखा। इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर को पारस्परिक चीन की यात्रा करनी है। वहीं, उसके बाद चीन की पक्ष से चीन कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो के कई उच्च अधिकारी भी भारत की यात्रा पर आने का प्रस्ताव चीन की तरफ से दिया गया है। वहीं, चीन की तरफ से दोनों देशों के बीच ‘भारत-चीन सभ्यता संवाद’ आयोजित करने का भी सुझाव दिया है। इसके अलावा, चीन के विदेश मंत्री ने भारत के सामने ‘भारत चीन ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन फोरम’ बनाने और ‘इंडिया-चायना फिल्म फोरम’ बनाने का भी प्रस्ताव रखा है।
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की. रिपोर्ट के मुताबिक बीजिंग चाहता था कि वांग यी की मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हो, लेकिन विदेश मंत्रालय ने चीन के इस अनुरोध को विनम्रता के साथ मना कर दिया. भारतीय पक्ष ने चीन के विदेश मंत्री और बीजिंग को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को व्यस्त थे, क्योंकि उन्हें लखनऊ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होना था. गौरतलब है कि दो साल से अधिक समय के बाद चीन का कोई मंत्री भारत दौरे पर आया. चीन के विदेश मंत्री वांग यी गुरुवार शाम 7.45 बजे राजधानी दिल्ली पहुंचे और शुक्रवार दोपहर करीब 3 बजे यहां से बीजिंग वापस हो लिए. सूत्रों ने कहा कि चीन ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को विशेष प्रतिनिधि के रूप में बीजिंग आमंत्रित किया है.
बातचीत के दौरान भारतीय छात्रों के चीन लौटने का मुद्दा उठाया, ताकि वे अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें। साथ ही, उम्मीद जतायी कि बीजिंग इस विषय पर ‘बिना भेदभाव वाला रूख’ अपनायेगा। जयशंकर ने शुक्रवार को वांग के साथ दिल्ली में विस्तृत बातचीत की । चीनी विदेश मंत्री बृहस्पतिवार शाम अघोषित भारत यात्रा पर आए। विदेश मंत्री वांग ने आश्वस्त किया है कि वह उनकी (छात्रों की) वापसी के विषय पर संबंधित प्राधिकार से बात करेंगे। ’’ उन्होंने मेडिकल छात्रों के समक्ष पेश आ रही परेशानियों का भी जिक्र किया।
जयशंकर ने संवाददाताओं से कहा कि बातचीत में कारोबार एवं निवेश का मुद्दा भी उठा और हम उचित बाजार पहुंच पर जोर देना जारी रखेंगे । विदेश मंत्री ने कहा कि वांग से बातचीत के दौरान अफगानिस्तान में स्थिति पर भी चर्चा हुई और जहां तक अफगानिस्तान का संबंध है, भारत की नीति संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 के तहत निर्देशित है। उन्होंने कहा कि बातचीत में ‘क्वाड’ का विषय नहीं उठा।
जयशंकर ने भारत की यात्रा पर आए चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ लगभग तीन घंटे तक हुई चर्चा के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘अगर हम दोनों हमारे संबंधों को बेहतर बनाने को प्रतिबद्ध हैं तब इस प्रतिबद्धता की पूरी अभिव्यक्ति पीछे हटने की प्रक्रिया के बारे में जारी बातचीत में परिलक्षित होनी चाहिए.’ उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख को लेकर भारत और चीन के बीच वर्तमान स्थिति के संबंध में ‘कार्य प्रगति पर है’ हालांकि इसकी गति वांछित स्तर की तुलना में धीमी है.
उन्होंने कहा कि सीमा पर दोनों पक्षों की ओर से भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती किए जाने के मद्देनजर भारत और चीन के संबंध ‘सामान्य’ नहीं हैं और सामान्य संबंधों को फिर से बहाल करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांतिपूर्ण माहौल बनाये जाने की आवश्यकता होगी. वांग काबुल से बृहस्पतिवार को अघोषित यात्रा पर दिल्ली पहुंचे. यह पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद पिछले करीब दो वर्षो में किसी चीनी नेता की पहली उच्च स्तरीय यात्रा है.
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