आतंकी रऊफ अजहर पर चीन का वीटो
संयुक्त राष्ट्र में जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख आतंकी अब्दुल रऊफ अजहर पर पाबंदी के प्रस्ताव पर चीन के वीटो को लेकर भारत ने निराशा जाहिर की है। भारत ने कहा कि आतंकवाद और आतंकियों से निपटने में दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ताइवान-चीन विवाद पर भी अपनी राय रखते हुए क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने पर जोर दिया।
प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि जैश-ए-मोहम्मद के दूसरे नंबर के सरगना अब्दुल रऊफ अजहर आतंकवादी हमलों में सक्रिय रूप से शामिल रहा है। 1998 में भारतीय एयरलाइंस आईसी 814 का हाइजैकिंग, 2001 में भारतीय संसद पर आतंकी हमला, 2014 में कठुआ में भारतीय सेना के शिविर पर हमला और और पठानकोट भारतीय वायुसेना बेस पर हमले में इस आतंकी का हाथ था।
उन्होंने कहा कि यूएनएससी में चीन द्वारा अजहर पर प्रतिबंध के प्रस्ताव पर तकनीकी रोक पर अरिंदम बागची ने कहा कि यह इस मुद्दे पर हमारे स्थायी प्रतिनिधि ने एक बयान दिया है। उन्होंने चिंता को स्पष्ट रूप से सामने रखा। हम खेद के साथ इसे देखा कि अब्दुल रऊफ के लिए प्रतिबंध प्रस्ताव पर एक तकनीकी रोक लगाई गई है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आतंकवाद के खिलाफ हमारी सामूहिक लड़ाई पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय एक स्वर में बोलने में असमर्थ रहा है। आतंकियों से निपटने में दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए। बिना कोई कारण बताए होल्ड और ब्लॉक करने की प्रथा समाप्त होनी चाहिए।
ताइवान के मुद्दे पर बागची ने कहा, कई अन्य देशों की तरह भारत भी इस मामले को लेकर चिंतित है। हम संयम बरतने, यथास्थिति को बदलने के लिए एकतरफा कार्रवाई से बचने, तनाव को कम करने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के प्रयासों का आग्रह करते हैं। भारत की प्रासंगिक नीतियां प्रसिद्ध और सुसंगत हैं। उन्हें दोहराए जाने की आवश्यकता नहीं है।
बागची ने कहा कि भारत और चीन के संदर्भ में हमने संबंधों के विकास के आधार के रूप में आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हित की आवश्यकता को लगातार बनाए रखा है।
China’s veto on terrorist Rauf Azhar