4 महीने, चले ढाई कोस!!
आपने ‘नौ दिन, चले ढाई कोस ‘ कहावत तो सुनी होगी, यानी ऐसा काम जिसमें प्रगति बेहद धीमी हो। कुछ ऐसा ही हाल कोरोना का भी है। आज से ठीक 4 महीने पहले, 23 जनवरी को चीन ने वुहान में लॉकडाउन की घोषणा की थी, और करीब 1.1 करोड़ आबादी, बाकी दुनिया से पूरी तरह कट गई थी। इस एक कदम से चीन ने ये साफ संकेत दे दिया था कि कोरोना वायरस उसके काबू से बाहर हो चुका है, और सिवाय लॉकडाउन के, इसे रोकने का कोई उपाय नहीं है। अब तक WHO ने भी ये मानने से इंकार कर दिया था कि ये संपर्क से फैलनेवाली बीमारी है। लेकिन लॉकडाउन की इस घटना ने दुनिया भर के देशों को सतर्क कर दिया और जो इसे चीन का अंदरुनी मामला समझ रहे थे, वो भी इसे गंभीरता से लेते हुए इसके बचाव के उपाय ढूंढने लगे। आखिरकार 30 जनवरी को WHO ने भी इसे ‘अंतरराष्ट्रीय स्तर का पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी’ घोषित कर दिया, लेकिन तब तक दुनिया भर में करीब 10 हजार लोग इससे संक्रमित हो चुके थे और 213 लोगों की जानें जा चुकी थीं।
इन चार महीनों में कोरोना वायरस लगातार फैलता रहा है और अब तक दुनिया के 213 देशों में 52 लाख से अधिक लोगों को संक्रमित कर चुका है। दुनिया भर के डॉक्टर्स, रिसर्चर्स और मेडिकल कंपनियां इसकी दवा या वैक्सीन ढ़ूंढने में लगी हुई हैं, लेकिन किसी को कोई खास सफलता नहीं मिली है। रोजाना करीब 80 से 90 हजार लोग इस वायरस से संक्रमित हो रहे हैं, और अब तक 3 लाख 40 हजार लोगों की जानें जा चुकी हैं। ज्यादातर देशों में इसे फैलने की रफ्तार तेज नहीं हुई है, तो कम भी नहीं हुई है। जैसा कि नीचे दिए गये ग्राफ से जाहिर है, मरीजों की संख्या एक स्थिर गति से बढ़ती जा रही है।
कोरोना के मामले में दुनिया के टॉप 10 देश
दुनिया के देशों की बात करें, तो इतना साफ दिख रहा है कि बड़ी आबादीवाले देशों में कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है और तीन-चार महीनों में भी इन देशों में संक्रमण की स्थिति काबू में नहीं आई है। चीन तो छोड़ दें, तो ज्यादातर बड़े देशों में कोरोना का संक्रमण देर से फैला और धीरे-धीरे इसकी रफ्तार बढ़ती गई। दक्षिण कोरिया, ताइवान, विएतनाम और जापान जैसे छोटे देशों ने तो इस पर काबू पा लिया लेकिन अमेरिका, रुस, ब्राजील जैसे बड़े देश अभी भी इससे जूझ रहे हैं। यूरोप के देश भी अभी तक इस पर काबू नहीं पा सके हैं, जबकि इन देशों में चीन के साथ ही संक्रमित मरीज मिलने शुरु हो गये थे। वहीं भारत फिलहाल 1लाख 25 मरीजों के साथ 11वें पायदान पर है, लेकिन अगले हफ्ते तक इसके भी टॉप 10 में शामिल होने की आशंका दिख रही है।
आईये एक नजर डालते हैं, दुनिया के 10 सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की स्थिति पर –
क्रम | देश | संक्रमित मरीज | मौत |
1. | यूएसए | 16,01,434 | 96,004 |
2. | रुस | 3,35,882 | 3,388 |
3. | ब्राजील | 3,30,890 | 21,048 |
4. | यूके | 2,55,544 | 36,475 |
5. | स्पेन | 2,34,824 | 28,628 |
6. | इटली | 2,28,658 | 32,616 |
7. | फ्रांस | 1,82,015 | 28,218 |
8. | जर्मनी | 1,79,730 | 8241 |
9. | तुर्की | 1,54,500 | 4,276 |
10. | ईरान | 1,31,652 | 7,300 |
भारत में क्या है स्थिति?
भारत में भी कोरोना संक्रमण की रफ्तार लगातार बढ़ती जा रही है। खास तौर पर लॉकडाउन में ढील और प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के कारण कोरोना के मामलों में उछाल देखा जा रहा है। अच्छी बात ये है कि यहां मरीजों के मौत की दर काफी कम है और रिकवरी की दर भी अच्छी है। करीब 42 फीसदी मरीज बिना वेंटिलेटर या आईसीयू में भर्ती हुए, ठीक हो रहे हैं। इससे अस्पतालों पर दबाव कम है। लेकिन एक समस्या ये भी है कि यहां कोरोना के जांच की गति काफी कम है। अमेरिका में जहां एक करोड़ से ज्यादा लोगों की जांच हो चुकी है, वहीं भारत में इनकी संख्या करीब 27 लाख ही पहुंची है। इस वजह से संक्रमण पर रोक लगाना मुश्किल हो रहा है।
चलिए देखते हैं, कोरोना मामले में देश के टॉप 10 राज्यों में क्या है ताज़ा स्थिति –
क्रम | राज्य | संक्रमित मरीज | मौत |
1. | महाराष्ट्र | 44,582 | 1517 |
2. | तमिलनाडु | 14,753 | 98 |
3. | गुजरात | 13,268 | 802 |
4. | दिल्ली | 12,319 | 208 |
5. | राजस्थान | 6,494 | 153 |
6. | मध्य प्रदेश | 6,170 | 272 |
7. | उत्तर प्रदेश | 5,735 | 152 |
8. | पश्चिम बंगाल | 3,332 | 265 |
9. | आंध्र प्रदेश | 2,709 | 55 |
10. | बिहार | 2,177 | 11 |
जैसा कि इन आंकड़ों से दिखता है, देश के करीब 1 लाख 25 हजार मरीजों में से 85 हजार मरीज महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और दिल्ली में मिले हैं। यानी फिलहाल यहीं कोरोना के सबसे ज्यादा मामले देखने को मिल रहे हैं। लेकिन ये बात भी याद रखनी चाहिए कि यही वो राज्य हैं, जो सबसे ज्यादा सैंपल ले रहे हैं और टेस्ट कर रहे हैं। वहीं मरनेवालों का आंकड़ा देखें, तो महाराष्ट्र और गुजरात के अलावा मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में इनकी संख्या ज्यादा है। जाहिर तौर पर ये वहीं की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था की ओर इशारा करता है।
कोरोना के बारे में क्या है नई जानकारी ?
- यूएस सीडीसी के मुताबिक कोरोना के 35 फीसदी मामले ए-सिम्टोमैटिक पाए जा रहे हैं यानी इनमें बीमारी के कोई लक्षण नहीं दिखते। ऐसे लोगों से संक्रमण के फैलने का खतरा सबसे ज्यादा होता है।
- आंकड़ों के मुताबिक कोरोना के संक्रमितों में औसतन 0.4 % के मरने की आशंका होती है। लेकिन हमारे देश में ये आंकड़ा करीब 3 % है क्योंकि करीब 1 .25 लाख मरीजों में 3700 से ज्यादा की मौत हो चुकी है।
- कोरोना का 40 फीसदी संक्रमण, मरीज के बीमार पड़ने से पहले ही हो चुका होता है। यानी, अगर कोई कोरोना पॉजिटिव 100 लोगों को संक्रमित करता है, तो इनमें से 40 लोगों को वह बीमारी के लक्षण दिखने से पहले ही संक्रमित कर चुका होता है।
- संक्रमित होने के सबसे ज्यादा संभावना किसी मरीज के संपर्क में आने से होती है। किसी अखबार या सामान छूने से इसके फैलने के मामले ज्यादा नहीं आए हैं।
- सीडीसी के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना का सबसे ज्यादा फैलाव व्यक्ति-से-व्यक्ति संपर्क द्वारा ही होता है।
- इस तरह के संक्रमण के दो तरीके हैं – मरीज से सीधा संपर्क (6 फीट तक) या मरीज के छींकने,खांसने या बातचीत से (अगर उस हवा में सांस लिया जाए)
- कुछ मामलों में, मरीज द्वारा इस्तेमाल वस्तुओं और छूई गई सतहों पर हाथ रखने और फिर उसी हाथ से नाक-मुंह छूने से भी कोरोना का संक्रमण हो सकता है।
- पशुओं द्वारा कोरोना के संक्रमण की संभावना बहुत कम पाई गई है। अमेरिका में मिले कुछ मामलों में, मनुष्यों ने ही अपने पाल्तू जानवरों में कोरोना फैलाया है।
क्या है उपाय?
जैसा कि हम सभी जानते हैं, कोरोना का ना तो कोई इलाज है और ना ही कोई वैक्सीन बनी है। ऐसे में इससे दूर रहना ही सबसे सुरक्षित उपाय है। WHO समेत सभी स्वास्थ्य संगठनों ने इससे बचाव के तीन ही उपाय सुझाए हैं –
- हवा में फैले कोरोना से बचाव के लिए, बाहर निकलते वक्त मास्क पहनें।
- सभी से 6 फीट की दूरी बनाए रखें ताकि किसी की छींक या खांसी आप तक ना पहुंचे।
- जितनी बार हो सके, अपने हाथों को साबुन से धोयें या सैनिटाइज करें। बार-बार इस्तेमाल होनेवाली चीजों जैसे घर के गेट, डोर-बेल, हैंडल आदि को भी रोजाना सैनिटाइज करें।
और क्या कहा जाए, यूं समझिये कि आपकी जिन्दगी, आपका भविष्य आपके ही हाथों में है।