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झारखंड में रिश्वत ऑनलाइन

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झारखंड में रिश्वत ऑनलाइन

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झारखंड में पुलिस का रिश्वत लेना पहले भी खबर नहीं था, लेकिन अब इसे जिस इत्मीनान और तसल्ली से अंजाम दिया जा रहा है, वो चौंकाने वाला है। खबर है कि लातेहार में कोयला तस्कर बहुत ईमानदारी से पुलिस वालों को रिश्वत की रकम ऑनलाइन ट्रांसफर कर रहे हैं।

लॉकडाउन को लेकर खान का सारा ऑक्शन कैंसल है, रोड सेल बंद है, लेकिन न अवैध कोयले का खनन रुका, न ट्रांसप्रोर्ट। ये इसलिए जारी है, क्योंकि जिस पुलिस पर इसे रोकने की जिम्मेदारी थी, वही इसकी आवाजाही में कर रही है मदद।

लातेहार एसपी ने चंद रोज पहले छापेमारी कर कोयला लदे कुछ ट्रक जब्त किए। जांच हुई तो पता चला कि हर ट्रक को सुरक्षित निकालने के एवज में डीएसपी और इंस्पेक्टर का हफ्ता फिक्स्ड है। हिसाब में बाद में किच-किच न हो, इस वास्ते, डीएसपी के रीडर ने तस्करों से हुई बातचीत भी रिकार्ड कर रखी थी। लाखों के लेन-देन का हिसाब जब्त ट्रक के ड्राइवरों से मिला। अब डीएसपी का ट्रांसफर हेडक्वार्टर कर दिया गया है और इंस्पेक्टर को लाइन हाजिर।

इसके पहले इसी तरह का मामला हजारीबाग से भी सामने आया था। तब डीजीपी एमवी राव ने सभी जिले के एसपी को कोयला माफिया पर कार्रवाई करने का आदेश दिया था।

लातेहार है कोयला तस्करी का हॉटस्पॉट

बाजकुम, तुबेद, आरागुंडी में कोयले की अवैध तस्करी खुले आम दिन में होती है। आरागुंडी में तो दो महीना पहले उप मुखिया को FIR में नामजद किया गया। ट्रक, ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल और साइकिल के जरिए कोयला लोड कर दूर-दूर के ईंट भट्टों तक पहुंचाया जाता है। साइकिल से दो से तीन सौ, मोटरसाइकल से सात सौ से एक हजार, ट्रैक्टर की एक खेप की कमाई है करीब पांच हजार, ट्रक का पच्चीस से तीस हजार।

बड़कागांव में कोयले की अवैध ढुलाई

माइन्स डिपार्टमेंट केस भी दर्ज कराता है तो शायद ही किसी नामजद को पुलिस गिरफ्तार करने की जहमत उठाती है। रजवार में एक तस्कर तो इतना डेरिंग निकला कि उसने कोयला निकालने में जेसीबी ही लगा दिया। जेरजेर, रजवार, ठेकाही से लेकर खिखिर नदी तक में अवैध खनन जारी है।

दिखावे की कार्रवाई

लातेहार की तरह बड़कागांव में भी मलडी जंगल जैसे इलाकों में ट्रक और ट्रैक्टर से लगातार अवैध कोयले का कारोबार जारी है। लेकिन चंद रोज पहले पुलिस ने बड़कागांव के मुख्य चौक से दो मोटरसाइकिल और 19 साइकिल से 257 बोरी कोयला जब्त करने का दावा किया। इसी तरह केरेडारी में दो अवैध खदानों को डोजरिंग की गई। इससे एक संदेश जाता है कि वन विभाग और पुलिस तस्करों के खिलाफ सक्रिय है। जबकि सच्चाई ये है कि बारियातु जंगल, मनातू के धमधमीया जंगल और लाजीदाग के पोखरिया खदान इलाके में कोल माफिया का राज है। यहां से कोयला मनातू-पीरी जंगल के रास्ते पीरी, कटकमदाग और सिमरिया सहित करीब के कई गांवों के ईंट भट्टों तक पहुंचाया जाता है।

बोकारो के बंद खदानों से इसी तरह हर रोज कम से कम  पांच सौ मोटरसाइकिल के जरिए अवैध कोयला विष्णुगढ़ होते हुए गोमिया भेजा जाता है। दिखावे के लिए मड़मो के चीरूडीह में एक घर से 295 बोरी अवैध कोयाल जब्त करने की कार्रवाई दर्ज कर ली जाती है।

ओपन कास्ट माइन धनबाद

कोयले की संपूर्ण कथा समझिए

देश में सबसे ज्यादा कोयला झारखंड में है, पूर्व से पश्चिम की ओर संकरी पट्टी है 24डिग्री N Latitude पर

देश में सबसे ज्यादा कोयला 83.15 बिलियन टन झारखंड में है। चतरा, रामगढ़, हजारीबाग, बोकारो, धनबाद, गिरिडीह, पलामू, लातेहार, रांची, देवघर, पाकुड़, गोड्डा और दुमका जिले में कोयले की खानें हैं। मतलब ये कि अगर लातेहार की तरह किसी दूसरे जिले में भी इस तरह की जांच की जाए तो ऑनलाइन रिश्वत के और मामले सामने आ सकते हैं।

जैसे मिसाल के तौर पर चतरा की बात करें तो यहां CCL की एशिया की सबसे बड़ी कोल माइन मगध है। तंडवा ब्लॉक में ही CCL की चार और बड़ी कोल माइन्स हैं। तीन साल पहले के एक आंकड़े के मुताबिक चतरा की इन पांच सरकारी कोल माइन्स से 2017 में तीन करोड़ बीस लाख टन वैध कोयला निकला था। अवैध खनन अक्सर इससे कई गुना ज्यादा होता है।

क्योंकि ये खदान अक्सर सुदूर जंगल में होते हैं जहां नक्सलियों का प्रभाव होता है, तो कोयला निकालने वाली कंपनी,  ट्रांसपोर्टर, स्थानीय नक्सली गुट और पुलिस के अफसरों के बीच बहुत सौहार्द्रपूर्ण माहौल में अवैध तस्करी के काम को अंजाम दिया जाता है। NIA ने चंद महीने पहले एक खुफिया रिपोर्ट राज्य के डीजीपी को दी थी, इस रिपोर्ट में कथित तौर पर राज्य के उग्रवादी गुटों से 20 से ज्यादा पुलिस के आला अफसरों और राज्य के सबसे नामचीन कारोबारी समूहों के करीबी रिश्तों की बात सामने आई थी।

इसके बाद सूबे के डीजीपी ने सभी IPS अफसरों को अपनी संपत्ति का ब्योरा देने का आदेश दिया। इस साल 30 जनवरी को जारी रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड में ज्यादातर जूनियर IPS अफसर के पास DGP से ज्यादा संपत्ति है

29 जनवरी 2020 रांची में IPS अफसरों के साथ डीजीपी

इनमें से अधिकतर के पास नोएडा में फ्लैट हैं। मिसाल के तौर पर–

1989 बैच के आईपीएस  और सीबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर अजय भटनागर के पास यूपी के नोयडा सेक्टर 128 में 2.35 करोड़ का फ्लैट, नोयडा सेक्टर 44 में 2.30 करोड़ का फ्लैट, नोयडा के ओमेगा ग्रीनवुड्स गर्वनमेंट ऑफिसर वेलफेयर सोसायटी में 68 लाख  का फ्लैट, रांची के सांगा में 2.30 लाख की जमीन है।

फाइल तस्वीर

चंद रोज पहले राज्य के बड़े कारोबारी समूह रामकृपाल कंस्ट्रक्शन के दफ्तर पर NIA ने छापा मारा। ये छापा गिरिडीह में नक्सलियों को छह लाख की कथित लेवी पहुंचाने के मामले में दो साल पहले दर्ज केस के सिलसिले में मारा गया था।

झारखंड में कोयला एक आईना है जिसमें आप राज्य के समूचे सिस्टम का अक्स देख सकते हैं। इसमें एक छोर पर अपनी ही माटी पर विस्थापित समुदाय है जिसे वैध नौकरी मिलनी चाहिए थी, लेकिन वो साइकिल से अवैध कोयला ढो रहा है, हजारों करोड़ का DMF- District Mineral Foundations फंड है ( रामगढ़- 524 करोड़, चतरा 476 करोड़) जिसका कोई हिसाब नहीं…दूसरे छोर पर नक्सली हैं, गांव कमेटी है, 254रु टन की लेवी है, व्यापारी हैं, ट्रांसपोर्टर हैं, और हां पुलिस तो है ही।  

कोयले की खान, सौजन्य pixabay

ये कोयले की कहानी है, जिसमें जो आज शिकारी है, वो कल शिकार बन जाता है, ताकत की कभी न खत्म होने वाली जंग है जिसमें कई सिंह मैन्शन बनते हैं, तो कई आशियाने बिखरते हैं, जिंदगी बेआवाज है, और मौत बोल कर आती है,

ये गैंग्स ऑफ वासेपुर है जो रामगढ़ से हजारीबाग, बोकारो से धनबाद, गिरिडीह से पलामू, पाकुड़ से गोड्डा  चतरा से झरिया, हजारीबाग से लातेहार तक झारखंड में हर ओर पसरा है।

जिंदगी कोल वाशरी है…. धुला हुआ कोयला, धुली हुई खाकी…और साहिब के जूतों के नीचे …धूल भर झारखंड

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