#Covid19: क्या हम इतिहास से सबक लेंगे?
एक बहुत बड़ा फैसला हमारा इंतजार कर रहा है, हमारे लिए दिन और घंटे नहीं एक-एक सेकेंड कीमती है। ब्रिटेन में कोरोना वायरस( #Covid19)की बहुत संक्रामक नई प्रजाति का पता चला है।
सवाल है क्या ब्रिटेन से आने वाली फ्लाइट पर रोक लगाना काफी है?
इस सवाल का सही जवाब तलाशने के लिए थोड़ा पीछे चलते हैं। 10 जनवरी को चीन में नोवेल कोरोना वायरस का पता चलते ही ताइवान ने इसी दिन से इंटरनेशनल फ्लाइट्स पर प्रतिबंध लगा दिए और टेस्टिंग, ट्रेसिंग, आइसोलेशन और क्वारंटीन का प्रोटोकॉल अपने यहां लागू कर दिया। कोरोना से निबटने में ताइवान नंबर वन देश माना जाता है। हमने क्या किया? 4 फरवरी को चीन की फ्लाइट्स पर रोक लगाई गई। इसके बाद अगले 44 दिन तक एशिया और यूरोप से मुसाफिर हमारे यहां आते रहे। 18 मार्च को हमने सभी इंटरनेशनल फ्लाइट्स पर रोक लगाई। आज हमारे यहां कोरोना का कुल संक्रमण एक करोड़ से ज्यादा है, और मौतों की कुल तादाद 1.5 लाख के करीब है। आज फिर वही समय लौट कर आया है। ब्रिटेन का नया वायरस VUI-202012/01 अब तक डेनमार्क, नीदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया में मिल चुका है। WHO की Chief Scientist Dr Soumya Swaminathan ने एनडीटीवी को बताया है
The mutant strain may already be present in many countries. “I suspect that as more countries look at their data, they might find this variant, or a related variant, might already be there
मुंबई एयरपोर्ट दुनिया का व्यस्ततम एयरपोर्ट है, अगर हमने मुंबई को फौरन बंद नहीं किया तो एक बार फिर हमारे लिए हालात बेहद मुश्किल हो सकते हैं। खतरा इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि ये नया वायरस न सिर्फ ज्यादा तेजी से फैलता है, बल्कि कुछ जानकारों का कहना है कि RT PCR जांच में ये पकड़ में भी नहीं आ रहा।
ब्रिटेन इसलिए इस नए वायरस प्रजाति को पकड़ सका, क्योंकि वहां वायरस की जिनोम सिक्वेंसिंग पर इतना ज्यादा काम हुआ है कि वो नई प्रजाति का रियल टाइम में पता लगाने की स्थिति में हैं। हमारे यहां अब तक इस वायरस की चार सौ से ज्यादा जिनोम की सिक्वेन्सिंग हो चुकी है, लेकिन नई प्रजाति का पता लगाने में हमारी गति जरूरत से कम है। आपको याद होगा इससे पहले मलेशिया में भी कोरोना की एक बेहद संक्रामक प्रजाति का पता चला था। ब्रिटेन का वायरस किस कदर तेजी से फैल रहा है, इसे इस तरह समझिए कि सितंबर में इसका पता चलने के बाद रिसर्च किया गया तो पता चला कि नवंबर के महीने में लंदन में कोरोना का हर चौथा मरीज इसी वायरस से संक्रमित था, जबकि अभी ब्रिटेन में हर तीन मामलों में दो इसी वायरस से संक्रमित हैं।
कुछ लोगों का कहना है कि ये वायरस स्पाइक प्रोटीन को प्रभावित कर सकता है, यानी अंदेशा ये है कि जो वैक्सीन हमने अब तक कोरोना वायरस से लड़ने के लिए तैयार किया है, ये वायरस शायद उसके आगे की दुनिया से आया है।
ये तय है कि नया कोरोना वायरस जांच और वैक्सीन के लिए नई चुनौती ले कर आया है, लेकिन अच्छी बात ये है कि साइंस इस बार एक साल की तैयारी के साथ उसका मुकाबला करने के लिए तैयार है।