COVID19India:कोरोना की दूसरी लहर?
चुनाव के वक्त बिहार के लोग सुशांत को भूल नहीं पा रहे, रिया चक्रवर्ती जेल गई, मुंबई में कंगना का दफ्तर टूट गया, इसके बावजूद देश में कोरोना(COVID19India ) के मामले कम नहीं हो रहे। फिर से याद दिलाना चाहिए कि बीते एक महीने से ज्यादा अरसे से दुनिया में हर दिन कोरोना के सबसे ज्यादा मामले भारत में दर्ज हुए हैं।
30 जनवरी यानी पहला मामला आने के 222 दिन बाद, अब दो सौ से ज्यादा देशों में हम सिर्फ अमेरिका से पीछे हैं। अगस्त के आखिर में जहां हमारे यहां 75 हजार के करीब रोजाना मामले आ रहे थे,अब ये एक लाख के करीब पहुंच गया है। बीते एक हफ्ते में 6 लाख नए मामले सामने आए हैं।
क्यों बढ़ रहे हैं संक्रमण के मामले ?
सरकार का कहना है कि ज्यादा मामले इसलिए सामने आ रहे हैं क्योंकि रोजाना टेस्टिंग दस लाख से ज्यादा हो रही है। 9 सितंबर को 11,29,34,433 टेस्ट किए गए। कुल टेस्टिंग का आंकड़ा 5.3 करोड़ पर पहुंच चुका है। लेकिन यहां भी टेस्टिंग के ग्राफ को लेकर चिंता है। दस लाख के डेली टेस्टिंग टारगेट में कई बार बड़ी कमी दर्ज की जा रही है, जैसे रविवार को महज 7.2 लाख टेस्ट किए गए। इससे सोमवार और मंगलवार को संक्रमितों का आंकड़ा कम आया, लेकिन जैसे ही टेस्टिंग की दर फिर बढ़ी तो बुधवार को कोरोना के 95 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए।
कोरोना की दूसरी लहर?
वहीं कुछ लोगों को अंदेशा है कि भारत में शायद कोरोना की दूसरी लहर आ चुकी है। मिसाल के तौर पर दिल्ली में 23 जून को 3,947 मामले सामने आए थे, इसके करीब 70 दिन बाद बुधवार 9 सितंबर को ये आंकड़ा चार हजार के पार… (4,039) दर्ज किया गया है। अगस्त के पूरे महीने में मुंबई में 30,474 मामले आए थे, अब सितंबर में सिर्फ 9 दिन में 15,227 नए मामले सामने आए हैं। बंगलुरू में सोमवार को ठीक हो चुके मरीज के दोबारा संक्रमित होने का पहला मामला दर्ज किया गया है। पंजाब में बुधवार को रिकार्ड 2,137 नए मामले दर्ज किए गए हैं। हरियाणा के फरीदाबाद में पॉजिटिविटी रेट 31% पर पहुंच गई है। चिंता की बात ये है कि देश के गरीब राज्य झारखंड और छत्तीसगढ़ में कोरोना का डेली ग्रोथ रेट अभी सबसे ज्यादा है।
सबसे ज्यादा संक्रमण के मामले #COVID19India
रैंक | राज्य | संक्रमण के मामले |
1 | महाराष्ट्र | 9,67,349 |
2 | आंध्रप्रदेश | 5,27,512 |
3 | तमिलनाडु | 4,80,524 |
4 | कर्नाटक | 4,21,730 |
5 | यूपी | 2,85,041 |
इन पांच राज्यों में देश के 62% मामले सामने आए हैं
रोजाना संक्रमण के मामले #COVID19India
रैंक | राज्य | संक्रमण |
1 | महाराष्ट्र | 23,577 |
2 | आंध्रप्रदेश | 10,418 |
3 | कर्नाटक | 9,540 |
4 | यूपी | 6,568 |
5 | तमिलनाडु | 5,584 |
सरकार ने बीते छह महीने का जितना इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों को सबक सिखाने में किया, उसका सौवां हिस्सा भी अगर स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने मे करती तो आज कोरोना के मुकाबले हम ज्यादा बेहतर स्थिति में होते। आज अगर आपके पास पैसा है तो आप टेस्टिंग करवा सकते हैं, ट्रीटमेंट करवा सकते हैं, लेकिन गरीब क्या करे, कहां जाए?सरकार को “curb-cut effect” की प्लानिंग के साथ काम करना चाहिए था।
क्या है “curb-cut effect”?
Angela Glover Blackwell का दिया सिद्धांत है। Angela के मुताबिक अगर आप किसी कार्यक्रम के जरिए समाज के सबसे कमजोर तबके की जरूरत को पूरा करते हैं, तो इसका फायदा हर किसी को होता है। जैसे Architectural Barriers Act of 1968 का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि व्हीलचेयर वालों के लिए इमारतों में रैंप बनाए गए तो इसका फायदा मजदूरों को भारी सामान ले जाने में और छोटे बच्चों को strollers में घुमाने वाले माता-पिता को हुआ।
कोरोना में इसका मतलब है सबसे गरीब की सबसे पहले देखभाल वाली व्यवस्था बनाने से, जिसमें सरकार शायद उतनी कामयाब नहीं रही, जितना होना चाहिए था। चीनी वायरस, वुहान वायरस के नाम पर यूरोप और अमेरिका जैसे अमीर देशों की तर्ज पर देश की बड़ी आबादी को प्राइवेट हॉस्पीटल, डायग्नोस्टिक्स और मेडिसिन कंपनीज के रहमो-करम पर छोड़ दिया गया है। मिसाल के तौर पर public health response यानी ट्रेसिंग टू ट्रीटमेंट चेन में हम सिर्फ सिंगापुर से नहीं नाइजीरिया जैसे देशों से भी पीछे हैं।
इस वक्त लोगों को 5 बड़ी परेशानियां पेश आ रही हैं
- सरकारी कोविड सेंटर में जगह नहीं
- कोविड टेस्टिंग की रिपोर्ट तीन से पांच दिन पर मिल रही है
- रिपोर्ट मिलने के बाद खुद अस्पताल का पता कीजिए और भर्ती होइए
- अगर मरीज को वेंटीलेटर या ऑक्सीजन की जरूरत है तो निजी अस्पताल में इलाज कराना पड़ रहा है। निजी अस्पताल और दूसरी बीमारियों के इलाज के नाम पर, सरकार की ओर से तय रेट का उल्लंघन कर 18 हजार की जगह 50 से 70 हजार तक वसूल रहे हैं
- कोविड सेंटर में साफ-सफाई,खाना, इलाज हर कुछ और बेहतर हो सकता है
जानकार बता रहे हैं कि कोरोना के मामले में हम उस स्टेज पर पहुंच चुके हैं , जहां सरकार चाह कर भी बहुत कुछ नहीं कर सकती। सवाल है क्या ऐसा इसलिए है, क्योंकि जब हमें बहुत तेजी से बड़ी संख्या में अस्थायी अस्पताल बनवाने थे, क्वारंटीन और आइसोलेशन सेंटर बनवाने थे, तब हमारी सरकार मध्यप्रदेश और राजस्थान में म्यूजिकल चेयर्स खेल रही थी?
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