उत्तरकाशी टनल में क्रैक आया, प्लान-B का सर्वे हुआ:चट्टान से रुकी ड्रिलिंग, अब टनल काटकर लोगों को निकालने की कोशिश

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिल्क्यारा टनल को धंसे और उसमें 40 मजदूरों को निकालने के लिए अब प्लान-B पर शिफ्ट होने का विचार किया जा रहा है। टनल में क्रैक आने से भी इस इंजीनियर्स योजना बदलने जा रहे हैं। अंदर फंसे लोगों को 7 दिन हो चुके हैं। ड्रिलिंग के लिए इंदौर से नई हैवी ऑगर्स मशीन मंगाई गई है। इस काम में अब तक तीन मशीनें फेल हो चुकी हैं।
टनल का आगे रास्ता ब्लॉक होने की वजह से अब रेस्क्यू टीम ‘प्लान-B’ पर काम कर रही है। ‘प्लान-B’ के लिए ड्रिलिंग और एक्सपर्ट टीमों ने शुक्रवार रात को सर्वे किया है। अब टनल को ऊपर से काटकर अंदर फंसे लोगों को बाहर निकालने की कोशिश की जाएगी।
नए प्लान के तहत टनल के ऊपर की तरफ से ड्रिलिंग करके रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रखा जाएगा। यह ड्रिलिंग मलबा गिरने वाली जगह से 50-60 मीटर आगे यानी टनल के मुख्य द्वार से कम से कम 280-300 मीटर आगे से की जाएगी। यहां से अंदर फंसे लोगों को एयरलिफ्ट किया जाएगा। इंदौर से आई नई ऑगर्स मशीन को टनल के मुख्य द्वार से बाईं और गांव के लिए जा रहे रास्ता से होकर टनल के ऊपर ले जाया जाएगा। यहां पर टनल का ‘C पॉइंट’ यानी टनल में घुमाव है। इसी पॉइंट पर ड्रिलिंग के लिए सर्वे हुआ है। यह ड्रिलिंग टनल के मजबूत हिस्से में की जाएगी। इससे टनल को भी कुछ नुकसान पहुंचेगा। यहां पर मशीन को 124 मीटर की ड्रिलिंग करनी होगी।
इंदौर से आई नई ऑगर्स मशीन के शनिवार सुबह 10 बजे के बाद देहरादून से उत्तरकाशी पहुंचने की उम्मीद है। इससे पहले शुक्रवार 17 नवंबर को 2 मजदूरों की तबीयत बिगड़ गई थी, जिन्हें फूड सप्लाई पाइप के जरिए दवा दी जा रही है और उनकी सेहत की निगरानी जारी है।शुक्रवार दोपहर 12 बजे मलबा हटा रही अमेरिकन हैवी ऑगर्स मशीन के रास्ते में चट्टान आ गई, जिसके बाद काम नहीं हो सका। मलबे से बंद पड़ी टनल में 70 मीटर तक ड्रिलिंग करनी है, जिसमें से अभी आधी दूरी तक भी ड्रिलिंग नहीं हो सकी है और रेस्क्यू के लिए 24 मीटर तक 900 mm के स्टील पाइप डाले जा चुके हैं।
नई हैवी ऑगर्स मशीन इंदौर से एयरफोर्स के हरक्यूलिस विमान से एयरलिफ्ट कर देहरादून के जौलीग्रांट लाई गई। 1750 हॉर्स पावर और 25 टन वजनी मशीन शुक्रवार रात के करीब 10 बजे देहरादून पहुंची। यहां से इसे रात में ही उत्तरकाशी के लिए सड़क के रास्ते रवाना कर दिया गया। चिल्यानीसौड़ हेलीपैड में हवाई पट्टी छोटी होने और हरक्यूलिस विमान को यहां उतरने में होने वाली परेशानी को देखते हुए इसे देहरादून से लाया जा रहा है। इस वजह से मशीन के आने में करीब 10 घंटे ज्यादा भी लगे। चिल्यानीसौड़ से उत्तरकाशी तक मशीन लाने में भी करीब 3 घंटे का समय लगता है।
हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था। टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर दूर मिट्टी धंसी। मजदूर अंदर फंस गए। मलबा 70 मीटर तक फैला गया। ये मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं।
Crack appeared in Uttarkashi Tunnel, Plan-B survey conducted: Drilling stopped due to rock, now efforts are being made to rescue people by cutting the tunnel.