कोरोना: क्या हैं मौजूदा हालात?
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भारत में कोरोना पूरी रफ्तार से फैल रहा है और संक्रमित मरीजों के मामले में हमारा देश, दुनिया भर में सातवें नंबर पर पहुंच गया है। गुरुवार सुबह स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में 9304 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। इस दौरान, इस संक्रमण की वजह से देश में 260 लोगों की जान चली गई। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में कोविड-19 संक्रमितों की संख्या 2 लाख 17 हजार से ज्यादा हो चुकी है, जबकि इस बीमारी से देश भर में 6075 लोगों की मौत हो चुकी है।

कोरोना मामले में टॉप 10 देश
अगर दुनिया के हालात पर गौर करें, तो कोरोना(corona) पीड़ित मरीजों की संख्या 65 लाख से ज्यादा हो चुकी है, जबकि मरने की संख्या 4 लाख के करीब पहुंच गई है। सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की बात करें, तो यूएस के बाद ब्राजील में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं। इसके बाद रुस और अन्य यूरोपीय देशों का नंबर है। यूके, स्पेन, इटली, फ्रांस और जर्मनी अभी भी टॉप 10 देशों में बने हुए हैं। इन आंकड़ों से दो बातें साफ दिखाई दे रही हैं। एक – यूएस (US), यूके(UK) जैसे विकसित देश इसे काबू नहीं कर पा रहे हैं, और दूसरा – ब्राजील, भारत, तुर्की जैसे विकासशील देशों में, धीमी शुरुआत के बाद, इसका प्रसार बहुत तेजी से हो रहा है।
क्रम | देश | संक्रमित मरीज | मौत |
1. | यूएसए | 18,51,520 | 1,07,175 |
2. | ब्राजील | 5,84,016 | 32,548 |
3. | रुस | 4,31,715 | 5,208 |
4. | यूके | 2,81,270 | 39,811 |
5. | स्पेन | 2,40,326 | 33,601 |
6. | इटली | 2,33,836 | 26,313 |
7. | भारत | 2,17,187 | 6,088 |
8. | फ्रांस | 1,88,802 | 29,024 |
9. | जर्मनी | 1,84,427 | 8,610 |
10. | पेरु | 1,78,914 | 4,894 |

कितनी कारगर है कोरोना-टेस्टिंग?
देश | पॉजिटिविटी (प्रतिदिन) |
ब्राजील | 34.54% |
मैक्सिको | 16.51% |
स्वीडन | 14.67% |
यूके | 13.01% |
भारत | 8.73% |
यूएस | 7.03% |
कनाडा | 6.07% |
जर्मनी | 4.94% |
अगर रोजाना होनेवाले कोविड टेस्ट की बात की जाए तो, यूएस ने दुनिया के किसी भी देश की तुलना में ज्यादा टेस्ट किए हैं। लेकिन इसके बावजूद उसके आंकड़ों में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा, बल्कि नये-नये इलाकों में संक्रमण फैलता जा रहा है। आखिर इसकी वजह क्या है? दरअसल, रोजाना कितने टेस्ट होने चाहिए, या आबादी के हिसाब से कितने लोगों के टेस्ट लेने चाहिए, इसे लेकर विशेषज्ञों की राय एक जैसी नहीं है। वहीं, केवल टेस्टिंग की आंकड़ों से कोई निष्कर्ष निकालना भ्रामक हो सकता है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि पॉजिटिविटी दर (जितने लोगों की जांच हुई, उनमें कितने पॉजिटिव पाये गये) ही इस बात को तय करने का तरीका है, कि किसी देश की सरकार कितनी गंभीरता से टेस्टिंग कर रही है। जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है, कि कई देशों ने कोविड-टेस्टिंग के जरिए अपने देशों में इसके संक्रमण पर काफी हद तक रोक लगा ली, लेकिन उनके यहां यूएस की तुलना में प्रति व्यक्ति काफी कम जांच हुए।
दरअसल पॉजिटिविटी दर(Positivity rate) ज्यादा होने से ये भी संकेत मिलता है कि सरकार केवल बीमार लोगों की ही टेस्टिंग कर रही है और इनकी जांच के दायरे में ज्यादा बड़ी आबादी नहीं है। जबकि सरकारों को प्रयास ये करना चाहिए कि टेस्टिंग के जरिए कोरोना के फैलाव का पता लगाया जाए और उसे आगे बढ़ने से रोका जाए। लेकिन कई देशों में संक्रमित इलाकों ज्यादा टेस्टिंग हुई, और आंकड़े बढ़ते गये। यही वजह है कि अमेरिका में प्रति हजार व्यक्ति ज्यादा जांच के बावजूद, संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
WHO के मुताबिक महामारी से सही ढंग से निबटने के लिए सरकारों को अपना प्रयास इस बात पर केन्द्रित करना चाहिए कि महामारी के फैलाव का पता चल सके, ना कि किसी खास आबादी में उसके प्रसार का। वहीं छूट के मामले में सरकारों को ये कोशिश करनी चाहिए कि कम से कम 14 दिनों तक पॉजिटिविटी दर 5 फीसदी से नीचे रहे, उसके बाद ही सोशल डिस्टेंसिंग में कोई छूट दी जाए।

भारत में क्या है स्थिति?
आईसीएमआर के मुताबिक देश में अब तक कुल 42 लाख 42 हजार 718 सैंपल की जांच की जा चुकी है। पिछले 24 घंटे में भी 1 लाख 39 हजार 485 सैंपल की जांच की गई है। मौटे तौर पर रोजाना एक लाख से ज्यादा लोगों की जांच हो रही है। भारत में वैसे पॉजिटिविटी रेट कम है, लेकिन फिर भी WHO के 5 % बेंचमार्क से ऊपर ही है। यहां महाराष्ट्र सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में एक है। यहां 72 हजार से ज्यादा कोरोना के मामले आ चुके हैं, जबकि 24 हजार मामलों के साथ तमिलनाडु दूसरे स्थान पर है। कोरोना से मरनेवालों के मामले में भी महाराष्ट्र सबसे ऊपर है, जिसके बाद गुजरात और मध्य प्रदेश आते हैं। महाराष्ट्र में धारावी जैसे संक्रमित इलाकों में बड़े पैमाने पर, पूरी आबादी की टेस्टिंग हो रही है, इसलिए आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं। जबकि होना ये चाहिए था, उन इलाकों के साथ-साथ बाकी इलाकों में बड़े पैमाने पर टेस्टिंग हो, ताकि इक्का-दुक्का संक्रमितों की खोज की जा सके और कोरोना के नये इलाकों में फैलाव को रोका जा सके।