समर शेष है !
मेरे परिवार के तीन लोग इस हादसे में मरे हैं, दो अभी अस्पताल में गंभीर रूप से घायल हैं। मेरे भतीजे ने फोन करके बताया कि अभी जिस ट्रक से वो आ रहा है उसी में गाँव की पांच लाशें भी रखीं हैं। ट्रक (डीसीएम) के पीछे एक हिस्से में काले रंग की प्लास्टिक में लाशें बंधी है, दूसरी छोर पर हम लोग सो रहे हैं।”
—नागराज कालिन्दी, परिवार के तीन लोगों की औरैया में मौत और दो घायल
(तस्वीर और घटना की जानकारी का स्रोत –गांव कनेक्शन )
ऊपर जो आपने तस्वीर देखी… उसकी ये व्याख्या है …संदर्भ है यूपी के औरैया का, जहां दो दिन पहले, 26मजदूर एक ट्रक दुर्घटना में मारे गए थे। पुलिस के लिए मजदूर …मजदूर है…उनमें वो फर्क नहीं करती ….वो एक्सीडेंट में घायल हो…या फिर हादसे में मर चुका हो। लिहाजा एक ही डीसीएम ट्रक में एक ओर लाशें रखी गईं तो दूसरी ओर घायल मजदूरों को बिठाय गया।
विधायक होते तो सरकारी खर्चे पर रिसॉर्ट में ठहरते, डॉक्टर दंडवत करते, फिर इलाज करते, मजदूर थे…उनका घायल होना उनकी किस्मत थी, उनके गम से गमगीन सरकार इतना ही कर सकती थी कि उन्हें लाशों के साथ, एक ही ट्रक में रवाना करती।
जब व्यवस्था सड़ जाती है,… संवेदना मर जाती है।
औरैया में मरने वालों में ज्यादातर मजदूर झारखंड के थे। जब लाशों के साथ घायल की तस्वीर वायरल हुई, तभी दो देव भूलोक पर प्रकट हुए। पहले… वो चैनल इस तस्वीर को अपनी खबर बताकर अपने रिपोर्टर को शाबासी देने लगा, जो इसके पहले… खबर के फर्जी होने की कसमें खा रहा था। और दूसरी घटना झारखंड में हुई, जहां किसी घटना का होना या माना जाना तभी सिद्ध होता है जब वो ट्वीटर पर आए। मतलब ये कि… झारखंड के सीएम ने दो दिन में दो ट्वीट किए…मुख्यमंत्री के तौर पर अपने काम के लिए शायद यही उनका उच्चतम मानक है।
समर शेष है… लेकिन इस समर में तटस्थ क्या सिर्फ यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ हैं, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नहीं…?
अगर शवों को लाने और घायलों के इलाज के लिए हेमंत सोरेन ने खुद पहल की होती, क्या तब भी ये घटना तस्वीरों के जरिए सामने आती। मध्यप्रदेश के मजदूर जो सोए में ट्रेन से कट कर मर गए, उनके शव को लाने के लिए शिवराज सिंह चौहान ने खुद विशेष व्यवस्था की थी, प्लेन भिजवाया। झारखंड के सीएम ट्वीटर के वर्चुअल वर्ल्ड से बाहर निकल कर रियल वर्ल्ड में आ गए होते, तब शायद ये शर्मसार करने वाली घटना सामने न आती।
झारखंड के लोकतंत्र में लोक सिर्फ लिखा पहले जाता है, आता वो तंत्र की तंद्रा टूटने के बाद है
अभी ये कहानी खत्म नहीं हुई।
औरैया का एक और दर्द है जिसका सुना जाना जरूरी है।
ये तस्वीर देखिए …ये राहुल सहीस का परिवार है। एक साल पहले शादी हुई थी…छे महीने पहले कमाने राजस्थान गए थे। राहुल पांच दिन पहले पिता बने थे, 17मई को बच्चे की छठी में शामिल होने तीन दिन पहले राजस्थान से पैदल झारखंड चल दिए ..बाद में वो उसी ट्रक में बैठे ..जो औरैया में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। अब राहुल नहीं हैं, पछाड़ खाती मां है, बार-बार बेहोश होती बेवा है, पांच दिन का बच्चा है…
समर शेष है!