अपने आप ठीक हुए 40 लाख मरीज!!

राजधानी दिल्ली के लिए कई अच्छी खबरें हैं। जून के मुकाबले जुलाई में कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या में कमी आई है। वहीं सीरो सर्वे की रिपोर्ट में पता चला है कि करीब 24 फीसदी लोगों में एंटीबॉडीज पाई गई है। एंटीबॉडीज पाये जाने का मतलब, इन लोगों को कोरोना हुआ और वो ठीक भी हो गए। लेकिन ध्यान रखें, 24 फीसदी को कोरोना होने का मतलब…. करीब 45 लाख लोग संक्रमित हुए थे !!!! आपको बता दें कि कोरोना संक्रमितों के सरकारी आंकड़े अभी भी डेढ़ लाख से कम ही हैं।

क्या है सीरो सर्वे?
नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल और दिल्ली सरकार ने मिलकर 27 जून से 5 जुलाई तक सीरो सर्वे (delhi serological survey) कराया था । सर्वे में तय मानकों के मुताबिक ऐंटिबॉडी टेस्ट किया गया, ताकि ये पता चल सके कि कितने लोगों के अंदर कोरोना वायरस से लड़ने के लिए ऐंटिबॉडी तैयार हो चुकी है। इसकी रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी में करीब 24 फीसदी लोगों में एंटीबॉडीज पाई गई है। यानी इतने लोगों में कोरोना फैला और ये लोग ठीक हो गये।
अब दिल्ली सरकार ने हर महीने सीरो सर्वे कराने का फैसला लिया है…. ताकि पता लगा सकें कि कितना फर्क पड़ रहा है। अगला सीरो सर्वे 1 से 5 अगस्त तक किया जाएगा और 21 हजार से ज्यादा सैंपल लिए जाएंगे।
नतीजों का क्या है मतलब?
- सर्वे के मुताबिक, दिल्ली में 23.48 फीसदी लोगों में एंटीबॉडीज पाई गई, यानी करीब इतने लोग कोरोना की चपेट में आये।
- फिलहाल दिल्ली की आबादी करीब 1 करोड़ 90 लाख है। इसका 24 फीसदी निकालें…तो दिल्ली में कोरोना संक्रमितों की वास्तविक संख्या करीब 45 लाख थी।
- सर्वे में यह भी आया कि ज्यादातर संक्रमित लोग एसिम्पटोमेटिक यानी बिना लक्षण वाले हैं। और इनमें से अधिकांश बिना किसी इलाज के ठीक हो गये।
- वैसे, 6 महीनों के दौरान, घनी आबादी के बाद भी अगर एक चौथाई आबादी ही संक्रमित हुई… तो इसका मतलब लॉकडाउन और सरकारी प्रयासों का फायदा हुआ।
- इससे ये निष्कर्ष भी निकलता है कि अब दिल्ली के हर्ड इम्युनिटी हासिल करने यानी कोरोना प्रूफ होने की उम्मीद बढ़ गई है।

क्या है हर्ड इम्यूनिटी?
हर्ड इम्युनिटी का मतलब है, आबादी का एक तय हिस्सा वायरस से संक्रमित हो जाए, ताकि वो इस वायरस से इम्यून हो जाएं। और उनके शरीर में वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बन जाएं। अगर, 60-70 फीसदी आबादी कोरोना से पीड़ित हो जाए और लोगों में इसका एंटीबॉडी बन जाए, तो माना जाता है कि हर्ड इम्युनिटी विकसित हो गई है।
हालांकि, हर्ड इम्युनिटी (herd immunity) विकसित करने के लिए कितने प्रतिशत लोगों का संक्रमित होना जरूरी है… इस पर अभी बहस चल ही रही है। फरवरी में हावर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मार्क लिपस्टिच ने कहा था कि 40 से 70 प्रतिशत आबादी के संक्रमित होने पर हर्ड इम्युनिटी विकसित हो सकती है। वहीं, गणितज्ञ गैबरीला गोम्स का कहना है कि सिर्फ 20 प्रतिशत जनसंख्या से काम चल जाएगा। वैसे, एक्सपर्ट मानते हैं कि कोविड-19 के केस में… हर्ड इम्युनिटी विकसित होने के लिए 60 प्रतिशत आबादी में रोग प्रतिरोधक क्षमता होनी चाहिए।
वैसे, आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली और न्यूयॉर्क हर्ड इम्युनिटी जैसी स्थिति में हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली की एक चौथाई जनसंख्या यानी 45 लाख लोगों को कोरोना हुआ और वे बिना पता लगे….ठीक भी हो गए। हर्ड इम्युनिटी को लेकर भी विशेषज्ञों में मतभेद हैं और कई विशेषज्ञ इसे खतरा भी बताते हैं।

क्या है मौजूदा स्थिति?
एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया पहले ही कह चुके हैं कि दिल्ली में कोरोना संभवत अपने पीक पर पहुंच चुका है। यानी मरीजों की संख्या में लगातार गिरावट आती जाएगी। स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अब मरीजों को अस्पताल में एडमिशन में समय नहीं लगता और उनके लिए एंबुलेंस सर्विस भी पहले से कहीं बेहतर हो गई है।

दिल्ली में संक्रमित मरीजों में से 84 फीसदी कोरोना मरीज अब तक ठीक हो चुके हैं। कोरोना बेड्स की ऑक्यूपेंसी भी 22 फीसदी ही है…यानी 78 फीसदी बेड खाली हैं। वैसे, सर्वे में यह भी कहा गया है कि अभी भी राज्य की बड़ी आबादी असुरक्षित है.. इसलिए ऐहतियाती कदम जारी रखने की जरूरत है। यानी फिजिकल डिस्टेंसिंग, फेस मास्क और साफ-सफाई को जारी रखें।