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दिल्ली हिंसा : जमानत के लिए दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे उमर खालिद, निचली अदालत ने कर दी थी खारिज

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दिल्ली हिंसा : जमानत के लिए दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे उमर खालिद, निचली अदालत ने कर दी थी खारिज

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पूर्वोत्तर दिल्ली हुए दंगे में बड़े साजिश मामले के एक आरोपी उमर खालिद ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। खालिद की अपील पर हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई होगी। दिल्ली की एक अदालत ने 24 मार्च, 2022 को उमर खालिद की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। जेएनयू के पूर्व छात्र नेता की अपील को जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बैंच के समक्ष लिस्टेड किया गया है। उमर खालिद पर पूर्वोत्तर दिल्ली हिंसा में साजिश रचने का आरोप है। उन्हें 13 सितंबर 2020 को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया था।

एडिशनल सेशन जज अमिताभ रावत ने जमानत अर्जी को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उमर खालिद के खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया में सही हैं, इस पर विश्वास करने के लिए उचित आधार हैं, इसलिए, यूएपीए की धारा 43D द्वारा बनाई गई प्रतिबंध आरोपी को जमानत देने के लिए लागू होता है और साथ ही, धारा 437 सीआरपीसी में निहित प्रतिबंध है।

कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को कड़े यूएपीए के तहत मामले में दायर जमानत अर्जी पर अपना संक्षिप्त जवाब दाखिल करने के लिए तीन दिन का समय दिया और मामले को 27 अप्रैल को अगली सुनवायी के लिए सूचीबद्ध किया। दिल्ली पुलिस की ओर से विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद पेश हुए थे। फरवरी 2020 में अमरावती में खालिद द्वारा दिए गए भाषण का एक हिस्सा उनके वकील ने पीठ के समक्ष पढ़ा।

खालिद की इस टिप्पणी का जिक्र करते हुए कि जब आपके पूर्वज दलाली कर रहे थे कोर्ट ने कहा कि यह अप्रिय है। इन अभिव्यक्तियों का इस्तेमाल किया जा रहा है, क्या आपको नहीं लगता कि वे लोगों को उकसाते हैं? कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ कोई दिक्कत नहीं है लेकिन आप क्या कह रहे हैं।

कोर्ट ने कहा कि यह आपत्तिजनक है। आपने इसे कम से कम पांच बार कहा, क्या आपको नहीं लगता कि यह समूहों के बीच धार्मिक उत्तेजना को बढ़ावा देता है? क्या गांधी जी ने कभी इस भाषा का इस्तेमाल किया था? क्या भगत सिंह ने इस भाषा को अंग्रेजों के खिलाफ इस्तेमाल किया था? क्या गांधी जी ने हमें यही सिखाया कि हम लोगों और उनके पूर्वज के खिलाफ ऐसी अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर सकते हैं?

अदालत ने सवाल किया कि क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अप्रिय बयानों तक विस्तारित हो सकती है और क्या भाषण धार्मिक समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने के खिलाफ कानून को आकर्षित नहीं करता है। उसने कहा कि क्या अभिव्यक्ति की आजादी का विस्तार इस तरह के आपत्तिजनक बयान देने तक हो सकता है? क्या यह धारा 153 ए और धारा 153 बी (आईपीसी) के तहत नहीं आता है? प्रथम दृष्टया यह स्वीकार्य नहीं है। कोर्ट ने कहा कि भगत सिंह का उल्लेख करना बहुत आसान है लेकिन उनका अनुकरण करना मुश्किल है। एक महानुभाव थे जिन्हें अंततः फांसी दे दी गई, वे भागे नहीं वहीं रहे।

Delhi Violence: Umar Khalid reached Delhi High Court for bail, was rejected by the lower court

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