विमानों में खराबी की बढ़ती घटनाओं पर DGCA सख्त, एयरलाइंस को दिए ये कड़े निर्देश
पिछले कुछ महीनों से विमानों में उड़ान के दौरान तकनीकी खामियां सामने आने की घटनाएं एकाएक बढ़ी हैं. स्पाइसजेट में तो एक महीने के अंदर कम से कम 8 ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं. इसी के मद्देनजर देश के एविएशन सेफ्टी रेग्युलेटर DGCA ने स्पॉट चेकिंग की तो कई कमियां नजर आईं.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, डीजीसीए को पता चला कि एयरलाइंस कंपनियों की तरफ से विमानों में खराबियों का पता लगाने में चूक हो रही है और हवाई अड्डों पर क्वालिफाइड इंजीनियरों की तैनाती नहीं की जा रही है. अब डीजीसीए ने विमान कंपनियों को नए निर्देश जारी करके कहा है कि हर फ्लाइट से पहले तय नियमों का पालन करना होगा. विमान कंपनियों को दिक्कतें दूर करने के लिए 28 जुलाई तक का वक्त दिया गया है.
ये निर्देश विमानों की सुरक्षा को लेकर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की एयरलाइंस के बड़े अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद सोमवार को जारी किए गए. बैठक में सिंधिया ने निर्धारित सुरक्षा मानदंडों का सख्ती से पालन करने और यात्रियों की सुरक्षा में किसी तरह की ढिलाई न बरतने पर जोर दिया था. इसके बाद सोमवार को डीजीसीए की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि विमानों को उड़ान के लिए तैयार करने से पहले न्यूनतम उपकरण सूची (एमईएल) रिलीज करने की प्रवृत्ति बढ़ गई है.
एमईएल के जरिए विमान में मामूली टूट-फूट होने पर भी निर्धारित अवधि के लिए उड़ान की मंजूरी दे दी जाती है. जैसे अगर विमान की लैंडिंग लाइट टूटी हो तो भी उसे दिन में उड़ने की इजाजत एमईएल से मिल जाती है.डीजीसीए ने कहा है कि यह भी देखने में आया है कि ट्रांजिट और छोटे स्टेशनों पर एयरलाइंस कैटिगरी ए सर्टिफाइड स्टाफ से ही विमानों को उड़ान के लिए फिट घोषित करा लेती हैं जबकि ये नियम के खिलाफ है. इसे देखते हुए डीजीसीए ने आदेश दिया है कि सभी बेस और ट्रांजिट स्टेशनों पर सभी विमानों को तभी रिलीज किया जाएगा, जब बी1/बी2 लाइसेंस धारी एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस इंजीनियर (AME) जांच के बाद उसे सर्टिफाई करेगा.
दरअसल, हर उड़ान से पहले लाइसेंसधारी एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस इंजीनियर विमान की जांच करते हैं. सबकुछ सही मिलने पर ही उसे उड़ान की इजाजत देते हैं. लेकिन विमान कंपनियां इसमें घालमेल कर रही हैं. वह कैटिगरी ए लाइसेंस वाले टेक्निशियनों से ही ये काम करा ले रही हैं जबकि उन्हें एयरक्राफ्ट में एक लिमिट तक ही काम करने की इजाजत होती है. अब डीजीसीए ने कैटिगरी बी लाइसेंस वाले एएमई से विमानों की जांच कराने को कहा है, जो इंजन और विंग जैसे जटिल पुर्जों की खामियों को ढूंढने के लिए ट्रेंड होते हैं.
डीजीसीए ने सभी स्टेशनों पर कैटिगरी बीए1 या बी2 कैटिगरी के इंजीनियरों को तैनात करके विमानों की जांच कराने और उन्हें पर्याप्त उपकरण मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं. कहा गया है कि ऐसा नहीं किया जाता तो सर्टिफाइड स्टाफ को फ्लाइट ड्यूटी पर भेजना होगा. विमान कंपनियों से इस निर्देश का 28 जुलाई तक पालन करने को कहा गया है.
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