क्या आप जानते हैं लापरवाही 12 हजार का कारोबार है?
एक ओर नफरत की बातें तो दूसरी ओर इन पर लगाम लगाने को लेकर बड़ी लापरवाही …वजह… 1.6 बिलियन $ का कारोबार ।
लेकिन पहले बात उस अखबार की जिसकी रिपोर्ट छपती है अमेरिका में और तहलका मचता है 13568 किमी दूर इंडिया में।
कोरोना वायरस की सीक्वेन्सिंग चीन ने तैयार कर ली थी, लेकिन दुनिया को इसके बारे में बताया नहीं था। 8 जनवरी को अमेरिकी अखबार the wall street journal ने इस बारे में रिपोर्ट छापी। सकते में आई चीन की सरकार ने कुछ घंटों के अंदर सीक्वेन्सिंग डाटा WHO को सौंप दिया। प्रेस की ताकत और दुनिया को स्वतंत्र पत्रकारिता की जरूरत से एक बार फिर इस अखबार ने रूबरू कराया है।
14 अगस्त को the wall street journal में Newley Purnell और Jeff Horwitz की रिपोर्ट में फेसबुक पर बीजेपी के प्रति नरम रुख अपनाने और पार्टी के नेताओं के हेट स्पीच पर लगाम नहीं लगाने का बड़ा आरोप लगाया गया है।
फेसबुक पर क्या इल्जाम है?
- भारत में फेसबुक की डायरेक्टर Public Policy, Ankhi Das ने बीजेपी के साथ कंपनी के संबंधों को बर्बाद करने के डर से तेलंगाना में बीजेपी के एकमात्र विधायक टी. राजा सिंह पर हेट स्पीच के नियम लागू करने का विरोध किया. ऐसा उन्होने तब किया जब फेसबुक की इंटरनल टीम ने राजा सहित बीजेपी के कई नेताओं के बयान को हिंसा के लिए उकसाने वाला और खतरनाक करार देते हुए फ्लैग किया था। आंखी ने ऐसा क्यों किया ? क्योंकि …जैसा कि WSJ का दावा है कि आंखी के अनुसार इससे “भारत में फेसबुक के कारोबार पर असर पड़ेगा.”
- बीजेपी सांसद अनंत कुमार हेगडे के कई मुस्लिम विरोधी भड़काऊ पोस्ट पर फेसबुक ने कोई कार्रवाई नहीं की, लेकिन WSJ रिपोर्टर्स के इस ओर ध्यान दिलाते ही इन्हें फेसबुक से डिलीट कर दिया गया।
- बीजेपी के नेताओं ने मुसलमानों पर कोरोनोवायरस फैलाने, देश के खिलाफ साजिश रचने और “लव जिहाद” को लेकर कई भड़काऊ पोस्ट किए, लेकिन दास की टीम ने इन पोस्ट्स पर “कोई कार्रवाई” नहीं की.
- अप्रैल 2019 में आम चुनाव के थोड़ा पहले फेसबुक ने ऐलान किया कि – कांग्रेस पार्टी और पाकिस्तानी सेना से जुड़े भ्रामक खबरें पोस्ट करने वाले कई फर्जी पेज को बंद कर दिया गया है। लेकिन कंपनी ने ये जानकारी छिपाई कि उसने इसी तरह की कार्रवाई बीजेपी से जुड़े फर्जी पेजों पर भी की थी।
ये खबर क्यों बड़ी है?
अखबार और टीवी जैसे मेनस्ट्रीम मीडिया से लोगों का भरोसा कम होने के बाद ट्वीटर और फेसबुक जैसे सोशल साइट पर battle for narratives शुरू हो गया। अब WSJ की रिपोर्ट बताती है कि सच के बाद वाली खबरों की दुनिया में सच क्या है ये समाज के नियम नहीं, अब बाजार तय कर रहा है। अमेरिकी सीनेट को दिए अपने बयान में Facebook के CEO, Mark Zuckerberg ने कहा था कि – the company cannot be “an arbiter of truth”. अब पता चला है कि सोशल साइट्स के लिए सच बहुत बड़ा कारोबार है…खास कर अधूरा सच। सच बताने से सच छिपाना कहीं ज्यादा बड़ा कारोबार है। एक सच है सत्ता का, सत्ताधारी पार्टी का, दूसरा सच है विरोधी पार्टियों का … अब पैसा तय करेगा कि जनता को कौन सा सच सुनने, पढ़ने और जानने को मिलेगा। बात कारोबार बढ़ाने की हो तो कंपनी हिंसा या दंगा भड़काऊ बयान को लेकर ज्यादा परेशान नहीं होती।
लेकिन ये कहानी सिर्फ एक कंपनी के कारोबार की नीति की नहीं है। इसमें एक साथ गुंथी, एक के बाद एक कहानियां हैं। राजनीति की एक कथा शुरू होती है तो बीच में कहीं, बिजनेस की दूसरी अंतर्कथा शुरू हो जाती है।
भारत में फेसबुक के 35 करोड़ यूजर हैं, ये दुनिया के किसी देश में इसके यूजर्स की सबसे बड़ी तादाद है। फेसबुक पर प्रधानमंत्री मोदी के दुनिया के किसी दूसरे नेता से कहीं ज्यादा फॉलोअर्स हैं। इस मंच पर दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी है। पीएम बनने के अगले साल मोदी जब अमेरिका गए थे तब वो कैलिफोर्निया में फेसबुक के दफ्तर भी गए थे। फेसबुक ने हाल ही में जिओ के दस फीसदी से ज्यादा शेयर खरीदे हैं। फेसबुक के स्वामित्व वाली कंपनी व्हाट्सएप जो एक वक्त वीडियो शेयरिंग के लिए जानी जाती थी, अब इसकी पहचान झूठ के विश्वविद्यालय की है, फेक फैक्ट्री की है। एक ओर कांग्रेस पार्टी को राफेल को लेकर अपना एड पोस्ट करने की इजाजत फेसबुक नहीं दे रहा था तो उसी वक्त व्हाट्स एप पेमेन्ट बिजनेस के लिए सरकारी लाइसेंस का भारत में इंतजार कर रहा था। 2019 में फेसबुक के रिवेन्यू में 71% और प्रॉफिट में 84% का इजाफा हुआ। फेसबुक पर अमेरिका में इल्जाम लगा कि उसने कैम्ब्रिज एनालिटिका को यूजर डाटा बेच दिया जिससे ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी को टारगेटेड ऑनलाइन कैंपेन चलाने में मदद मिली और ट्रंप प्रेसीडेंट बने। इसी तरह का इल्जाम कंपनी पर ब्राजील में भी लगा। आप सच के लिए भावुक हो सकते हैं, लेकिन फेसबुक के लिए सच महज एक सौदा है।