पूर्वी लद्दाख में विवाद : चीनी सेना ने भारतीय चरवाहों को पशु चराने से रोका
भारत और चीन के बीच सीमा वास्तविक है, यानी न तो कंटीले तार और न ही कोई दीवा.. दूर-दूर तक फैले सिर्फ़ बंजर मैदान और कहीं-कहीं हल्की-फुल्की घास भी दिख जाती है… और ये घास के मैदान ही हैं, एलएसी के पास रहने वाले भारतीय गांव वालों के पशुओं की लाइफ़ लाइन… और पिछले हफ़्ते ही भारतीय चरवाहों को अपने पशु चराने के लिये चीनी पीएलए के साथ विवाद हो गया.
सूत्रों के मुताबिक, पूर्वी लद्दाख के डेमचौक इलाके में एक बार फिर चीनी पीएलए ने भारतीय चरवाहों को पशुओं को चराने से रोका. हालांकि किसी तरह का फेसऑफ, धक्कामुक्की या बैनर ड्रिल की नौबत नहीं आई और इस विवाद को स्थानीय कमांडर स्तर पर बातचीत से सुलझा लिया गया. ये घटना डेमचौक के सैडल पास के चार्डिंग निंगलुंग नाला (CNN) के ट्रैक जंशन के पास हुई. चीनी और भारत के बीच इस तरह की विवाद कोई नया नहीं है. पारंपरिक चरागाह में भारतीय चरवाहों के पशुओं को चराने को लेकर विवाद होता रहा है.
दरअसल, तिब्बत के पठार और लद्दाख के इन ठंडे मरुस्थल में सदियों से यहां के जनजातीय लोग रहते हैं, जोकि अपने पशुओं को उन मैदान में चराते हैं, लेकिन पिछले कई दशकों से चीन-तिब्बत के इलाक़े में पड़ने वाले चरागाह में स्थानीय लोगों, जोकि अपने पशुओं को चराया करते हैं, उन्हीं चरवाहों के भेष में चीन अपने सैनिकों और जासूसों को भेजता रहा है. चीनी चरवाहों की मदद से भारतीय इलाकों में अपनी गतिविधियों को अंजाम देता आया है और भारतीय इलाक़े में अपने चरवाहों को भेजकर उन चरागाहों पर अपना दावा भी ठोंकता रहा है, लेकिन अब भारत ने चीन की इस हरकतों का उसी की भाषा में जवाब देने की तैयारी कर ली है.
Dispute in Eastern Ladakh: Chinese army stops Indian shepherds from grazing cattle