क्यूं पंगे ले रहा है चीन?
दुनिया के दो परमाणु शक्ति-संपन्न देश (India and china), दो बड़ी आर्थिक शक्तियां और दोनों में राष्ट्रवादी नेताओं के हाथ सत्ता की बागडोर…क्या ये किसी आसन्न और अनिवार्य टकराव के लिए पर्याप्त मसाला नहीं है? इसके अलावा कोरोना का संकट और आर्थिक स्थिति में लगातार गिरावट…कोढ़ में खाज की तरह है। राष्ट्रवादी सत्ता के लिए सबसे जरुरी होता है अपनी साख बचाना…अगर वो दांव पर लगे, तो उनके वजूद के लिए ही संकट पैदा हो जाएगा। ऐसे में झुकने का सवाल ही नहीं होता…भले ही टकराव की कीमत कुछ भी हो। फिलहाल दोनों ही देश एक इंच भी पीछे हटना नहीं चाहते। तो क्या युद्ध (war) अवश्यंभावी है?
क्या है वजह?
कुछ ही महीने पहले भारत (India) और चीनी (china) सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी और तब से तनाव कम करने की कोशिश लगातार जारी है। लेकिन बातचीत किसी भी नतीजे पर पहुंचती नहीं दिख रही, क्योंकि उसके बाद से दोनों ही देशों ने कई बार एक-दूसरे पर… LAC के उल्लंघन का आरोप लगाया है। दरअसल, भारत-तिब्बत से बीच 3,379 किलोमीटर लंबी सीमा पर कई मामलों में दोनों देशों के बीच सहमति नहीं है। यहां तक कि इस LAC को लेकर भी दोनों देशों के दावे अलग-अलग हैं। ऐसे में एक-दूसरे की सीमा में घुसने के आरोप को लेकर… दोनों ही देश सही हो सकते हैं।
अगर इतिहास में झांकें, तो पूरी 19वीं शताब्दी… तीन साम्राज्यों (ब्रिटिश, चीन और रुसी) के सैनिक और राजनीतिक संघर्ष की घटनाओं से भरी रही है। उपनिवेशवाद खत्म होने के बाद भी इनकी मानसिकता खत्म नहीं हुई और सीमा को लेकर आपसी खींचतान जारी रही। ब्रिटिश साम्राज्य ने जाते-जाते भारत की सभी सीमाओं पर (चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल) विवाद के बीज छोड़ दिए। 1947 में भारत को आजादी मिली, तो 1951 में चीन में तिब्बत पर कब्जा जमा लिया और इसके साथ ही चीन की सीमाएं भारत से आ लगीं। 1962 की लड़ाई के बाद चीन ने ना सिर्फ अपनी मर्जी से LAC (line of actual control) का निर्धारण किया, बल्कि अक्साई-चीन पर भि हिस्सा ले लिया, जो दरअसल भारत के हिस्से में था।
नया विवाद क्यों?
ताजा सीमा विवाद पैंगोंग त्सो झील के आसपास के इलाके से जुड़ा है। भारतीय सेना ने 29-30 अगस्त की रात को पैंगोंग झील (Pangong Lake) के दक्षिणी हिस्से में मौजूद एक अहम चोटी ‘ब्लैक टॉप’ पर कब्जा कर लिया। ये चोटी रणनीतिक रूप से काफी अहम मानी जाती है, क्योंकि चीनी सैनिक यहां से कुछ ही मीटर की दूरी पर हैं। इस चोटी पर चीन कब्जा करना चाहता था, लेकिन भारतीय सेना ने न सिर्फ चीनी सैनिकों को खदेड़ दिया, बल्कि यह पूरी चोटी अपने कब्जे में ले ली।
पैंगोंग झील का पूरा इलाका क्षेत्र भारत और चीन दोनों की सीमाओं में फैला हुआ है। इसके दक्षिण में गलवान घाटी है, जहां जून में हिंसक झड़प हुई थी। 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध में इस इलाके पर कब्जे को लेकर भारी संघर्ष हुआ था। इसलिए चीन के लिए पैंगोंग झील का रणनीतिक कम, भावनात्मक महत्व ज्यादा है।
अब क्या करेगा चीन?
जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक कुछ महीने पहले चीन ने… LAC से लगातार आगे बढ़ते हुए रणनीतिक बढ़त हासिल कर ली थी। लेकिन इस बार भारत ने पहल की है और ना सिर्फ चीन की बढ़त रोक दी है बल्कि कुछ विवादित चोटियों पर कब्जा जमाकर अपने सैन्य स्थिति भी मजबूत कर ली है। फिलहाल गेंद चीन के पाले में है और वो अपने तरीके से हिसाब बराबर करने की पूरी कोशिश करेगा।
क्या छिड़ जाएगा युद्ध?
कूटनीतिक मामलों के विशेषज्ञ इस संभावना से इंकार करते हैं कि दोनों देशों में बड़े पैमाने पर युद्ध छिड़ जाएगा और परमाणविक हथियारों के इस्तेमाल की नौबत आएगी। लेकिन सीमित मात्रा में सैनिक बल प्रयोग की आशंका बढ़ गई है। दरअसल दोनों ही देश एक दूसरे को उनकी औकात बताना चाहते हैं। खास तौर पर चीन के लिए तिब्बत का LAC… ना सिर्फ उसकी सैन्य तैयारियों की प्रयोगशाला है, बल्कि वैश्विक स्तर पर अमेरिका और दूसरे देशों को अपनी ताकत दिखाने का एक मौका भी। यहां के मामूली नुकसान से एक तरफ उसे एशिया में अपनी सर्वोच्चता साबित करने का मौका मिलेगा, तो दूसरी तरफ विश्व स्तर का कूटनीति को आंकने का अवसर भी। एक छोटा युद्ध ये जानने के लिए काफी होगा कि अमेरिका…भारत की मदद के लिए किस सीमा तक जा सकता है… युद्ध की स्थिति में रुस का रुख़ क्या होगा…और मुसीबत के वक्त कौन सा देश उसके साथ खड़ा होता है…कौन नहीं।
क्या है इसका हल?
मौजूदा विवाद में चीन का कहना है कि चूंकि सीमा को लेकर दोनों देशों में दशकों से सहमति नहीं है, इसलिए ऐसी स्थिति आ रही है और आती रहेगी। यानी चीन जब चाहे दबाव बनाने के लिए सीमा पर विवाद खड़ा कर सकता है, और जब चाहे पीछे हट सकता है। ऐसे में जब तक सीमा को लेकर दोनों देशों में समझौता नहीं होगा, ये विवाद बना रहेगा और आपसी झड़पें होती रहेंगी।
चीन का रुस के साथ भी वर्षों तक सीमा-विवाद रहा था। रुस के विघटन के बाद अमेरिका का मुकाबला करने उसे एक मजबूत दोस्त की जरुरत थी, इसलिए उसने रुस के साथ समझौता कर ये विवाद निपटा लिया। लेकिन, भारत के साथ सीमा-विवाद हल करने की उसे कोई जल्दी नहीं है, क्योंकि ना तो भारत उसके सामने कोई सैन्य चुनौती पेश कर रहा है और ना ही वैश्विक रणनीति में उसे भारत की कोई जरुरत है।
उसके लिए भारत एक उभरता हुआ गरीब देश है, जिसकी बढ़ती आबादी, उसका सस्ता माल खपाने के लिए बेहतरीन बाजार है। इसे सबक सिखाने के लिए उसे सैन्य स्तर पर बड़ा प्रयास करने की भी जरुरत नहीं है। इसके लिए उसके पड़ोसी देश ही काफी हैं, जैसे – पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, बांग्ला देश, म्यांमार आदि। मच्छर मारने के लिए कोई तोप का इस्तेमाल करता है क्या? इसलिए बड़े युद्ध की संभावना नहीं है। ये और बात है कि वो जिसे मच्छर समझ रहा है, वो इस बार तालियां पीटने से भागने के मूड में नहीं है।