क्या सिगरेट पीने वालों को नहीं होता है कोरोना ?
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सिगरेट पीने वालों को कोरोना से संक्रमित होने का खतरा नॉन-स्मोकर्स से कम है- निकोटिन शायद अप्रत्यक्ष तौर पर वायरस को सेल पर कब्जा जमाने से रोक देता है।
अब तक हम यही सुनते आए हैं कि स्मोकिंग सेहत के लिए बुरी चीज है। हार्ट, लंग्स और कई तरह के कैंसर के लिए स्मोकिंग सबसे बड़ा खतरा है। ये इम्यूनिटी को कम करता है और सांस की गंभीर बीमारियों का अंदेशा बढ़ाता है। सिगरेट पीने के दौरान एक स्मोकर बार-बार अपने मुंह और चेहरे को टच करता है जो कोरोना के लिए रिस्क करार दिया गया है। WHO ने भी साफ तौर पर कहा है कि जो पहले से स्मोक करते आए हैं, उन मरीजों के लिए कोरोना कहीं बड़ा खतरा है।
लेकिन फ्रांस में एक नया रिसर्च पब्लिश हुआ है।
रिसर्च का लिंक – https://www.qeios.com/read/WPP19W.3
इस रिसर्च में स्मोकिंग से कोरोना के खतरे को समझने की कोशिश की गई है। 28 फरवरी से 30 मार्च के बीच जिन 343 मरीजों का कोरोना के लिए अस्पताल में इलाज हुआ उनका एक समूह बनाया गया। दूसरा समूह उन 139 लोगों का बनाया गया जो 23 मार्च से 9 अप्रैल के बीच कोरोना के इलाज के लिए अस्पताल के ओपीडी में आए थे। इन सभी मरीजों से पूछा गया कि क्या वो स्मोक करते हैं? अस्पताल के मरीजों में स्मोकिंग के औसत को फ्रांस में स्मोकिंग के औसत से मिलान कर देखा गया।
रिसर्च में पता चला कि अस्पताल में भर्ती मरीजों में से 4.4% और OPD पेशेंट्स में 5.3% मरीज ही स्मोकर थे, जबकि बाकी के 95% के करीब नॉन-स्मोकर थे। फ्रांस में 25.4% (2018 का डाटा) लोग रोज स्मोक करते हैं, उस हिसाब से स्मोकिंग करने वाले कोरोना मरीजों का ये औसत हैरान करने वाला है। रिसर्च का नतीजा –
फ्रांस के आम लोगों की तुलना में, जो लोग अभी स्मोक कर रहे हैं, उनमें SARS-CoV-2 के गंभीर संक्रमण की आशंका कम है।
स्मोकर्स में कोरोना संक्रमण के मामले कम क्यों हैं ?
रिसर्चर्स का दावा है कि जब कोई सिगरेट पीता है तो निकोटिन निकल कर कोशिका के उसी ACE2 receptors पर जम जाता है जिसकी तलाश कोरोना के वायरस SARS-CoV-2 को होती है। नतीजा ये कि स्मोकर के लंग्स में कम तादाद में वायरस पहुंच पाते हैं।
इस रिसर्च को फ्रांस में स्वास्थ्य मंत्रालय ने अब तक मान्यता नहीं दी है।