फेक पासपोर्ट मामले में डॉन अबू सलेम को 3 साल की सजा

मुंबई बम ब्लास्ट केस में आजीवन कारावास की सजा काट रहे अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम को फेक पासपोर्ट मामले में तीन साल की कैद की सजा सुनाई गई है. यह फैसला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की लखनऊ कोर्ट के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सुनाया है. इतना ही नहीं कोर्ट ने अबू सलेम पर 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. वहीं, दूसरे अभियुक्त परवेज को भी तीन साल का कारावास और 35 हजार रुपए का जुर्माने की सजा सुनाई गई है. फिलहाल, अबू सलेम मुंबई की आर्थर जेल में बंद है.
बता दें कि बीती 13 सितंबर को मुंबई की तलोजा जेल में बंद अबू सलेम को उसके साथी परवेज आलम के साथ लखनऊ लाया गया था. कड़ी सुरक्षा में सीबीआइ कोर्ट में पेशी हुई थी. फर्जी पासपोर्ट के मामले में कोर्ट ने दलीलें सुनी और फैसले के लिए 27 सितंबर की तारीख तय की. अबू सलेम ने 29 जून, 1993 में पासपोर्ट के लिए अप्लाई किया था. उसने परवेज आलम के जरिए से अप्लाई किया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीबीआइ की लखनऊ कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए डॉन अबू सलेम और उसके साथी परवेज आलम को तीन-तीन साल की सजा सुनाई. दरअसल, डॉन अबू सलेम ने 29 जून, 1993 को आजमगढ़ में आवेदन कर अपना और अपनी कथित पत्नी समीरा जुमानी का फर्जी दस्तावजों के जरिए पासपोर्ट बनवाया था. पासपोर्ट बनवाने में सलेम की मदद परवेज आलम ने की थी.
मुंबई बम ब्लास्ट केस में आजीवन कारावास की सजा काट रहा डॉन अबू सलेम यूपी के आजमगढ़ जिले के सरायमीर गांव का निवासी है. पिता पेशे से वकील थे, जिनकी एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी. मेकैनिक का काम कर 12वीं की पढ़ाई की और फिर घर छोड़ दिया. धीरे-धीरे क्राइम की दुनिया में वर्चस्व स्थापित किया और फिर 1993 के मुंबई बम ब्लास्ट में भी शामिल रहा.
बता दें, 19 साल पुराने यानी 2003 के एक मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सबसे बड़े माफिया सरगना मुख्तार अंसारी को पहली बार 7 साल की सजा दी गई. दरअसल, मुख्तार लखनऊ जेल में बंद था, उसके बहुत से गुर्गे जेल में बिना तलाशी दिए उससे मिलना चाहते थे. तेजतर्रार जेलर एसके अवस्थी ने जेल मैनुएल के अनुसार ही तलाशी देनें के बाद ही मिलने का आदेश दिया. मुख्तार का पारा चढ़ गया, उसने एक गुर्गे का रिवाल्वर लेकर जेलर अवस्थी पर तान दिया और धमकी दी.
मुख्तार ने धमकाते हुए जेलर से कहा कि अपने को बड़ा ऊंचा समझने लगे हो, जेल से बाहर निकलो, जान से मरवा दूंगा. इसी का मुकदमा जेलर द्वारा लिखवाया गया था. यह मुकदमा ज़िला स्तरीय कोर्ट से छूट गया. उसके बाद योगी सरकार ने हाई कोर्ट में अपील की, जिसपर मुख्तार को 21 सितंबर 2022 को 7 साल की सजा दे दी गई.
Don Abu Salem sentenced to 3 years in fake passport case