14 मार्च का सर्कुलर फिर से जारी कीजिए सरकार !
दिल्ली के LNJP अस्पताल को लेकर इंडिया टीवी की रिपोर्ट से देश के सरकारी अस्पतालों में भयावह स्थिति एक बार फिर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट ने अस्पताल को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां कोरोना मरीजों की मौत हो गई लेकिन परिजनों को खबर नहीं दी गई। शव का अंतिम संस्कार तक बगैर बताए कर दिया गया।
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के मुताबिक हेल्थ डिपार्टमेंट ने एक मॉडल बनाया है जिसके मुताबिक आशंका है कि जुलाई के आखिर तक दिल्ली में 5.5 लाख कोरोना मरीज होंगे। ये अभी की तादाद का तेरह गुना से ज्यादा है। अभी कोरोना मरीजों के लिए दिल्ली में 9 हजार बिस्तर हैं, तब 80 हजार की जरूरत होगी।
अलग-अलग राज्यों में कोरोना का पीक अलग-अलग वक्त पर आने की आशंका है। ऐसे में जो भी तैयारी हमारे पास अभी है इसे और दस गुना ज्यादा करने की जरूरत हो सकती है। सवाल है ये होगा कैसे ?
सुझाव
14 मार्च का सर्कुलर फिर से जारी करे केंद्र सरकार- https://www.thehindubusinessline.com/news/covid-19-deceaseds-kin-to-get-4-lakh-in-compensation/article31068624.ece
केंद्र सरकार ने 14 मार्च को एक सर्कुलर जारी कर कहा था कि कोरोना के मरीजों के अस्पतालों में इलाज का खर्च सरकार वहन करेगी। इसके अलावा कोरोना से मरने वालों के परिजनों को सरकार चार लाख की मदद राशि देगी।
लेकिन उसी दिन फिर एक संशोधित सर्कुलर आया और इस संशोधित सर्कुलर से ये दोनों बातें गायब थीं।
अभी अभूतपूर्व हेल्थ इमरजेंसी से देश गुजर रहा है। इस वक्त अभूतपूर्व फैसले ले कर ही हम इस संकट से पार पा सकते हैं। तमाम नियम कानून को ताक में रख कर केंद्र सरकार को आपदा प्रबंधन कानून के तहत हासिल अधिकार का इस्तेमाल करते हुए देश के तमाम निजी अस्पतालों का छह महीने के लिए अधिग्रहण कर लेना चाहिए। तमाम निजी अस्पतालों को कोरोना के इलाज के लिए सरकारी अस्पताल की तरह काम करना होगा। किसी मरीज के इलाज के लिए जो भी जरूरी खर्च होगा वो भारत सरकार के खाते से जाएगा, लेकिन निजी अस्पतालों को ICU के लिए दो से नौ लाख, जेनरल वार्ड में बेड के लिए पचीस हजार से दो लाख तक एडवांस जमा करना, हर दिन का औसतन तीस से पचास हजार चार्ज करने पर फौरन रोक लगनी चाहिए। महानगरों में निजी अस्पताल कोरोना को कमाई के सबसे बड़े मौके के तौर पर देख रहे हैं। उन्होंने पूरी तरह लूट मचा दी है। उनमें सुधार नहीं हो सकता, न ही इसके लिए वक्त है। जरूरी ये है कि जैसे स्कूल में एडमिशन के लिए, नजदीक रहने वालों को तरजीह दी जाती है, उसी तरह निजी अस्पतालों को भी करीब रहने वालों का पहले इलाज करना होगा। जब तक कोरोना है तब तक उन्हें मुनाफा नहीं देश के बारे में सोचना होगा। उन्हें समझना होगा कि कोरोना वारियर के तौर पर उनकी वही भूमिका है जो सरहद पर सैनिक की होती है।
सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की सैलरी में कटौती
कोरोना संकट के मद्देनजर, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने अपनी सैलरी में तीस फीसदी की कटौती की। अब बारी है 2.20 करोड़, केंद्र सरकार और राज्य सरकार के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की सैलरी में कटौती की। जब तक कोरोना का संकट है तब तक इन्हें आधी सैलरी ही दी जाए। इस रकम से हर गली मोहल्ले में खाली जगहों में, स्टेडियमों में अस्थायी अस्पताल और क्वारंटीन सेंटर बनाए जाएं। सारे होटल, सरकारी सर्किट हाउस गेस्ट हाउस आइसोलेशन सेंटर और हेल्थ वर्कर की रिहाईश में तब्दील कर दिए जाएं।
सरकार LIC से सारे देश का कैशलेस कोरोना इंश्योरेंस करवाए। इससे निजी अस्पतालों को भी कुछ रकम मिल जाएगी और इंश्योरेंस सेक्टर को भी फायदा होगा।
प्रधानमंत्री कार्यालय में मजदूरों के लिए कॉल सेंटर बने
जो मजदूर अब भी कहीं फंसे हुए हैं और किसी वजह से अपने घर या गांव नहीं जा पाए हैं उनके लिए तीन अंकों का एक अस्थायी हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाए…इस वादे के साथ कि आपका दुख हमारा भी दुख है..आप जहां कहीं भी जाना चाहते हैं, बस हमें बताइए, हम आपको दो दिन में वहां पहुंचा देंगे।
वैसे जब तक हमारे समाज में सोनू सूद जैसे लोग हैं, एक आम भारतीय अपनेपन के एहसास से कभी महरूम नहीं होगा, लेकिन इससे होगा ये कि देश भर के मजदूर जो अभी छले जाने के एहसास से गुजर रहे हैं, उन्हें लगेगा कि नहीं …गरीब देश के अमीर लोकतंत्र में उनकी सुनने वाला कोई है
अब सबसे अहम बात
गरीबों के खाते में कैश ट्रांसफर को इगो इशू मत बनाइए। देश में जिस सेविंग्स अकाउंट में आज के दिन दो हजार से कम की राशि है और बीते साल भर में कभी इस खाते में दस हजार से ज्यादा जमा नहीं रहा है, उसमें हर हफ्ते कम से कम पांच सौ और अगर हो सके तो एक हजार सरकारी खाते से तब तक जमा किया जाए जब तक कि कोरोना और रोजगार का संकट दूर नहीं हो जाता।