सड़क किनारे टमाटर फेंकने के लिए मजबूर हुए किसान
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तमिलनाडु के पलाकोड, मरंडाहल्ली, अरूर और पप्पीरेट्टीपट्टी के किसानों ने मेहनत और परिवहन की लागत वहन करने में असमर्थ टमाटरों को सड़ने या सड़क किनारे फेंकने का फैसला किया है. तीन महीने पहले टमाटर की कीमत 100 रुपये से 150 रुपये तक पहुंचने के दौरान बड़ी मात्रा में टमाटर की खेती की गई थी, लेकिन किसानों को निराशा हाथ लगी, क्योंकि उसकी कीमत अब सिर्फ दो से आठ रुपये ही रह गई है.
टमाटर को तोड़ने के लिए किसानों को एक मजदूर को कम-से-कम 400 रुपये का भुगतान करना पड़ता है और फिर उन्हें बाजार तक ले जाना पड़ता है, जिसका मतलब है कि उन्हें अपनी जेब से मोटी कीमत चुकानी पड़ रही है. अधिक नुकसान से बचने के लिए क्षेत्र के किसानों ने टमाटर को सड़ने देने का फैसला किया है. बड़ी संख्या में किसानों ने बड़ी मात्रा में टमाटरों को सड़क किनारे फेंक दिया, जिसके बाद वहां मौजूद या गुजर रहे मवेशियों और बंदरों ने उसे खा लिया. क्षेत्र के किसानों का कहना है कि यदि सरकार टमाटर आदि का न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करती है तो इस तरह के नुकसान से बचा जा सकता है.
वहीं, जहां एक ओर टमाटर के दाम कम हो रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर नींबू ने लोगों के दांतों को खट्टा कर दिया है. नींबू के दाम आसमान छू रहे हैं. गुजरात में होल सेल में नींबू 180 रुपये तो रिटेल में 220 से 240 रुपये किलो तक बिक रहा है. एक नींबू की कीमत 10 से 15 रुपये के आसपास पड़ रही है. आम दिनों में एक किलो नींबू के दाम 40/50 रुपये किलो मिलता है. व्यापारियों का कहना है कि ज्यादा डिमांड होने की वजह से रेट बढ़ रहे हैं. वहीं, गर्मी काफी अधिक है और नींबू की सप्लाई कम हो गई है. यह भी नींबू के दाम बढ़ने के पीछे एक वजह है.
Farmers forced to throw tomatoes on the roadside