कोरोना का फेवरिट ब्लड ग्रुप कौन सा है?
कोरोना से ‘खून का रिश्ता’ !
कोरोना किसे होगा, किसे नहीं, ये तो कोई नहीं जानता, लेकिन कई देशों में वायरोलॉजिस्ट ये जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या किसी खास ब्लड ग्रुप के लोग इससे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं?
चीन के शेनजेन में हुआ रिसर्च क्या बताता है?
चीन के शेनजेन में The Southern University of Science and Technology है। यहां प्रोफेसर Jiao Zhao की टीम ने वुहान के तीन अस्पतालों में भर्ती कोविड 19 के 2173 मरीजों का ब्लड ग्रुप मालूम किया। साथ ही तुलना के मकसद से वुहान और शेनजेन के 23000 सामान्य लोगों का ब्लड ग्रुप पता किया।
रिसर्च से पता चला कि A ब्लड ग्रुप के लोगों (A-positive, A-negative and AB-positive, AB-negative) के संक्रमित होने की आशंका non A ब्लड ग्रुप से ज्यादा है।
जबकि O ब्लड ग्रुप के लोगों (O-negative and O-positive) के संक्रमित नहीं होने की सबसे ज्यादा संभावना है।
इसी तरह का एक रिसर्च अमेरिका के न्यूयॉर्क में भी हुआ है। New York Presbyterian hospital के 1559 लोगों के कोरोना टेस्ट रिजल्ट का डाटा देखा गया। पता चला कि इनमें से 682 लोगों का रिजल्ट पॉजिटिव आया था। अब इन कोरोना पॉजिटिव लोगों के ब्लड ग्रुप के रिसर्च ये जानकारी सामने आई कि A blood वालों में दूसरे ब्लड ग्रुप के मुकाबले कोरोना पॉजिटिव होने की आशंका 33% ज्यादा थी। इसी तरह O-negative और O-positive वालों में कोरोना पॉजिटिव होने की संभावना सबसे कम। हालांकि इस सैंपल में महज 68 लोग AB ब्लड ग्रुप के थे लेकिन इस ब्लड ग्रुप के कोरोना पॉजिटिव होने की संभावना भी बहुत कम पाई गई।
दो देशों के इन रिसर्च में कुछ अहम बातों पर गौर किया गया। कोरोना का उम्र, जेंडर, वजन और पहले की बीमारियां ( डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हार्ट, किडनी, खून की बीमारियां ) से जो कनेक्शन है उस पर भी गौर किया गया। जैसे ये पाया गया है कि ब्लड ग्रुप B और A-negative के लोगों में डायबिटीज होने की आशंका ज्यादा होती है। इसी तरह O-positive लोग अक्सर मोटापे के शिकार होते हैं। इस तरह के तमाम फैक्टर्स को जोड़ते हुए ब्लड ग्रुप और कोविड 19 के बीच रिश्ते की ये पड़ताल की गई।
कोई एक ब्लड ग्रुप होने भर से किसी शख्स के कोरोना संक्रमित होने की आशंका क्यों बढ़ जाती है या कम हो जाती है,ये अभी ठीक से पता नहीं है। अब तक हम बस इतना ही जानते हैं कि हमारा ब्लड ग्रुप इशारा करता है कि हमारे blood cells की सतह पर किस तरह का एंटीजेन पाया जाता है। ये एंटीजेन ही बीमारी से लड़ने के लिए खून में एंटीबडी बनाते हैं। 2003 में जब सार्स से संक्रमित लोगों के ब्लड ग्रुप पर रिसर्च हुआ था तब ये पाया गया था कि जिनके खून में एंटीजेन anti-A antibodies बना रहे थे, उनमें सार्स वायरस का संक्रमण कम था। इसी आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि blood group O के लोगों के खून में शायद SARS-CoV-2 से लड़ने की ताकत और संभावना दूसरों से ज्यादा है।