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#FCKohli: सॉफ्टवेर का ‘फकीर’

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#FCKohli: सॉफ्टवेर का ‘फकीर’

#FCKohli
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आज दुनिया में भारत की पहचान सॉफ्टवेयर (190 बिलियन$ सालाना कारोबार) से है, लेकिन पचास साल पहले जब ये कहानी शुरू हुई तब न भारत में कंप्यूटर थे न सॉफ्टवेयर के इंजीनियर.. न बाजार था न खरीदार …  भारत में कंप्यूटर खासकर सॉफ्टवेयर की कहानी शुरू हुई एक ‘फकीर’ से, जो पाकिस्तान से आया रिफ्यूजी था… नाम था फकीर चंद कोहली… भारत की पहली और देश की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी TCS  के पहले CEO …FCKohli

बंटवारे के पहले पेशावर के बड़े कारोबारियों में हमारे परिवार का शुमार था…बंटवारे के बाद सब कुछ छोड़ सब लोग लखनऊ आ गए। मैं अमेरिका में MIT –में तब डॉक्टरेट कर रहा था। भारत आ कर मैंने देखा कि मेरे परिवार वाले जमीन पर सो रहे थे। ये देखने के बाद मैं अमेरिका नहीं जा सकता था। मैंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में MIT से पोस्टग्रेजुएट किया था। जमशेदजी टाटा ने मुझे टाटा इलेक्ट्रिक में कंसल्टेंट के तौर पर काम करने को बुलाया.

आज ये कंपनी टाटा पॉवर है। कोहली(#FCKohli ) उस टीम में शामिल थे, जिसने मुंबई और पुणे के बीच बिजली की लाइन को कंट्रोल करने के लिए कंप्यूटर आधारित लोड डिस्पैच सिस्टम बनाया।  टाटा इलेकट्रिक कंप्यूटर का इस्तेमाल करने वाली दुनिया की तीसरी और एशिया की पहली कंपनी थी।

THE TCS STORY

1968 में जेआरडी टाटा ने मैनेजमेंट कंसल्टेंसी की कंपनी TCS शुरू की तो कोहली को इसकी जिम्मेदारी सौंपी। कोहली ने TCS को अगले बीस साल में दुनिया की सबसे भरोसेमंद, सबसे कामयाब सॉफ्टवेयर डेवपलमेंट कंपनी में तब्दील कर दिया। 1999 में जब कोहली TCS के CEO के पद से रिटायर हुए तब TCS दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी IT Services कंपनी थी। टाटा समूह की सौ से ज्यादा कंपनियों से होने वाले कुल मुनाफे में अकेले TCS की हिस्सेदारी आज 70% से ज्यादा है। 1.52 लाख करोड़ का राजस्व, 8.45 लाख करोड़ मारकेट कैप, 50 देशों में 4.2 लाख लोगों को नौकरी देने वाली कंपनी के लिए शुरूआत आसान नहीं थी। भारत में तब कंप्यूटर हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर का कोई बाजार नहीं था। कोहली ने टाटा ग्रुप की कंपनियों को काम देने के लिए राजी किया। तीन साल बाद अमेरिकी कंप्यूटर कंपनी Burroughs corporation से सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट का पहला करार मिला। भरत में तब कंप्यूटर सॉफ्टवेयर को लेकर लोग कितना कम जानते थे इसे कोहली की जुबानी सुनिए।

देर रात मुझे कस्टम ऑफिस से कॉल आया, मुझे फौरन दफ्तर आने को कहा गया। हमने 2500 $ का आयात किया था। हमारा क्रेट आ गया था। कस्टम ऑफिसर ने मुझसे कहा – सर हमने अब तक केस दर्ज कर दिया होता, लेकिन क्योंकि मैं आपको जानता हूं और आपकी बेहद इज्जत करता हूं, इसलिए हमने आपको यहां बुलाया है। दस्तावेज में दर्ज है कि आपने हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर इम्पोर्ट किया है, हार्डवेयर तो हमें नजर आ रहा है, लेकिन सॉफ्टवेयर कहां है?

जो नौकरशाह नहीं देख सकते थे और कोहली को नजर आ रहा था वो सिर्फ सॉफ्टवेयर नहीं था, तकनीक की नई दुनिया में भारत का भविष्य था। उनमें सॉफ्टवेयर का भविष्य देखने की दूरदर्शिता थी, भारत के बाहर अमेरिका और यूरोप से करार लाने लायक टीम बनाने की काबिलियत थी, बिजनेस पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करने का रणनीतिक कौशल था। वो बिजनेस के मास्टर स्ट्रेटजिस्ट थे और युवाओं को तराशने, नेतृत्व के लिए तैयार करने में उन्हें महारत हासिल थी। उन्होंने कानपुर और मुंबई में आईआईटी की स्थापना से लेकर उसके सिलेबस तय करने तक में योगदान दिया।                –

1975 में कंप्यूटर सोसाइटी ऑफ इंडिया के एक कार्यक्रम में कोहली ने कहा

जब औद्योगिक क्रांति हुई, तब हम चूक गए, कुछ ऐसी वजहों से, जिन पर हमारा नियंत्रण नहीं था। आज फिर एक नई क्रांति… इन्फोटेक हमारे सामने है। इसके लिए न मशीन चाहिए न खास हुनर… बस हमें साफ सोच चाहिए। हममें ये भरपूर है। हमारे पास दुनिया का नेतृत्व करने का अनूठा मौका है। अगर हम फिर चूक गए तो आने वाली पीढ़ियां हमें कभी माफ नहीं करेंगी।

KOHLI THE BOSS

कोहली सख्त बॉस थे। मीटिंग में वो सुनते ज्यादा थे, बोलते बहुत कम थे। अगर कोई बगैर पूरी तैयारी के अपनी बात रखता था तो वो बरस पड़ते थे। लेकिन सबूत के साथ अगर विरोध में राय सामने आती थी तो वो बहुत गौर से सुनते थे। प्रतिभा तलाशने में उन्हें महारत हासिल थी। सबूत टाटा संस चेयरमैन N Chandrasekaran जिन्हें कोहली ने ट्रेनी के तौर  पर TCS में पहली नौकरी दी थी। टाटा संस ही टाटा ग्रुप की सभी कंपनियों पर नियंत्रण रखता है।

His enduring optimism and his ability to make ambitious bets leaves a legacy—one that has advanced a nation.”

N Chandrasekaran

We have all followed in his footsteps. His contribution to the IT industry and thus to India is immeasurable,”

Azim Premji founder-chairman Wipro


सॉफ्टवेयर में भारत को ऊंचा मुकाम दिलाने के बाद कोहली ने कंप्यूटर हार्डवेयर पर काम किया। IBM से टाटा के करार के जरिए 90 के दशक में भारत में वर्ल्ड क्लास हार्डवेयर बनना शुरू हुआ। 1999 में टीसीएस से रिटायर होने के बाद उन्होंने एडल्ट लिटरेसी, वाटर प्यूरीफिकेशन, सॉफ्टवेयर ऑटोमेशन, कांप्लेक्स सिस्टम और साइबरनेटिक्स पर काम किया। साक्षर बनाने के लिए उन्होंने एक सॉफ्टवेयर बनाया जिससे चित्रों के जरिए लोगों को शब्द सिखाया जा सकता है। 2009 तक इस सॉफ्टवेयर के जरिए सवा लाख से ज्यादा लोगों को  साक्षर बनने में मदद मिली थी।

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