भारतीय सिनेमा की रोशनी : सत्यजीत रे
सत्यजीत रे अभी होते तो आज वो सौ साल के होते। ‘रशोमोन’ बनाने वाले जापान के डायरेक्टर अकीरा कुरोसावा कहते थे कि अगर आपने रे का सिनेमा नहीं देखा तो ये कुछ ऐसा ही है जैसे आप धरती पर रहते तो हैं, लेकिन आपने सूरज या चांद नहीं देखा।
तो आइए आज आपको बताते हैं रे के बारे में चंद दिलचस्प बातें
- रे जब पहली फिल्म पाथेर पंचाली- song of the road – बना रहे थे, तब उनके पास पैसे नहीं थे। वो बंगाल के सीएम बीसी रे से मिले जो उनके पिता के दोस्त थे। बीसी रे दोस्त के बेटे की मदद करना चाहते थे, लेकिन उस वक्त (1952-55) तक किसी सरकार ने सोचा भी नहीं था कि सरकार का फंड सिनेमा के लिए दिया जा सकता है। फिर उन्होंने पूछा-तुम्हारी फिल्म का नाम क्या है? रे ने कहा पाथेर पंचाली यानी सड़क का संगीत। तो तय हुआ कि सड़क विभाग फिल्म की फंडिंग करेगा। अब ये अलग बात है कि फिल्म में बस गांव की पगडंडियां ही हैं, सड़क नहीं।
- पाथेर पंचाली का सबसे मशहूर सीन है बारिश का। लगभग चार मिनट के इस सीन में रे ने जिन बारीकियों पर गौर किया है, वो आप देखेंगे तो दंग रह जाएंगे। तालाब में गिरती पानी की बूंदों से लेकर भींगे कुत्ते का अपनी देह झटकना, दुर्गा और अपू का बारिश में भीगना, गंजे पंडित के सर पर एक बूंद का गिरना .जैसे कई कमाल के सीन हैं।
( बारिश का सीन 13.40 से देखें )
- रे को अपने वक्त की हॉलीवुड फिल्मों की ऐसी समझ थी कि वो एक- दो रील देखते ही गेस कर लेते थे कि ये फिल्म किस डायरेक्टर ने बनाई है। अक्सर उनका अनुमान सच साबित होता था। इतना ही नहीं, एडिटिंग की उन्हें ऐसी समझ थी कि फिल्म के कट, इंटरकट और मिक्सिंग देख कर वो बता देते थे कि ये फिल्म MGM, 20th Century fox या warner bros में से किस स्टूडियो में तैयार हुई है।
- रे पहले एक प्रिन्टिंग प्रेस में काम करते थे। यहां उन्होंने खुद के फोन्ट भी डिजायन किए – इंग्लिश के इन टाइपफेसेज को नाम दिया गया – ray roman और ray bizarre
- रे को भारत का पहला ग्राफिक्स डिजायनर भी कहा जाता है।जब जिम कॉरबेट की किताब the man eaters of kumaon के अनुवाद का काम उनके signet press को मिला तो रे ने उस किताब का बुक कवर डिजायन किया। अब दिल थाम कर सुनिए कैसा था ये बुक कवर। इसमें एक बाघ के शरीर को दिखाया गया था। फ्रंट कवर पर बाघ के पेट पर गोली लगने के निशान थे, जबकि बैक कवर पर गोली निकलने के।