कुछ और वादे, कुछ नये इरादे!
Share

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को आर्थिक पैकेज की पांचवी किस्त का ऐलान किया। वित्त मंत्री ने पीएम मोदी के भाषण के अंशों को पढ़कर अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत की। आज खास तौर पर मनरेगा, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजनेस, कंपनी एक्ट, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और राज्य सरकारों के रिसोर्स पर ध्यान केंद्रित किया गया।
वित्त मंत्री की अहम घोषणाएं
- ग्रामीण क्षेत्रों में काम की कमी ना आए, इसके लिए मनरेगा के तहत 40 हजार करोड़ रुपए का अधिक आवंटन किया जा रहा है। इससे 300 करोड़ व्यक्ति कार्यदिवस उत्पन्न होंगे।
- जनस्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश बढ़ाया जाएगा। जिला स्तर के अस्पतालों में संक्रामक रोगों से लड़ने की व्यवस्था की जाएगी। लैब नेटवर्क मजबूत किए जाएंगे और प्रखंड स्तर पर एकीकृत लैब बनाए जाएंगे।
- आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेज पॉलिसी लाई जाएगी।
- सभी सेक्टर्स को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोला जाएगा, पर साथ में सरकारी कंपनी भी रहेगी।
- सभी स्ट्रेटेजिक सेक्टर्स में निजी कंपनी के साथ, एक सरकारी कंपनी तो रहेगी ही। दूसरे सेक्टर्स में भी सरकारी कंपनी का निजीकरण किया जाएगा।
- फिजूल खर्च और एडमिनिस्ट्रेटिव खर्च को कम करने के लिए एक से चार ही इंटरप्राइजेज रहेंगी, बाकी का निजीकरण किया जाएगा या विलय किया जाएगा या फिर होल्डिंग कंपनी के साथ विलय किया जाएगा।
- राज्यों के पास फंड की समस्या देखते हुए, केंद्र सरकार ने लगातार खुले दिल के साथ राज्यों की मदद की है। अप्रैल में 40 हजार 38 करोड़ रुपया राज्यों को दिया गया है। रेवेन्यू डिफिसिट ग्रांट के तहत 12390 करोड़ रुपए दिए गए हैं।
- स्टेट डिजास्टर फंड से 11092 करोड़ रुपए राज्यों को दिए गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 4113 करोड़ रुपए कोरोना से लड़ने के लिए दिए हैं। केंद्र सरकार के अनुरोध पर आरबीआई ने वेज और मीन्स अडवांस को 60 पर्सेंट तक बढ़ा दिया है।
- राज्य सरकारों की कर्ज लेने की क्षमता अपनी जीडीपी के 3 फीसदी से बढ़ाकर 5 फीसदी कर दी गई है। इससे राज्यों को अतिरिक्त 4.28 लाख करोड़ रुपये की रकम मिलेगी। ये केवल एक साल के लिए है।
- साल 2020 – 21 में राज्य, अपनी जीडीपी के 3 फीसदी के हिसाब से 6.41 लाख करोड़ रुपये तक कर्ज उठा सकते थे। लेकिन राज्यों ने अभी तक केवल अपनी क्षमता का 14 फीसदी ही कर्ज उठाया है, 86 फीसदी बचा हुआ है।
- ओवरड्राफ्ट सीमा को 14 दिन से बढ़ाकर 21 दिन किया गया। तिमाही में ओवरड्राफ्ट रखने की सीमा को 31 दिन से बढ़ाकर 50 दिन किया गया है।
- एमएसएमई पर दिवालियापन की कार्रवाई ना हो, इसके लिए न्यूनतम सीमा को एक लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ कर दिया गया है। विशेष दिवालियापन रेज्यूलेशन फ्रेमवर्क को आईबीसी के 240 ए में जोड़ दिया जाएगा।
- एक साल तक दिवालियापन की कोई कार्रवाई शुरू नहीं होगी। कोविड-19 की वजह से कर्ज न चुका पाने वाली कंपनियों को डिफॉल्ट में नहीं डाला जाएगा।
- कंपनी एक्ट में मामूली उल्लंघन या चूक को, अपराधीकरण के कैटगरी से बाहर निकाला जाएगा। इसके तहत सीएसआर की रिपोर्टर्टिंग, बोर्ड रिपोर्ट फाइलिंग डिफ़ॉल्टस, एजीएम की होल्डिंग आदि के अलावा 7 कंपाउंडेबल ऑफेंस को खत्म किया गया।
- निजी कंपनियां अब विदेशों में शेयरों को सीधे सूचीबद्ध करा सकती हैं। यह भारतीय कंपनियों के लिए बड़ी घोषणा है।
- मल्टीमोड एक्सेस डिजिटल/ऑनलाइन के जरिए पढ़ाई के लिए पीएम ई विद्या योजना की शुरुआत की जाएगी। दीक्षा- स्कूल एजुकेशन के लिए ई-कॉन्टेंट और क्वी -आर कोड से जुड़े किताब उपलब्ध कराए जाएंगे। इसका नाम होगा वन नेशन वन डिजिटल प्लैटफॉर्म।
- देश के 100 विश्वविद्यालय 30 मई तक ऑनलाइन कोर्स की शुरुआत कर देंगे।
- वन क्लास वन चैनल योजना के जरिए पहली से 12 वीं के छात्रों के लिए हर क्लास का अलग टीवी चैनल होगा।
- बच्चों के मेंटल हेल्थ और साइकोलॉजिकल सपोर्ट के लिए मनोदर्पण की शुरुआत की जाएगी।
सरकार की अब तक की उपलब्धियां
- कोरोना को रोकने के लिए 15,000 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया, जिसमें से 4113 करोड़ रुपए राज्यों को दिए गए। 3750 करोड़ रुपए जरूरी वस्तुओं पर खर्च किए गए। टेस्टिंग किट्स और लैब के लिए 550 करोड़ रुपए दिए गए। कोरोना वॉरियर्स, स्वास्थ्य कर्मियों को 50 लाख रुपए का इंश्योरेंस दिया गया।
- डीबीटी के जरिये लाभार्थियों तक सहायता राशि भेजी जा रही है। यह तभी संभव हो पाया जब हम आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल पिछले 4 सालों से अधिक समय से कर रहे हैं।
- जनधन खाता धारक 20 करोड़ महिलाओं के खाते में 10025 करोड़ रुपए डाले गए।
- निर्माण कार्य से जुड़े मजदूरों को 3950 करोड़ रुपए की मदद दी गई। 2.20 करोड़ लोगों को इसका फायदा हुआ। सभी के खाते में पैसे गए।
- 12 लाख से अधिक ईपीएफओ खाताधारकों ने पैसे निकाले हैं।
- उज्जवला योजना के तहत लाभार्थियों तो अब तक 6.81 करोड़ फ्री सिलेंडर बांटे गये हैं।
- 8.19 करोड़ किसानों के खातों में 2000 रुपये की किश्त दी गई।
- 2 करोड़ 81 लाख वृद्ध और दिव्यांगों को पेंशन दिया गया।
- करोड़ों लोगों नेआरोग्य सेतु ऐप को डाउनलोड किया। भीम ऐप की तरह ये भी लोगों को बहुत लाभकारी है।
- गरीब कल्याण योजना के तहत 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देने की व्यवस्था की गई।
- मजदूरों को ट्रेनों से ले जाने का 85 खर्च केंद्र सरकार ने वहन किया है। 15 फीसदी खर्च राज्य सरकारों ने किया है। ट्रेनों में उन्हें खाना भी उपलब्ध कराया गया। 8 करोड़ प्रवासी मजदूरों के लिए राशन की व्यवस्था की है।
- देश में 300 से अधिक कंपनियां पीपीआई किट बना रही हैं, पहले एक भी कंपनियां नहीं थी। आज रोजाना 1 लाख पीपीई किट बनाए जा रहे हैं।
- कोरोना वायरस संकट के दौरान कंपनीज एक्ट 2013 के प्रावधानों के अनुपालन के लिए बोझ घटाया गया।
- बोर्ड मीटिंग, ईजीएएम, एजीएम आदि वर्जुअल करने की इजाजात दी गई। राइट्स इश्यू भी ऑनलाइन किया जा सकता है। पीएम केयर्स के फंड को सीएसआर के लिए मान्यता दी है।
- 2016 के बाद आईबीसी के जरिए दोगुनी रिकवरी हुई है। अब तक 1.84 लाख करोड़ रुपए की वसूली हो चुकी है।
- ई-पाठशाला में 200 नई पाठ्यपुस्तकें जोड़ी गईं।
पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से घोषित 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज के तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पिछले चार दिनों से अलग-अलग चरणों में आर्थिक पैकेज की घोषणा कर रही हैं। रविवार को इसकी पांचवी और संभवतः आखिरी किस्त का ऐलान हुआ। इन घोषणाओं में भविष्य की योजनाएं भी हैं और पिछली उपलब्धियों का बखान भी। इनमें वर्तमान के उपाय भी हैं और आनेवाले कदमों के संकेत भी, इनमें अर्थव्यवस्था के विकास के प्रयास भी हैं और सुनहले ख्वाब भी। इन घोषणाओं में नीतियों और रीतियों में बदलाव से चुनौतियों का सामना करने की मंशा भी दिखती है और हवाई किलों की बुनियाद भी। इनका सच तो तभी पता चलेगा, जब ये जमीन पर उतरेंगे। तब तक तो ये वादे हैं…वादों का क्या???