जर्मनी स्टूडेंट वीजा नियम हुए कड़े, भारतीयों को बिना इस सर्टिफिकेट एडमिशन नहीं

जर्मनी जाकर पढ़ाई करने का सपना देखने वाले भारतीय स्टूडेंट्स के लिए राह थोड़ी कठिन हो गई है. Germany ने अपने स्टूडेंट वीजा नियमों को कठिन बना दिया है. जर्मन हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स में एडमिशन के लिए जाने वाले उम्मीदवारों के लिए स्टूडेंट वीजा के नए अप्वाइंटमेंट स्लॉट 1 नवंबर से ‘वीजा फैसिलिटेशन सर्विस’ (VFS) ग्लोबल के जरिए खुलने वाले हैं. हालांकि, जर्मन दूतावास ने कहा है कि अब से भारत से स्टडी वीजा एप्लिकेशन के लिए एक्सट्रा डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होगी. ऐसे में उम्मीदवारों के लिए प्रोसेस थोड़ा लंबा हो जाएगा.
1 नवंबर से भारत से जर्मनी पढ़ाई करने जाने वाले उम्मीदवार को स्टूडेंट वीजा एप्लिकेशन के लिए एकेडमिक इवैल्यूएशन सेंटर (APS) सर्टिफिकेट की जरूरत होगी. उम्मीदवारों को अपने वीजा के लिए अप्लाई करने से पहले सर्टिफिकेट रखना जरूरी होगा. एपीएस सर्टिफिकेशन के लिए एप्लिकेशन 1 अक्टूबर से खुले हुए हैं. दरअसल, सर्टिफिकेट को अनिवार्य इसलिए बनाया गया है, क्योंकि हाल ही में जर्मन राजदूत फिलिप एकरमैन ने स्टूडेंट वीजा को लेकर एक बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि जर्मनी में स्टूडेंट वीजा के लिए अप्लाई करने वाले लगभग 10 से 15 फीसदी स्टूडेंट्स के दस्तावेज जाली निकल जाते हैं. दूतावास ने कहा कि APS Certificate का मकसद एडमिशन और वीजा प्रोसेस में तेजी लाना है.
एपीएस सर्टिफिकेट मुहैया कराए गए डॉक्यूमेंट्स की प्रामाणिकता सुनिश्चित करते हुए एप्लिकेशन प्रोसेस को सुव्यवस्थित करने पर केंद्रित है. ये सर्टिफिकेट भारतीय एकेडमिक डॉक्यूमेंट्स की प्रामाणिकता के प्रमाण के रूप में काम करेगा. अपग्रेड अब्रॉड के अध्यक्ष अंकुर धवन ने एडेक्स लाइव को बताया कि एपीएस सबसे पहले एक मोबाइल नंबर और पासपोर्ट से जुड़े आधार के माध्यम से एक आवेदक की पहचान को देखेगा. यह हाई स्कूल ग्रेड शीट, बैचलर या मास्टर डिग्री या डिप्लोमा वाले डॉक्यूमेंट्स को भी देखेगा, जो अप्लाई करने वाले उम्मीदवार के पास है.
एपीएस सर्टिफिकेट उन एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को भी बताएगा, जो जर्मन यूनिवर्सिटीज उम्मीदवारों को एडमिशन की पेशकश करते समय लागू करते हैं. धवन ने कहा, केवल वास्तविक मामलों के दूतावास में आने से वीजा प्रोसेस को और अधिक सुव्यवस्थित किया जाएगा. कम समय में वीजा को मंजूरी मिलने और अधिक आवेदकों को संसाधित करने के साथ वीजा देने में तेजी आएगी. वीजा प्रोसेसिंग समय को कम करने के लिए स्टूडेंट्स को जर्मन यूनिवर्सिटी या कॉलेज में अप्लाई करने से पहले एपीएस सर्टिफिकेशन प्रोसेस को पूरा करने की सलाह दी जाती है. हालांकि, जो स्टूडेंट्स जर्मन या यूरोपीय यूनियन द्वारा फंडेड स्कॉलरशिप पर हैं, उन्हें सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई करने की जरूरत नहीं है.
दरअसल, जर्मनी की कई यूनिवर्सिटी इंजीनियरिंग और मेडिकल के कोर्सेज ऑफर करती हैं. इनमें से कई यूनिवर्सिटीज में पढ़ाई फ्री में भी करवाई जाती हैं. इसके अलावा, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा जैसे मुल्कों के मुकाबले जर्मन यूनिवर्सिटीज की फीस भी कम होती है. यही वजह है कि पिछले कुछ सालों से जर्मनी भारतीय छात्रों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है.
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