हैदराबाद चुनाव: BJP के बेहतर प्रदर्शन के मायने
हैदराबाद को AIMIM के मुखिया असद्दुदीन ओवैसी का किला माना जाता है। इसके अलावा पूरे तेलंगाना में सत्तारुढ़ TRS का दबदबा है। इसके बावजूद ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (GHMC) चुनावों में बीजेपी (BJP) ने जिस तरह बढ़त बनाई है, उससे यहां की राजनीति में बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। अब तक की मतगणना के मुताबिक बीजेपी ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है और करीब एक तिहाई सीट जीतने के कगार पर है।
GHMC: फायदे में रही बीजेपी?
इस बार बीजेपी शुरु से ही आक्रामक मुद्रा में दिखी। इसके पीछे बिहार में मिली जीत भी एक वजह हो सकती है। बीजेपी ने इस बार अपनी रणनीति बदली और नगर निगम जैसे स्थानीय चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी। यहां तक कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे कई दिग्गज नेताओं को चुनाव प्रचार में उतार दिया। वैसे भी डुब्बक में हुए विधानसभा उपचुनाव में मिली जीत से बीजेपी काफी विश्वास से भरी हुई थी। नतीजों के बाद लगता है कि जबरदस्त प्रचार और बड़े नेताओं की फौज उतारने का इन्हें फायदा भी मिला।
हैदराबाद नगर निगम में 150 सीटें हैं। पिछले चुनाव में टीआरएस को 99 सीटें मिली थी जबकि असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM को 44 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं पिछले चुनाव में बीजेपी को महज 4 सीटें ही मिली थी। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक अगर इस बार 20-25 सीटें भी जीत जाती है, तो ये उसके लिए बड़ी उपलब्धि होगी।
क्या थे मुद्दे?
इस बार के निकाय चुनाव में साफ-सफाई, सड़क, पानी से ज्यादा पाकिस्तान, जिन्ना, सर्जिकल स्ट्राइक और हैदराबाद का नाम बदलने जैसे मुुद्दे छाये रहे। मोटे तौर पर बीजेपी ने यहां वोटों के ध्रुवीकरण को लेकर काफी मशक्कत की। लेकिन ये वही भावनात्मक रणनीति है, जिसकी आंच पर AIMIM के नेता… सालों से राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। इस बार सिर्फ ये हुआ कि ध्रुवीकरण के खेल में एक दूसरी पार्टी भी खुलकर सामने आ गई। यही वजह है कि इस चुनाव में कांग्रेस का हाल काफी बुरा रहा और TRS को भी नुकसान उठाना पड़ा। जबकि ध्रुवीकरण का कार्ड खेलने वाली दोनों पार्टियां फायदे में रहीं।
दूसरी ओर TRS को सत्ता विरोधी लहर का नुकसान भी हुआ। मौजूदा सरकार के कामकाज को लेकर काफी सवाल उठते रहे हैं और जनता का मूड उखड़ा हुआ था। इसकी झलक मतदान के दौरान भी दिखी। GHMC चुनावों में सिर्फ 46.55 फीसदी मतदान हुआ, जो अन्य निकाय चुनावों के मुकाबले काफी कम था। यानी जनता में मौजूदा व्यवस्था को लेकर कोई उत्साह नहीं था।
क्या है बीजेपी का फ्यूचर प्लान?
ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (GHMC) चुनाव के दौरान पूरी ताकत झोंकने वाली बीजेपी के लिए इसके नतीजे काफी मायने रखते हैं। 82 लाख की आबादी वाला यह क्षेत्र तेलंगाना में बीजेपी की भविष्य की रणनीति का हिस्सा है। आपको बता दें कि हैदराबाद के इलाके में विधानसभा की 24 सीटें आती हैं जबकि लोकसभा की 5 सीटें हैं। इसलिए राज्य से लेकर संसद तक, हैदराबाद में पार्टी की राजनीतिक हैसियत काफी मायने रखती है।
दूसरी ओर बीजेपी अगले विधानसभा चुनाव में भी अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में है। तेलंगाना की 119 विधानसभा सीटों में बीजेपी के पास महज 2 सीटें हैं जबकि 17 लोकसभा सीटों में से उसके 4 सांसद हैं। इसलिए लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र भी ये इलाका बीजेपी के लिए अहम है। वैसे बीजेपी को उम्मीद है कि यहीं से दक्षिण की जीत का रास्ता खुलेगा। नगर निकाय के चुनाव इसी दिशा में पहला कदम है।