जरूरी दवाओं की कीमतों पर अब लगाम लगाएगी सरकार

नई दिल्ली, 8 जुलाई (वि. प्र.) – यह खबर आम जनता के लिए है। दरअसल देश में जल्द ही शुगर, दिल और गुर्दे के इलाज में काम आने वाली कई महत्वपूर्ण दवाइयां सस्ती हो सकती हैं. केंद्र सरकार ने इन दवाओं की कीमतों में कटौती करने के लिए ट्रेड मार्जिन को फिक्स करने की तैयारी कर ली है.
क्या होता हैं ट्रेड मार्जिन –
मेन्यूफेक्टचर्र की ओर से जारी होने वाली थोक बिक्री मूल्य और उपभोक्ता को मिलने वाले अधिकतम खुदरा मूल्य के बीच का अंतर होता है. ड्रग प्राइस वॉचडॉग नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी पिछले कई महीनों से इस योजना पर काम कर रहा है. ट्रेड मार्जिन को चरणबद्ध तरीके से तर्कसंगत बनाया जाएगा तथा इस पूरी प्रक्रिया को लागू करने के लिए दवा इंडस्ट्री को समय दिया जाएगा, ताकि दवा उद्योग आवश्यक बदलाव कर सके.
सूत्र ने बताया कि सरकार पहले ही एंटी-कैंसर कैटेगरी की दवाओं का मार्जिन घटा चुकी है. इसी तरह इस बार एंटी-डायबिटिक और किडनी की बीमारियों से संबंधित दवाओं का मार्जिन घटाया जाएगा. गौरतलब है कि 2018-19 में NPPA ने नॉन शेड्यूल्ड एंटी कैंसर की 42 दवाओं पर ट्रेड मार्जिन घटा दिया था. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने लोकसभा में बताया था कि सरकार के इस कदम से इन दवाओं के 526 ब्रांड की एमआरपी 90 फीसदी तक कम हो गई.
एपीपीए द्वारा की गई स्टडी से पता चला था कि एक गोली की कीमत के साथ ही ट्रेड मार्जिन बढ़ जाता है. अगर ज्यादातर ब्रांड की एक टेबलेट की कीमत 2 रुपये है तो, इस पर मार्जिन 50 फीसदी रहता है. वहीं अगर इसकी कीमत 15 से 25 रुपये है तो मार्जिन 40 फीसदी से कम ही रहता है. 50 से 100 रुपये कीमत वाली टेबलेट कैटेगरी की कम से कम 2.97 फीसदी मेडिसिन में ट्रेड मार्जिन 50 से 100 फीसदी, 1.25 फीसदी इन मेडिसिन में ट्रेड मार्जिन 100 से 200 फीसदी के बीच और 2.41 ऐसी दवाओं का ट्रेड मार्जिन 200 फीसदी से लेकर 500 फीसदी तक है.
एनपीपी के अनुसार अगर किसी टेबलेट की कीमत 100 रुपये से ऊपर है तो उसे महंगी श्रेणी में रखा जाता है. ऐसी टेबलेट में से 8 फीसदी टेबलेट पर मार्जिन 200 से 500 फीसदी, 2.7 फीसदी दवाओं पर 500 से 1,000 फीसदी और 1.48 प्रतिशत टेबलेट्स पर ट्रेड मार्जिन 1,000 फीसदी से ऊपर है.
Government will now rein in the prices of essential medicines