GupteshwarPandey: गुप्त

वो झूठ बोल रहा था बड़े सलीके से
मैं एतबार न करता, तो और क्या करता
वसीम बरेलवी
जांच और ट्रायल से पहले, पुलिस कोड को ताक पर रख कर, सुशांत की मौत को मर्डर साबित करने की बिहार डीजीपी GupteshwarPandey की बेचैनी की असली वजह सामने आ गई है। रिया की औकात बताने, बिहार एसपी को क्वारंटीन करने की बीएमसी की कार्रवाई का विरोध करने और डीजीपी होते हुए बिहार पुलिस से सुशांत केस की जांच सीबीआई ट्रांसफर करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को 130 करोड़ देश वासियों की उम्मीद से जोड़ने वाले पांडे इतना सब कुछ विधायकी के टिकट के लिए कर रहे थे।

Resignation of gupteshwar pandey accepted
सुशांत के लिए इन्साफ की मांग करने वाले बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे, पद से इस्तीफा देकर, सुशांत को इन्साफ दिलाने से पहले ही एसेंबली चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। उनकी मांग को मंजूर करने के लिए बिहार सरकार ने VRS के लिए तीन महीने की नोटिस के नियम को शिथिल कर दिया।
Police- officers not to resign without leave or two months’ notice.– No police- officer shall be at liberty to withdraw himself from the duties of his office unless expressly allowed to do so by the District Superintendent or by some other officer authorized to grant such permission or, without the leave of the District Superintendent, to resign his office unless he shall have given to his superior officer notice in writing, for a period of not less than two months, of his intention to resign.

पांडे IPS अफसर हैं, उनके लिए VRS के नियम में बदलाव DOPT की जगह बिहार सरकार के गृह विभाग से होना कितना विधि सम्मत है, ये आगे पता चलेगा। टिकट की आस में 11 साल पहले भी वो पद से इस्तीफा दे चुके हैं, अगर इस बार भी टिकट नहीं मिला और वो फिर से ड्यूटी ज्वाइन कर लें तो यकीनन ऐसा करने वाले वो देश के पहले IPS अफसर होंगे।
बीते महीने जब एक पोर्टल ने उनके इस्तीफा की खबर दी थी, तो आहत पांडे जी ने पत्रकारिता पर ही सवाल खड़े कर दिए थे।
एक महीने बाद पोर्टल का वो झूठ सच साबित हो गया है…जिस रिया की औकात को पांडे जी की अनुभवी आंखों ने ताड़ लिया था, अब उसके वकील सतीश मानेशिंदे का क्या कहना है ये भी सुन लीजिए
Request for VRS by DGP Bihar Gupteshwar Pandey,Granting VRS by Bihar Govt/Union Govt in 24 hours is as fast as Bihar Govt Transfer of FIR against Rhea to CBI,acceptance of it by Union Govt. This is not justice for SSR but Justice for Pandey: Satyamev Jayate
Adv Satish Maneshinde
पांडे जी(GupteshwarPandey )कहां से चुनाव लड़ सकते हैं ?
पांडे जी की पहली प्राथमिकता होगी ब्राह्मण बहुल शाहपुर की सीट, जहां अभी शिवानंद तिवारी के बेटे राहुल तिवारी RJD से विधायक हैं, दूसरी संभावित सीट बक्सर हो सकती है जहां अभी कांग्रेस के मुन्ना तिवारी विधायक हैं, तीसरी सीट ब्रह्मपुर हो सकती है जो अभी RJD के कब्जे में है। इन तीनों सीटों पर बीजेपी दूसरे नंबर पर रही थी, इस तरह इशारा ये है कि पांडेजी जेडीयू की जगह फिर बीजेपी के टिकट की कोशिश कर सकते हैं, जिसने 2009 एसेंबली चुनाव में आखिरी वक्त में उनका टिकट काट दिया था।
2015 बिहार एसेंबली चुनाव के नतीजे
एसेंबली सीट | जीत | किसे हराया |
शाहपुर | राहुल तिवारी RJD | विश्वेश्वर ओझा BJP |
बक्सर | मुन्ना तिवारी INC | प्रदीप दुबे BJP |
ब्रहमपुर | शम्भु नाथ यादव RJD | विवेक ठाकुर BJP |
सबसे दिलचस्प बात ये है कि अब महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और बिहार बीजेपी के प्रभारी देवेंद्र फडणवीस उस शख्स के लिए कैंपेन करेंगे जिसने बिहार पुलिस के सर्वोच्च पदाधिकारी के तौर पर सुशांत सिंह की मौत के सब-ज्यूडिश मामले में बगैर किसी सबूत के मुंबई पुलिस पर इल्जाम लगाए थे ।इससे शिवसेना के संजय राउत का इल्जाम सही साबित हुआ है, जिन्होंने मुंबई पुलिस पर बिहार पुलिस के इल्जामों को लेकर पांडे जी के बयान को शाहपुर से चुनाव लड़ने की संभावना से जोड़ा था …उसी दिन 9 अगस्त को…चार महीने पहले ट्विटर की दुनिया से जुड़े पांडे जी ने ट्वीट किया
पांडे जी को राउत का बयान गाली लगा, तथ्यहीन अनर्गल आरोप लगा ..जिसका जवाब देना भी उचित नहीं था। अब राउत कह सकते हैं – देखा मैं कहता था ना?..
पांडेजी की अन्वेषी दृष्टि ने 14 जून को ही सुशांत की मौत की सियासी अहमियत समझ ली थी। अगर आप इस ट्वीट के थ्रेड पर आगे जाएंगे तो कई लोगों के ट्वीट हैं जिन्होंने उनसे अलग-अलग मामलों में मदद मांगी, इनमें से एक का भी जवाब उपवास और प्रार्थना में लीन डीजीपी साहब ने नहीं दिया।
इस दूरंदेशी सोच के साथ चार और पांच अगस्त के उनके ट्वीट को देखना चाहिए।
कोरोना और लॉकडाउन पर केंद्र और राज्य सरकार की भूमिका पर बिहार चुनाव रेफरेंडम साबित हो सकता है। रिया की गिरफ्तारी के साथ ही न भूले हैं न भूलने देंगे के बीजेपी के नारे में जोश कम हो गया है। ऐसे में RJD (80) और JDU(71) के बाद राज्य की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी BJP(53) के टिकट के लिए पांडेजी का दांव कितना कारगर होगा ये देखना होगा।