क्या नीतीश कुमार की ट्रेन छूट गई है?
स्वागत नहीं करोगे हमारा ?
सवाल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से
और पूछ रहे हैं …छात्र, मजदूर और पर्यटक जो लॉकडाउन में फंस गए थे ?
बुधवार को केंद्र सरकार ने लॉकडाउन में फंसे लोगों को अपने राज्य लौटने की इजाजत दे दी। सरकार के इस फैसले का देश के दूसरे मुख्यमंत्रियों के साथ- साथ नीतीश कुमार ने भी स्वागत किया।
वैसे …जब असम से गुजरात तक सारे राज्य लॉकडाउन में फंसे लोगों को निकालने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहे थे, तब नीतीश कुमार आपदा कानून और देशहित पर ज्ञान दे रहे थे। ट्वीटर पर कोटा के छात्रों से लेकर मुंबई, अहमदाबाद और सूरत में बिहारी मजदूरों की तकलीफ रिट्वीट होती रही, लेकिन नीतीश कुमार टस से मस नहीं हुए।
राजनीति में हर फैसले की कीमत होती है, खास तौर पर तब जब चुनाव करीब हों।
आने वाले वक्त में जब ये तीस लाख मजदूर बिहार में अपने गांव लौटेंगे, अपने परिवार वालों से मिलेंगे, तब शायद बीते छे हफ्तों की तकलीफ वो भूल जाएंगे, लेकिन क्या वो ये भी भूल जाएंगे कि 28 राज्यों में बिहार अकेला राज्य है जहां के मुख्यमंत्री ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया कि बिहार के गरीब बिहार नहीं पहुंचने पाएं… उनको ये चिंता नहीं थी कि ये लोग कैसे जी रहे होंगे .. इनको.डर था कि ये आए.. तो … कोरोना बढ़ जाएगा …बना बनाया इम्प्रेशन…मेन इलेक्शन टाइम में घट जाएगा।
तो मजदूरों का, छात्रों का और बाकी फंसे लोग अगर मुख्यमंत्री नीतिश कुमार को सिर्फ एक लाइन का संदेश लिखते तो वो शायद ये होता —
जब हमें सबसे ज्यादा आपकी जरूरत थी, तब आपने हमें हमारे हाल पर छोड़ दिया, यही उम्मीद आपको हमसे चुनाव के वक्त करनी चाहिए।
अगर आज के मजदूर और कल के वोटर की नाराजगी को आग माना जाए तो इसमें घी का काम किया तेजस्वी यादव ने जिन्होंने जख्म पर नमक छिड़कने की तरह उलाहना दिया कि विपक्ष दो हजार बस भिजवाने को तैयार है, नीतीश जी क्रेडिट ले लें मगर इन्हें लिवा लाएं।
लेकिन असली परेशानी शायद वो है जो आगे आने वाली है। चेन्नई की Institute of Mathematical Sciences. की एक रपट में कहा गया है कि अभी जो स्थिति महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली की है, वही स्थिति तीन हफ्ते बाद बंगाल, बिहार और झारखंड की हो सकती है। देश में कोरोना का RN – reproduction number – लॉकडाउन की वजह से 1.83 से घटकर 1.29 हो गया है, लेकिन बंगाल का 1.52, झारखंड का 1.87 और बिहार का देश में सबसे ज्यादा 2.03 है। इंतजाम के नाम पर बिहार में तीन अस्पताल हैं कोरोना के लिए और 50 के करीब वेंटिलेटर। हाल के दिनों में जो लोग दिल्ली और मुंबई जैसी जगहों से पैदल चल कर बिहार आए उनमें 40 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव थे। ICMR का दावा है कि हमारे यहां जांच में हर 24 में एक कोरोना पॉजिटिव है, ऐसे में अगर बिहार आने वाले तीस लाख लोगों की जांच हुई, तो न व्यवस्था उनके क्वारंटीन की है, न मरीजों के अनुमान में अप्रत्याशित इजाफे से निबटने की ।
ठीक इसी वक्त राज्य के टेट शिक्षक हड़ताल पर चले गए हैं।
नीतीश कुमार को अभी सबसे ज्यादा प्रशांत किशोर की कमी खल रही होगी, एक ऐसा प्यादा जो बादशाह के लिए हंसते-हंसते कुरबान हो जाए। कोई तो हो, जो नीतीश कुमार के दिल की बात कहे, सीधा बीजेपी पर निशाना साधे, चुनाव में कम सीट देने की बात करे और जब बीजेपी तिलमिलाए तो नीतीश ऐलान करें –इस बंदे को पार्टी से निष्कासित किया जाता है।
राजनीति… शतरंज ही तो है, बस बाजी उल्टी पड़ गई है, इस बार शह देने वाला ही मात हो गया है।