क्या आपने NDMA के बारे में सुना है?
किसी संस्था के बारे में जब कोई बात तक नहीं कर रहा हो, जबकि वो वक्त उस संस्था के लिए बेहद अहम हो, तो उससे ये पता चलता है कि शायद यहां जो भी काम-काज हो रहा है, उसमें बेहतरी लाने की संभावना है। वैसे क्या आप जानते हैं कि कोरोना से निबटने की जिम्मेदारी सबसे पहले और सबसे ज्यादा किसकी है? क्या आप जानते हैं कि हमारे यहां एक संस्था है जो कोरोना से लड़ने के लिए नीति, नियम, योजना और गाइडलाइन्स बनाती है, जिसे अमल में लाना केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के लिए बाध्यकारी है? ये संस्था है – NDMA यानी National Disaster Management Authority
NDMA का काम क्या है?
NDMA, as the apex body, is mandated to lay down the policies, plans and guidelines for Disaster Management to ensure timely and effective response to disasters
यानी देश में किसी तरह की आपदा आए तो उससे निबटने के लिए ये देश में सर्वोच्च संस्था है।
Towards this, it has the following responsibilities:-
- Lay down policies on disaster management ;
- Approve the National Plan;
- Approve plans prepared by the Ministries or Departments of the Government of India in accordance with the National Plan;
- Lay down guidelines to be followed by the State Authorities in drawing up the State Plan;
- Coordinate the enforcement and implementation of the policy and plans for disaster management;
- Recommend provision of funds for the purpose of mitigation;
- Take such other measures for the prevention of disaster, or the mitigation, or preparedness and capacity building for dealing with threatening disaster situations or disasters as it may consider necessary;
https://ndma.gov.in/en/about-ndma/roles-responsibilities.html
मतलब ये कि केंद्र हो या राज्य, आपदा प्रबंधन की नीति, योजना, और प्रबंधन के लिए NDMA पर पूरी तरह निर्भर है।
लेकिन हमें ये भी समझना होगा कि कोई एजेंसी भगवान नहीं होती, वो उतना ही कर सकती है जितना करने की उसमें योग्यता है। जैसे अगर इस एजेंसी में सिर्फ IAS हों, और वायरोलोजिस्ट हो ही नहीं, तो महामारी को लेकर इसकी योजना और नीति शायद उतनी कारगर नहीं रह पाएगी। आइए जो जानकारी पब्लिक डोमेन में NDMA को लेकर है, उससे चीजों को समझने की कोशिश करते हैं।
3 फरवरी को भारत सरकार ने चीन से हवाई सेवा रद्द कर दी। आगे चल कर पता चला कि इस एक फैसले ने शायद हमारे यहां लाखों लोगों की जान बचा ली। क्योंकि जहां यूरोप में ज्यादातर संक्रमण चीन से हुआ, वहीं हमारे यहां यूरोप और मिडल ईस्ट से।
इसके एक दिन बाद यानी 4 फरवरी को NDMA ने सर्कुलर जारी किया।
इसमें कहा गया कि हमें सभी जिलों में आइसोलेशन फैसिलिटी बनानी चाहिए और उसमें इजाफा करना चाहिए। दूसरी अहम बात इसमें ये कही गई कि फेक न्यूज और अफवाहों पर रोक लगाने के लिए हमें कदम उठाने चाहिएं।
NDMA का अगला सर्कुलर है 5 मार्च का।
इसमें कहा गया है कि राज्यों को टेबल टॉप डिस्कशन करना चाहिए
State should’ conduct tabletop discussions and exercises on isolation, Quarantine, infection control, confinement measures; -mass screening . mechanism, home isolation; amalgamation of Public’ Health and Law Enforcement drills, rlsk communication, surge capacity -and networking as well as lntersectoral coordination ‘involving all stakeholders,public health and medical-experts
अगला सर्कुलर है 17 मार्च का
इसके तहत देश भर के जिला प्रशासन को निर्देश दिया गया कि 1 जनवरी 2020 के बाद जो लोग देश में आए हैं, उनकी ट्रेसिंग की जाए और उनके स्वास्थ्य की जांच की जाए।
अगला सर्कुलर है 18 मार्च का
इस आदेश के तहत दुनिया के कई देशों से हवाईजहाज के आने-जाने पर रोक लगाई गई।
इसके बाद NDMA का सबसे अहम सर्कुलर है 24 मार्च का…इस सर्कुलर के द्वारा नेशनल एक्जिक्यूटिव कमेटी को 21 दिन के लॉक डाउन के लिए निर्देश दिया गया। इसके बाद इसी रात 12 बजे से देश भर में लॉकडाउन लागू हो गया।
सवाल है, क्या कुछ और हो सकता था जिस पर NDMA को गौर करना चाहिए था, लेकिन उसने नहीं किया।
मुंबई के लिए अलग योजना
मुंबई दुनिया का व्यस्ततम एयरपोर्ट है। यहां सामान्य दिनों में हर रोज औसतन 850 फ्लाइट आती है और 4.5 लाख मुसाफिर विदेश से आते हैं। 18 मार्च को देश में सारे एयरपोर्ट बंद कर दिए गए, तभी मुंबई भी बंद हुआ। अगर सारे एयरपोर्ट बंद होने थे तो शायद मुंबई को देश के बाकी एयरपोर्ट से दो या तीन हफ्ते पहले बंद करना चाहिए था। इससे मुंबई न्यूयार्क, मास्को और साओ पाउलो की राह नहीं जाता।
धारावी के लिए एडवांस प्लानिंग
कोरोना दुनिया में हर जगह तांडव मचा रहा है,लेकिन उसका प्रकोप सबसे ज्यादा महानगरों के स्लम एरिया में है। अगर हमारे पास इन बारीक बातों पर गौर करने वाले एक्सपर्ट NDMA की टीम में होते तो शायद एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी धारावी के लिए हम अलग से कुछ योजना बना पाते। अगर धारावी बच जाता, तो शायद मुंबई की ये हालत न होती जो हुई।
आइसोलेशन और क्वारंटीन सेंटर का रोड मैप
NDMA ने सोशल डिस्टेन्सिंग को 25 मार्च से लागू किया। दुनिया में कोरोना के सबसे बड़े एक्सपर्ट जॉर्ज गाओ का मानना है कि सोशल डिस्टेन्सिंग कोरोना के खिलाफ सबसे कारगर उपाय है, लेकिन इसे 30 जनवरी को देश में कोरोना शुरू होने के 55 दिन बाद लागू किया गया।
NDMA के 5 मार्च के सर्कुलर में आइसोलेशन और क्वारंटीन सेन्टर को लेकर महज टेबल टॉप डिस्कशन का जिक्र है। जबकि NDMA को शायद एक्सपर्ट की सलाह लेकर देश में अलग-अलग स्थिति में जरूरत के हिसाब से आइसोलेशन सेंटर, क्वारंटीन सेंटर और अस्थायी अस्पताल का तादाद, इनमें आने वाला खर्च और लगने वाला वक्त का रोडमैप तैयार करना चाहिए था।
ये इसलिए मुमकिन था क्योंकि फरवरी पहले हफ्ते से ही कई तरह के रिसर्च सामने आ रहे थे जिनमें कहा गया था कि कोरोना वायरस से दुनिया के जिन देशों को सबसे ज्यादा खतरा है, उनमें भारत भी शामिल है। संदर्भ के लिए 10 फरवरी की इस रिपोर्ट के 12वें पाराग्राफ पर गौर करें—जहां यही बात एक जर्मन यूनिवर्सिटी के हवले से कही गई है।
स्रोत-https://www.domain-com/industry/Healthcare/20200210_bans.html
इसी तरह सबको मास्क पहनना चाहिए और तबलीगी जमात की तरह की सोशल गैदरिंग पर पूरी तरह से रोक लगाने संबंधी नियम भी हमारे यहां देर से लागू किए गए।
जार्ज गाओ का इंटरव्यू पढ़ें-
http://sachichot.blogspot.com/2020/04/blog-post.html
NDMA के काम-काज की जो भी जानकारी पब्लिक डोमेन में है उससे ऐसा लगता है कि ये ब्यूरोक्रेट लेड एजेंसी है। अभी शायद जरूरत है कि इस टीम में बड़ी तादाद में epidemiologist और virologist हों। कोरोना साइंस की चुनौती है, इसका जवाब साइंटिस्ट ही बेहतर दे सकते हैं, ब्यूरोक्रेट नहीं।