8 साल कैद में रहा बेगुनाह: 8 लाख मिलेगा अब मुआवजा

आठ साल बाद मंगा सिंह रांची के बिरसा मुंडा कारागार से रिहा हो रहा है। मंगा सिंह अपनी मां के साथ गया के बाराचट्टी में एक ढाबे पर काम करता था जब 6 अक्टूबर 2015 को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की टीम ने उसे ड्रग्स की तस्करी के इल्जाम में गिरफ्तार कर लिया। मंगा सिंह को एनसीबी के अफसर रांची लेकर आए और दो और आरोपियों के साथ उस पर ड्रग्स की तस्करी को लेकर प्राथमिकी दर्ज की।
मंगा सिंह की मां कौशल्या देवी ने गया पुलिस को दिए सनहे में एनसीबी के अधिकारियों शैलेंद्र प्रसाद, मनोज कुमार चौहान, मनीष मोदी, सुधीर नायक, रास बिहार कुमार, देवाशीष चौधऱी और डी के श्रीवास्तव को नामजद आरोपी बनाया।
आगे जांच हुई तो गया पुलिस ने एनसीबी की प्राथमिकी को फर्जी करार दिया। सकते में आई एनसीबी ने आंतरिक जांच की तो गया पुलिस की जांच को सही और इस पूरे मामले को फर्जी पाया। इसके बाद एनसीबी ने आठ अधिकारियों के खिलाफ फर्जी मामला दायर करने के इल्जाम में प्राथमिकी दर्ज कराई। पुलिस और एनसीबी की तफ्तीस में अपनी बेगुनाही सामने आने के बाद मंगा सिंह ने पचास लाख के मुआवजे की मांग की।
हाईकोर्ट में जस्टिस संजीव कुमार द्विवेदी की अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई तो अदालत ने एनसीबी को कड़ी फटकार लगाई और मंगा सिंह की फौरन रिहाई के साथ-साथ उसे आठ लाख मुआवजा देने का एनसीबी को निर्देश दिया। साथ ही एनसीबी के रांची सब जोन के एडिशन डायरेक्टर जेनरल को मुआवजे के शीघ्र भुगतान के लिए जरूरी कदम फौरन उठाने का आदेश भी दिया।
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