सिर्फ 7 साल में….करोड़पति!!!
कानपुर पुलिस ने हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के करीबी जयकांत वाजपेयी और उसके दोस्त प्रशांत शुक्ला को कानपुर एनकाउंटर केस में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया है। आरोपों के मुताबिक जयकांत…विकास दुबे का फायनेंसर था और उसके अवैध पैसों का हिसाब-किताब रखता था। माना जा रहा है कि जय की गिरफ्तारी से विकास दुबे की काली कमाई के सारे राज सामने आ जाएंगे।
कौन है जय वाजपेयी?
जय वाजपेयी को विकास दुबे का सबसे करीबी आदमी बताया जाता है। दुबे की अवैध कमाई का हिसाब-किताब वाजपेयी के पास ही था। ये भी चर्चा है कि विकास दुबे के जरिए प्रदेश के कई नेता और अधिकारी भी अपने काले धन का निवेश कराते थे। चर्चा है कि दुबे के जरिए अनेक लोगों का पैसा दूसरे देशों में भी छिपाया गया है।
पकड़ा कैसे गया?
कानपुर के ब्रह्मनगर में रहने वाला कारोबारी जय वाजपेयी कानपुर में अपनी तीन लग्जरी गाड़ियां सड़क पर छोड़ने को लेकर चर्चा आया था। दरअसल, बिकरू हत्याकांड के बाद शनिवार रात (4 जुलाई) को, तीन लग्जरी कारें कानपुर के विजय नगर चौराहे के पास लावारिस हालत में मिली थीं। जांच करने पर पता चला कि ये गाड़ियां जयकांत वाजपेयी की है। अगले दिन पुलिस गाड़ियां थाने ले आई और जय को पूछताछ के लिए बुलाया। इसके बाद उसके और विकास दुबे के बीच संबंधों का खुलासा हुआ।
बिकरु कांड से क्या हैं संबंध?
पहले पुलिस ने…फिर एसटीएफ ने उससे बिकरु कांड के बारे में पूछताछ शुरू की। एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक विकास ने एनकाउंटर से पहले जय से फोन पर बातचीत की थी। इसमें विकास ने उससे कहा था कि वो लखनऊ में रहने वाली उसकी पत्नी रिचा दुबे और बेटे को सुरक्षित जगह पहुंचवा दे। आरोपों के मुताबिक जय ने विकास के बताए ठिकाने पर उसकी पत्नी और बेटे को पहुंचाया, और उसके बाद अपने घर लौट आया।
कानपुर पुलिस के मुताबिक, 2 जुलाई को जय और प्रशांत बिकरू गांव पहुंचे थे और विकास दुबे को 2 लाख रुपये और 25 कारतूस दिए थे। आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद विकास दुबे और उसके गैंग को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के लिए जय बाजपेयी ने वाहनों की व्यवस्था भी की थी।
पुलिस ने 7 जुलाई को जय के घरों में छापा मारा, लेकिन पुलिस को कोई खास रकम, जेवरात या असलहा नहीं मिला। सूत्रों के मुताबिक वारदात के एक-दो दिन पहले ही जय ने घरों में रखी करोड़ों की नकदी, जेवरात और असलहे ठिकाने लगा दिए। असलहे ठिकाने लगाए या फिर विकास दुबे को दिए… इसकी भी जांच की जा रही है।
पैसों का क्या है मामला?
STF के सामने जय ने कई राज़ उगले हैं। सूत्रों के मुताबिक, जय वाजपेयी और गैंगस्टर विकास दुबे के बीच लाखों की ट्रांजैक्शन हुई थी। बिकरु कांड से 7 दिन पहले ही जय ने विकास दुबे के खाते में 15 लाख ट्रांसफर किए थे। पिछले एक साल में जय और विकास के बीच छह बैंक खातों के माध्यम से 75 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है।
कथित तौर पर दोनों सट्टेबाजी के खेल में भी पैसा लगा रहे थे। जय वाजपेयी विकास दुबे के अलावा….कानपुर के एक बड़े उद्योगपति के लिए भी प्रॉपर्टी डीलिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का काम करता था। उसने विकास दुबे और कई आईएएस, आईपीएस अधिकारियों, मंत्रियों और विधायकों के बीच मीडिएटर का काम किया।
कितनी संपत्ति का मालिक है जय वाजपेयी?
विकास दुबे की काली कमाई की जांच की जिम्मेदारी प्रवर्तन निदेशालय (ED) को सौंप दी गई है। ईडी इस बात की जांच कर रही है कि विकास दुबे ने जय वाजपेयी के साथ मिलकर कहां और कितनी अवैध संपत्तियां बनाई। वहीं, आयकर विभाग की बेनामी विंग (शाखा) और आयकर निदेशालय (जांच) ने भी चंद वर्षों में अरबपति बननेवाले जयकांत की संपत्तियों, बैंक खातों और नकद लेन-देन की जांच शुरू कर दी है।
सूत्रों के मुताबिक, विकास दुबे और जय वाजपेयी के पास कानपुर के साथ-साथ उत्तराखंड, मुंबई, नोएडा में करीब दो दर्जन से ज्यादा प्लॉट और मकान हैं। कानपुर में खरीदी गई सम्पतियों के स्रोत क्या हैं….और 50 हजार रुपए सालाना कमाने वाला व्यक्ति 7 साल में 12 लाख का आईटीआर कैसे भरने लगा, इसे भी जांच में शामिल किया गया है।
जय ने दुबई और बैंकॉक में करीब 25 करोड़ के दो घर खरीद रखे हैं। खबर है कि दुबई का उसका फ्लैट 15 करोड़ का है। विभाग इस बात की जांच कर रहा है कि विदेशों में यदि संपत्ति खरीदी गई.. तो पैसे कैसे ट्रांसफर किए गए। टीम को इस बात का अंदेशा है कि यह सौदा बेनामी खातों और हवाला नेटवर्क के जरिए किया गया है।
कैसे बन गया करोड़पति?
सिर्फ़ सात साल में कोई शख्स…. एक आम आदमी से करोड़पति बने जाए, तो ये सवाल उठना स्वाभाविक है कि… आखिर कैसे? जय वाजपेयी साल 2012-13 में प्रिंटिंग प्रेस में महज 4 हज़ार की नौकरी करता था और एक पान की दुकान में भी उसकी पार्टनरशिप थी। सूत्रों के मुताबिक, प्रिंटिंग प्रेस में नौकरी करने के दौरान जय…विकास दुबे के संपर्क में आया। इसके बाद वो विकास के साथ मिलकर विवादित जमीनों की खरीद-फरोख्त करने लगा।
जय के कहने पर विकास दुबे, अपनी काली कमाई से बड़े निवेश करने लगा। इसमें जमीन में पैसे लगाने से लेकर ब्याज पर पैसे देने तक का कारोबार शामिल था। 2015-16 में जय वाजपेयी ने विकास दुबे के पैसे से नेहरू नगर- ब्रहमनगर, पी रोड जैसे बाजारों में ब्याज पर रुपए देने का काम शुरू किया। सूत्रों के मुताबिक, ये विकास से 2 फीसद पर रकम लेता था और 5 फीसदी की दर से लोन देता था।
एक साल के भीतर ही जय 15 से अधिक मकान और फ्लैट का मालिक बन गया। 2018-19 में कानपुर के ब्रह्मनगर में एक दर्जन से ज्यादा मकान होने की खबर के बाद जय और उसके भाई रंजय की कई बार जांच हुई, लेकिन हर बार वो बच निकला। उसने पुलिस से बचे रहने के लिए अपने कई मकानों में दारोगा और सिपाही भी रखे। पिछले एक-दो साल में जय वाजपेयी ने अपनी पहचान कानपुर के उभरते हुए समाजसेवी और तथाकथित ब्राह्मण नेता के रूप में भी बनानी शुरु कर दी।
क्या आपको भविष्य दिख रहा है?
इस पूरी खबर में एक बड़ी बात छिपी है, जिस पर शायद आपकी नज़र ना गई हो। जय वाजपेयी और विकास दुबे के बीच एक साल में करीब 75 करोड़ का ट्रांजेक्शन हुआ, वो भी बैंकों के माध्यम से। लगभग इतना ही लेन-लेन अगर नकदी में भी मान लिया जाए..तो सालाना 150 करोड़ … यानी महीने के 12 करोड़….!!!! कानपुर के आसपास अगर जमीन की खरीद-फरोख्त और अवैध वसूली से इतनी कमाई है….तो भला कौन इस सोने की चिड़िया को हाथ से जाने देगा ??? क्या पुलिस, अधिकारी, नेता और दबंग…..इसे ऐसे ही जाने देंगे…???
सिर्फ छह महीने रुक जाइये…..आपको एक और उभरता विकास दुबे दिखने लगेगा…इस बार नाम कुछ और होगा…लेकिन उसके पीछे खड़े खिलाड़ी…उसे नचानेवाले शातिर सफेदपोश वही होंगे…जो आज भी पर्दे के पीछे हैं….और नये प्यादे की तलाश में हैं। शायद इनका प्यादा तैयार है, इसलिए तो पुराने का इनकाउंटर हुआ है।